राजस्थान हाईकोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा विभाग के 31 अगस्त
2012 के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता शिक्षक के
नियुक्ति आदेश को रद्द कर उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इसके साथ ही
अदालत ने याचिकाकर्ता को दो माह में पुन: शिक्षक पद पर नियुक्त करने के
आदेश दिए हैं।
न्यायाधीश अशोककुमार गौड़ की एकलपीठ
ने यह आदेश लखनसिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिका
में अधिवक्ता आरडी मीणा ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने द्वितीय
श्रेणी अध्यापक भर्ती-2008 में भर्ती नियमों के अनुसार विज्ञान संकाय के
लिए आवेदन किया था। विभाग ने उसे 7 जुलाई 2011 को नियुक्त भी कर दिया। वहीं
भर्ती प्रक्रिया के दौरान विभाग ने वर्ष 2010 में पूर्व के नियमों को
बदलते हुए स्नातक में जुलॉजी, बॉटनी और कैमिस्ट्री विषय रखने वालों को ही
द्वितीय श्रेणी शिक्षक के लिए पात्र माना।
शिक्षा विभाग ने नए नियमों के अनुसार तय पात्रता नहीं रखने पर 2012 के आदेश से याचिकाकर्ता को बर्खास्त कर दिया। वहीं कुछ अभ्यर्थियों ने 2010 के नए नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने नियमों को सही माना। वहीं मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर अदालत ने मुकदमा दायर करने वाले जिन अभ्यर्थियों के पास भर्ती विज्ञापन के समय तय पात्रता थी, उनकी नियुक्ति सही मानी।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उसकी नियुक्ति पुराने नियमों के तहत हुई है। याचिका में कहा गया कि विभाग ने जुलाई 2012 में नियमों में पुन: संशोधन कर वर्ष 2008 के नियमों को ही लागू किया है। ऐसे में उसे नियुक्ति दी जाए।
शिक्षा विभाग ने नए नियमों के अनुसार तय पात्रता नहीं रखने पर 2012 के आदेश से याचिकाकर्ता को बर्खास्त कर दिया। वहीं कुछ अभ्यर्थियों ने 2010 के नए नियमों को हाईकोर्ट में चुनौती दी। हाईकोर्ट की खंडपीठ ने नियमों को सही माना। वहीं मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने पर अदालत ने मुकदमा दायर करने वाले जिन अभ्यर्थियों के पास भर्ती विज्ञापन के समय तय पात्रता थी, उनकी नियुक्ति सही मानी।
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि उसकी नियुक्ति पुराने नियमों के तहत हुई है। याचिका में कहा गया कि विभाग ने जुलाई 2012 में नियमों में पुन: संशोधन कर वर्ष 2008 के नियमों को ही लागू किया है। ऐसे में उसे नियुक्ति दी जाए।
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