रक्तिम तिवारी/अजमेर।
राजस्थान लोक सेवा आयोग वर्ष 2018 में होने वाली भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर बनाने में जुट गया है। स्थायी अध्यक्ष की गैर मौजूदगी, पूर्व में हुई विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के विवाद, आरक्षण संबंधित परेशानियों को देखते हुए आयोग के लिए भर्ती परीक्षाएं कराना आसान नहीं होगा।
राजस्थान लोकसेवा आयोग आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा भर्ती परीक्षा सहित कॉलेज लेक्चरर, स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा, कृषि, कारागार, कनिष्ठ लेखाकार और अन्य भर्ती परीक्षाएं कराता रहा है। कार्मिक विभाग, संबंधित विभाग और सरकार से अभ्यर्थना, पदों का वर्गीकरण मिलने के बाद आयोग भर्ती परीक्षाओं का आयोजन करता है।
साथ ही भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर भी तय करता है, लेकिन कई मामलों में आयोग की परीक्षा तिथियां का कैलेंडर संघ लोक सेवा आयोग , विश्वविद्यालयों और अन्य एजेंसियों से टकराता है। इसके चलते परीक्षा कराने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
विवादों के साये में परीक्षाएं...
देश की आजादी के बाद राज्य सरकार ने आयोग का गठन सिर्फ आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा भर्ती परीक्षा कराने के लिए किया था। तत्कालीन भाजपा सरकार ने वर्ष 2005-06 से इसे तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा का काम सौंपा। इसके बाद प्रथम और द्वितीय श्रेणी स्कूल व्याख्याता, कृषि, कारागार, मेडिकल, तकनीकी शिक्षा, पुराततत्व एवं संग्रहालय विभाग और अन्य महकमों की भर्तियां भी आयोग को सौंपी गई। कुछेक परीक्षाओं को छोड़कर आयोग को अधिकतर में परेशानियां झेलनी पड़ी हैं।
दो महीने से नहीं स्थायी अध्यक्ष
सितम्बर माह में श्यामसुंदर शर्मा का कार्यकाल खत्म होने के बाद आयोग में दो महीने से स्थायी अध्यक्ष नहीं है। नियमानुसार स्थायी अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म होने या इस्तीफा देने पर आयोग के सबसे वरिष्ठतम सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया जाता रहा है।
यह पहला अवसर है, जबकि सरकार ने न किसी वरिष्ठ सदस्य को विधिवत कार्यभार सौंपा है, न ही स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति की है। जबकि राज्यपाल, हाईकोर्ट, राजस्व मंडल की तरह संवैधानिक संस्था होने के नाते यहां अध्यक्ष पद कभी खाली नहीं रह सकता है। स्थायी अध्यक्ष नहीं होने से आयोग की पूर्व निर्धारित भर्ती परीक्षाएं और तकनीकी मामले उलझे पड़े हैं।
राजस्थान लोक सेवा आयोग वर्ष 2018 में होने वाली भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर बनाने में जुट गया है। स्थायी अध्यक्ष की गैर मौजूदगी, पूर्व में हुई विभिन्न भर्ती परीक्षाओं के विवाद, आरक्षण संबंधित परेशानियों को देखते हुए आयोग के लिए भर्ती परीक्षाएं कराना आसान नहीं होगा।
राजस्थान लोकसेवा आयोग आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा भर्ती परीक्षा सहित कॉलेज लेक्चरर, स्कूल व्याख्याता भर्ती परीक्षा, कृषि, कारागार, कनिष्ठ लेखाकार और अन्य भर्ती परीक्षाएं कराता रहा है। कार्मिक विभाग, संबंधित विभाग और सरकार से अभ्यर्थना, पदों का वर्गीकरण मिलने के बाद आयोग भर्ती परीक्षाओं का आयोजन करता है।
साथ ही भर्ती परीक्षाओं का कैलेंडर भी तय करता है, लेकिन कई मामलों में आयोग की परीक्षा तिथियां का कैलेंडर संघ लोक सेवा आयोग , विश्वविद्यालयों और अन्य एजेंसियों से टकराता है। इसके चलते परीक्षा कराने में खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
विवादों के साये में परीक्षाएं...
देश की आजादी के बाद राज्य सरकार ने आयोग का गठन सिर्फ आरएएस एवं अधीनस्थ सेवा भर्ती परीक्षा कराने के लिए किया था। तत्कालीन भाजपा सरकार ने वर्ष 2005-06 से इसे तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा का काम सौंपा। इसके बाद प्रथम और द्वितीय श्रेणी स्कूल व्याख्याता, कृषि, कारागार, मेडिकल, तकनीकी शिक्षा, पुराततत्व एवं संग्रहालय विभाग और अन्य महकमों की भर्तियां भी आयोग को सौंपी गई। कुछेक परीक्षाओं को छोड़कर आयोग को अधिकतर में परेशानियां झेलनी पड़ी हैं।
दो महीने से नहीं स्थायी अध्यक्ष
सितम्बर माह में श्यामसुंदर शर्मा का कार्यकाल खत्म होने के बाद आयोग में दो महीने से स्थायी अध्यक्ष नहीं है। नियमानुसार स्थायी अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म होने या इस्तीफा देने पर आयोग के सबसे वरिष्ठतम सदस्य को कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया जाता रहा है।
यह पहला अवसर है, जबकि सरकार ने न किसी वरिष्ठ सदस्य को विधिवत कार्यभार सौंपा है, न ही स्थायी अध्यक्ष की नियुक्ति की है। जबकि राज्यपाल, हाईकोर्ट, राजस्व मंडल की तरह संवैधानिक संस्था होने के नाते यहां अध्यक्ष पद कभी खाली नहीं रह सकता है। स्थायी अध्यक्ष नहीं होने से आयोग की पूर्व निर्धारित भर्ती परीक्षाएं और तकनीकी मामले उलझे पड़े हैं।
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