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Monday 18 December 2017

इधर 87 हजार शिक्षकों की आसानी से भर्ती, उधर 1100 डॉक्टरों की भर्ती उलझकर रह गई

जयपुर.सरकार के दो महत्वपूर्ण विभाग हैं शिक्षा और चिकित्सा। दोनों में नई भर्ती के बाद चयनितों को पोस्टिंग के दो अलग अलग नियम हैं। नियम भी ऐसे हैं कि शिक्षा विभाग में तो चयनितों को इच्छित स्थान पूछकर पोस्टिंग दी जाती है।
दूसरी तरफ चिकित्सा विभाग में चयनित डॉक्टरों को ऐसे स्थान पर लगाया जाता है जहां विभाग चाहता है। नतीजा यह रहा कि शिक्षा विभाग में तो न केवल नई भर्ती वाले सभी शिक्षकों ने जॉइन कर लिया बल्कि पदोन्नति पाने वाले ज्यादातर शिक्षक भी नई जगह पहुंच गए। दूसरी ओर चिकित्सा विभाग में पिछले दिनों हुई करीब 1 हजार डॉक्टरों की भर्ती में मनचाही पोस्टिंग नहीं मिलने से 502 डॉक्टर जो नौकरी जॉइन करने ही नहीं पहुंचे। विभाग को उनकी नियुक्ति ही रद्द करनी पड़ गई। सवाल उठता है कि अगर एक विभाग में पदस्थापन के प्रावधान से चयनित खुश है तो क्यों नहीं दूसरे विभाग में इसे लागू नहीं किया जा सकता?

