शिक्षकों की कमी बनी रोड़ा, मुश्किल है दीनदयाल शोध पीठ खुलना - The Rajasthan Teachers Blog - राजस्थान - शिक्षकों का ब्लॉग

Subscribe Us

ads

Hot

Post Top Ad

Your Ad Spot

Saturday 3 March 2018

शिक्षकों की कमी बनी रोड़ा, मुश्किल है दीनदयाल शोध पीठ खुलना

अजमेर महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ खुलना मुश्किल है। सीमित संसाधन और स्टाफ की कमी परेशानियां बढ़ा रही है। पूर्व में खुली शोध पीठ किसी तरह संचालित हैं। ऐसे में नई पीठ खोलना आसान नहीं है।

देश के केंद्रीय और राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों में महान विभूतियों, ख्यातनाम लोगों के नाम पर शोध पीठ संचालित हैं। इनमें महात्मा गांधी अध्ययन, डॉ. भीमराव अम्बेडकर, ऋषि दयानंद सरस्वती, जवाहरलाल नेहरू, होमी जहांगीर भाभा, स्वामी विवेकानंद, मीरा, महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान, लक्ष्मीबाई और अन्य पीठ शामिल हैं। इन शोध पीठ के लिए यूजीसी अध्ययन-अध्यापन और शोध के लिए बजट मुहैया कराता है। विद्यार्थी, शोधार्थी और शिक्षक यहां विविध विषयों पर शोध करते हैं। इसी कड़ी में भाजपा की अगुवाई वाली एनडीए सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय शोध पीठ खोलने की योजना बनाई है।
विश्वविद्यालय की दिक्कतें
विश्वविद्यालय में सिंधु शोध पीठ, पृथ्वीराज चौहान और अम्बेडकर शोध पीठ संचालित हैं। यहां विभागों में पर्याप्त शिक्षक नहीं है। ऐसे में विभिन्न विभागाध्यक्ष इनका अतिरिक्त दायित्व संभाले हुए है। हाल में राज्यपाल कल्याण सिंह ने ऋषि दयानंद शोध पीठ खोलने का प्रस्ताव भेजा है। बगैर शिक्षक-कर्मचारी और शोधार्थियों के शोध पीठ संचालन मुश्किल हैं। ऐसे में दीनदयाल शोध पीठ खोलना चुनौतीपूर्ण है।
इसीलिए नहीं खुली लोधी शोधपीठ
सीएमओ-राजभवन ने विश्वविद्यालय को कई बार अवंती बाई लोधी शोध पीठ खोलने का प्रस्ताव भेजा है। लेकिन सीमित संसाधनों के चलते विश्वविद्यालय ने विचार नहीं किया है। मालूम हो कि अवंती बाई का ताल्लुक मध्यप्रदेश से है। राज्यपाल उत्तरप्रदेश के लोधी राजपूत हैं।मनाई जा रही है जन्मशतीदेश में पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती मनाई जा रही है। इसके तहत केंद्र में सत्तारूढ़ और विभिन्न राज्यों में भाजपा सरकार कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। इनमें रक्तदान शिविर, खेलकूद, कौशल विकास, शैक्षिक विकास और अन्य कार्यक्रम शामिल हैं।

पंडित दीनदयाल उपाध्याय....
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म २५ सितम्बर १९१६ को नगला चंद्रभान गांव में हुआ था। शुरुआत में वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े। साथ भारतीय जनसंघ (बाद में भाजपा बनी) के अध्यक्ष भी रहे थे। वे पिलानी, आगरा और प्रयाग में पढ़े। १९५१ में अखिल भारतीय जनसंघ के संगठन मंत्री बने। १९६७ में उन्हें जनसंघ का अध्यक्ष बनाया गया। १९६८ में रेल यात्रा के दौरान मुगलसराय के निकट उनकी हत्या की गई थी। उन्होंने राजनीतिक डायरी, सम्राट चंद्रगुप्त, जगदगुरू शंकराचार्य, राष्ट्र जीवन की दिशा और अन्य पुस्तकें भी लिखी हैं।

No comments:

Post a Comment

Recent Posts Widget
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

Advertisement

Important News

Popular Posts

Post Top Ad

Your Ad Spot

Copyright © 2019 Tech Location BD. All Right Reserved