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Saturday 3 March 2018

जेएनवीयू तेरी लीला न्यारी: पूछा गया केमेस्ट्री का फॉर्मूला और जवाब मिला सा..रे..गा..मा..

जोधपुर . जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय में चल रही सामान्य संकाय शिक्षक भर्ती परीक्षा के अंतर्गत आयोजित भूगोल और संगीत विषय के साक्षात्कार में भारी गड़बड़ी सामने आई है। विवि ने दोनों विषयों के साक्षात्कार बोर्ड में रसायन विज्ञान के शिक्षक को शामिल कर लिया। शिक्षक की नियुक्ति स्वयं विवि के कुलपति ने की थी।
जेएनवीयू एक्ट १९७४ के अनुसार अब यह साक्षात्कार अमान्य हो चुका है। जेएनवीयू के सामान्य संकाय में सहायक प्रोफेसर भर्ती के लिए 11 फ रवरी को भूगोल के 2 पदों (1 पद अनारक्षित व 1 पद ओबीसी वर्ग) और 12 फ रवरी को संगीत के 4 पदों (3 पद अनारक्षित व 1 पद अनुसूचित जनजाति वर्ग) के लिए साक्षात्कार लिए गए। साक्षात्कार में कुलपति डॉ. आरपी सिंह, विभागाध्यक्ष अधिष्ठाता प्रो. धर्मचन्द जैन, दो विषय विशेषज्ञ, एक राज्यपाल नॉमिनी और एक अन्य व्यक्ति प्रो. प्रेमसिंह वर्मा बैठे थे। बोर्ड में राज्य सरकार के नॉमिनी भगवतीप्रसाद सारस्वत किसी कारणवश अनुपस्थित रहे। सिंडिकेट नॉमिनी का पद डॉ. सुशीलकुमार बिस्सू का कार्यकाल पूरा होने के बाद से रिक्त है। विवि ने राजस्थान विवि से रसायन विज्ञान प्रोफेसर पद से सेवानिवृत्त प्रो. पीएस वर्मा को बैठाया, जो विषय विशेषज्ञ नहीं थे और न ही सरकार व राजभवन ने साक्षात्कार बोर्ड में मनोनीत किया। विवि का तर्क है प्रो. वर्मा को ओबीसी/एससी/एसटी/महिला/विकलांग सभी प्रतिनिधियों के तौर पर अकेले ही शामिल किया था।
यह है नियम
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अध्यादेश 2010 की धाराओं 5.0.0, 5.1.0, 5.1.1 (ए) (6), 5.1.2 (ए) (6) और 5.1.3 के अनुसार किसी भी विवि में शिक्षकों की सीधी भर्ती एवं पदोन्नति के समय साक्षात्कार बोर्डों में एसी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक, महिला, दिव्यांग कैटेगरी का एक-एक मनोनीत सदस्य प्रतिनिधि होगा। इस नियम की पालना के लिए जेएनवीयू को Óदी राजस्थान यूनिवर्सिटीज टीचर्स एण्ड ऑफि सर्स, सलेक्शन फॉर अपॉइंटमेंट एक्ट-1974Ó में विधानसभा से संशोधन करवाना होगा। एक्ट में संशोधन हुए बिना जेएनवीयू की भर्तियों में हो रहे सभी साक्षात्कार शून्य, निष्प्रभावी एवं अवैधानिक है।
पहले कहा ऑब्जर्वर, बाद में ओबीसी नॉमिनी
विवि कुलपति ने भूगोल और संगीत के साक्षात्कार में बतौर यूजीसी ऑब्जर्वर मुझे नियुक्त किया। राजस्थान के विश्वविद्यालयों में एेसा नहीं होता है लेकिन केंद्रीय विवि में यह नियम है। दरअसल मैं विवि में ओबीसी नॉमिनी के तौर पर शामिल हुआ है।
प्रो. पीएस वर्मा, सेवानिवृत्त रसायन शास्त्र शिक्षक, राजस्थान विवि जयपुर
कुलपति ने ढूंढी गली
यूजीसी के नए नियम के अनुसार सामान्य श्रेणी को छोड़कर किसी भी वर्ग का प्रतिनिधि सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व कर सकता है। प्रो. वर्मा को इसी नियम के अनुसार शामिल किया गया। यह नियम हाल ही आया है, इसलिए विवि एक्ट में संशोधन का समय नहीं मिला। (विवि ने ही ५ जनवरी २०१८ को ही राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग को पत्र संख्या जेएनवीयू/संस्थापन/टी/१२७७८ के द्वारा अवगत कराया है विवि राजस्थान सरकार एक्ट से बना स्वायत्त संस्थान है, यूजीसी के नियम उस पर लागू नहीं होते हैं।)

-प्रो. आरपी सिंह, कुलपति, जेएनवीयू

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