वैसे शिक्षा विभाग में भी ढाई साल पहले तक चिकित्सा विभाग की तरह ही पोस्टिंग दी जाती थीं। इससे चयनित शिक्षकों में मनचाही पोस्टिंग नहीं मिलने की पीड़ा रहती थी। उन्हें पोस्टिंग के लिए नेताओं और अफसरों के चक्कर काटने पड़ते थे। ऐसा ही हाल पदोन्नति के बाद होने वाली पोस्टिंग का था। पदोन्नत शिक्षक-कर्मचारी नेताओं के चक्कर काटते रहते थे और डिजायर लिखाते रहते थे। विभाग पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगते थे। कई बिचौलिए लेनदेन की कोशिश में लगे रहते थे।
शिक्षा राज्यमंत्री वासुदेव देवनानी की पहल पर शिक्षा विभाग ने काउंसलिंग के जरिए पोस्टिंग देने की पहल की तो यह सिलसिला भी रुक गया। ढाई साल पहले अप्रैल 2015 में सबसे पहले पदोन्नत शिक्षक और स्टाफिंग पैटर्न के बाद अधिशेष रहे शिक्षकों को पोस्टिंग देने के लिए काउंसलिंग की गई। पहले तो इसका विरोध हुआ, लेकिन अब हालात यह है कि पदोन्नत शिक्षक और नई भर्ती के चयनितों को मनचाहे स्थान पर मेरिट से पोस्टिंग मिल रही है। वहीं चिकित्सा विभाग में चयनित डॉक्टरों को पोस्टिंग देने का ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। केवल भर्ती के समय आवेदन में जिलों के विकल्प मांगा जाता है लेकिन पोस्टिंग किसी भी जिले में कर दी जाती है।
#शिक्षा विभाग
1. पोस्टिंग के लिए काउंसलिंग
शिक्षा विभाग में शिक्षकों को काउंसलिंग के जरिए ही पोस्टिंग दी जा रही है। काउंसलिंग के दौरान जितने पदों पर भर्ती होनी है। उससे अधिक खाली पदों की लिस्ट जारी कर दी जाती है। पदोन्नत शिक्षक या नवचयनित शिक्षक इनमें से किसी भी पद पर पोस्टिंग पा सकता है। इसके लिए विभाग ने एक नियम बना रखा है। पदोन्नत शिक्षक को तो वरिष्ठता क्रमांक के आधार पर और नवचयनित को उसकी मेरिट के आधार पर बुलाया जाता है। इससे किसी प्रकार के विवाद की स्थिति नहीं बनती। इसमें भी विभाग ने अलग अलग केटेगरी बना रखी है। ताकि जरुरतमंद को उसकी इच्छा के अनुसार पोस्टिंग मिल सके।
2. नतीजा : बिना किसी विवाद के सबको मिली पोस्टिंग
दो लाख शिक्षकों को काउंसलिंग के जरिए विभाग ने पोस्टिंग दी है। इसमें से 1.10 लाख शिक्षक ऐसे हैं जो पदोन्नत हुए थे। इनको काउंसलिंग के जरिए ही नया पदस्थापन दिया गया। जबकि 87 हजार शिक्षक नई भर्तियों के थे। जिनकी काउंसलिंग की गई। इसमें तृतीय श्रेणी शिक्षक, द्वितीय श्रेणी शिक्षक, व्याख्याता, शारीरिक शिक्षक, हैडमास्टर शामिल है।
#चिकित्सा विभाग
आवेदन के समय विकल्प
चिकित्सा विभाग में डॉक्टरों को भर्ती के समय आवेदन के दौरान उनसे केवल जिलों के विकल्प मांगा जाता है। पोस्टिंग के समय इसको भी दरकिनार कर किसी भी जिले में पोस्टिंग दे दी जाती है। यानी चयनित डॉक्टर के पास पोस्टिंग ऑर्डर पहुंचता है तो उसके देखकर वे हैरान रह जाते हैं। विभाग उनको ऐसे स्थान पर लगा देता है जहां वो जाना ही नहीं चाहते। इसका नतीजा यह होता है कि वे चयन के बावजूद जॉइन करने नहीं जाते और अस्पतालों में डॉक्टरों के पद फिर खाली रह जाते हैं। सरकार को फिर से भर्ती की एक लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है। इसका नुकसान केवल मरीजों को होता है। उनको समय पर डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पाते।
नतीजा : 1100 में से 502 डॉक्टरों ने जॉइन नहीं किया
डॉक्टरों की कमी को पूरा करने के लिए चिकित्सा विभाग ने 1100 डॉक्टरों को नियुक्ति दी थी। आदेश 12 जुलाई और 26 सितंबर को जारी हुए। दूर दराज इलाकों में पोस्टिंग दी गई। दूर दराज इलाकों में पोस्टिंग मिलने से नाराज 502 डॉक्टरों ने जॉइन नहीं करना ही उचित समझा। नतीजतन विभाग को इनकी नियुक्ति को रद्द करना पड़ा। केवल 598 डॉक्टर ही जॉइन करने पहुंचे।
काउंसलिंग से फायदा: न सिफारिश की जरूरत, ना ही डिजायर
शिक्षकों को मनचाहे स्थान पर पोस्टिंग पाने के लिए ना तो किसी नेता के डिजायर की जरुरत होती है और ना ही किसी अफसर की सिफारिश की जरुरत होती है। अगर वह मेरिट में ऊपर रहेगा तो उसके पास अधिक विकल्प होंगे। मेरिट नीचे होने पर ज्वाइस के कम विकल्प होंगे। लेकिन जो भी विकल्प होंगे। उनमें भी वह अपने सुविधा के अनुसार उसके लिए सबसे अधिक उपयुक्त स्कूल का चयन कर सकता है। विभाग पर भी भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगते।
डॉक्टरों के तीन हजार पद हैं खाली
प्रदेश में डॉक्टरों के 10,725 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 2908 पद खाली पड़े हैं। विभाग ने पिछले दिनों इन पदों को भरने के लिए 1100 डॉक्टरों की भर्ती निकाली थी। इनमें से आधे ही आ पाए। अब विभाग जल्दी ही 1300 डॉक्टरों की नई भर्ती निकालने की तैयारी कर रहा है।
शिक्षा विभाग ने पदोन्नति और नई भर्ती के चयनितों को पोस्टिंग देने के काम को पूरी तरह से पारदर्शी और व्यवस्थित बनाया है। इससे शिक्षकों को मनचाही पोस्टिंग मिल रही है। इस प्रक्रिया की पूरे देश में सराहना हो रही है।
-वासुदेव देवनानी, शिक्षा राज्यमंत्री
डॉक्टर जॉइन क्यों नहीं कर रहे। इसके कारणों का पता लगाया जाएगा। इसके बाद नई भर्ती में ऐसे प्रावधान करने का प्रयास किया जाए कि चयनित सभी डॉक्टर ज्वाइन कर सके। शिक्षा विभाग की काउंसलिंग प्रक्रिया का भी अध्ययन किया जाएगा।
-कालीचरण सराफ, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री

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