विभाग ने भी शपथ पत्रों और आवेदन घोषणा पत्रों की भी सही तरीके से जांच किए बिना वेरिफाई कर दिया। अब ऐसे करीब 80 हजार से ज्यादा अध्यापकों को दोबारा से नौकरी देने की तैयारी की जा रही है। शिक्षक भर्ती से वंचित कई बेरोजगार युवाओं ने कोर्ट व पुलिस की शरण लेकर भर्ती को चुनाैती दी है। भर्ती में पहले से पदस्थापित कर्मचारियों के आवेदनों व शपथ पत्रों की भी सही तरीके से जांच नहीं होने के कारण भवानीशंकर व मंजू सहित कई युवाओं ने याचिका दायर कर दी।
उनका कहना है तथ्यों को छुपाकर खुद को बेराेजगार बताकर वर्तमान में पदस्थापित अध्यापकों ने गृह जिले में पोस्टिंग लेकर नौकरी के लिए आवेदन कर दिया। विभाग ने भी बिना किसी जांच के उन्हें पात्र घोषित कर दिया। एेसे में बेरोजगार युवाओं को उनके हितों के लिए मजबूरन आंदोलन करना पड़ेगा।
सीओ ग्रामीण को सौंपी जांच
भवानीशंकर निवासी कुड़ली ने एडीजे कोर्ट-3 के समक्ष परिवाद दायर किया था। उसे कोर्ट ने सही मानते हुए दर्ज कर लिया। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए पूरे मामले की जांच के लिए सीओ ग्रामीण को जांच सौंपी है। उन्हें 19 जुलाई तक जांच कर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। वहीं मुरारीलाल शर्मा व अन्य के खिलाफ भी जांच के लिए परिवाद दायर किया गया है। उसमें घोषणा पत्रों में गलत जानकारी देने और दस्तावेज सत्यापन के दौरान सही तरीके से जांच नहीं कराने की बात कही गई है।
भर्ती से वंचित बेरोजगार करेंगे आंदोलन
रीट 2018 शिक्षक भर्ती से वंचित बेरोजगार युवा आंदोलन की रणनीति बना रहे हैं। भवानीशंकर ने बताया कि परिवाद दायर कर चुके हैं। पुलिस इन पर कोई ध्यान नहीं दे रही है। उन्होंने बताया कि अगर पुलिस शिकायतों पर ध्यान नहीं देगी तो भर्ती से वंचित सभी बेरोजगार युवा कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने बताया कि जल्द ही जयपुर में भी प्रदर्शन कर शिक्षक भर्ती की जांच एसओजी से कराए जाने की मांग की जाएगी।
विभाग ने शपथ पत्रों की नहीं की सही तरीके से जांच
1. अनिल शर्मा पुत्र शिवपाल शर्मा निवासी श्रीमाधोपुर पहले से राज्य कर्मचारी हैं। उन्होंने आवेदन करते समय खुद को स्थाई कर्मचारी बताया है, जबकि आवेदक के घोषणा पत्र के 12 नंबर कॉलम में खुद को किसी भी भर्ती से पूर्व में सत्यापन कराना नहीं बताया है। उन्होंने खुद को राज्य कर्मचारी तो बता दिया, लेकिन विभाग से अनुमति ली या नहीं, इसके बारे में जानकारी नहीं दी। विभाग ने दस्तावेजों को भी बिना जांच किए वेरिफाई कर दिया।
2. मुरारी लाल पुत्र ग्यारसीलाल निवासी श्रीमाधोपुर ने शिक्षक भर्ती के आवेदन में खुद को राज्य सरकार का कर्मचारी बताया है। उन्होंने अपने घोषणा पत्र में खुद को अन्य किसी भी भर्ती में दस्तावेज सत्यापन कराना नहीं बताया है, जबकि बिना दस्तावेज सत्यापन कराए वह पहले कैसे पदस्थापित हो गए। विभाग के अधिकारियों ने उनके दस्तावेजों को बिना सही तरीके से जांच किए वेरिफाई कर दिया।
पहले से पदस्थापित, इन्होंने गलत जानकारी देकर किए आवेदन
1. हरभान सिंह पुत्र भगवान सिंह बोरालिया भरतपुर के रहने वाले हैं। हरभान सिंह 2016 की शिक्षक भर्ती में सिलेक्ट होकर धौलपुर में पदस्थापित हैं, जबकि इन्होंने 2018 की शिक्षक भर्ती के आवेदन में बने कॉलम क्या आप मौजूदा राज्य सरकार के कर्मचारी हैं, में नहीं भरा हुआ है। हरभान सिंह को वर्तमान में शिक्षा विभाग ने बिना दस्तावेजों की जांच किए जिला भरतपुर के लिए सिलेक्ट किया है।
2. मुरारी सिंह पुत्र भगवान सिंह भी रूपवास भरतपुर के रहने वाले हैं। 2016 की शिक्षक भर्ती सूची में सिलेक्ट होकर राजसमंद में पदस्थापित हुए। इसके बावजूद उन्होंने 2018 की शिक्षक भर्ती के आवेदन में खुद को राज्य सरकार का कर्मचारी नहीं बताया। मुरारी सिंह को 2018 की चयनित भर्ती में भरतपुर जिला आबंटित किया गया है।
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