शिक्षकभर्ती - 2012 में जिला परिषद प्रारंभिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों
ने 5 साल में तीन बार संशोधित परिणाम जारी होने की आड़ में मनमानी को लेकर
वंचित अभ्यर्थियों ने बुधवार को कलेक्टर को ज्ञापन देकर नियुक्ति देने की
मांग की।
उन्होंने बताया कि 9 फरवरी को मुकेश टेलर की रिट के बाद हाईकोर्ट के आदेशों के तहत नियुक्ति देने की मांग की। इसको लेकर अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच कराने की मांग की। उन्होंने बताया कि कम अंक होने के बावजूद वर्तमान में सरकारी सेवा में शिक्षक पद पर कार्यरत हैं, जबकि अधिक अंक वाले अभ्यर्थी नियुक्ति को लेकर भटक रहे हैं। इतना ही नहीं, आरटेट में फेल होने के बाद भी अभ्यर्थी कार्यरत है। गौरतलब है कि जिला परिषद द्वारा की गई भर्ती प्रक्रिया में जमकर घोटाला किया गया है। इतना ही नहीं, मनमर्जी से नियुक्ति भी दे दी। इसके बाद भी किसी अधिकारी द्वारा तो जांच कराई जा रही है और ही वंचितों को नियुक्ति दी जा रही है। इस मामले को लेकर दैनिक भास्कर ने पूरा खुलासा किया था।
इसके बाद अब पूरे मामले की जांच कराने की मांग की जा रही है। बुधवार को ओमप्रकाश, सुरेश सांखला, किशन कुमार, सोहनलाल, केवलचंद, निर्मला, कार्तिक, मुकेश शर्मा सहित कई अभ्यर्थियों ने ज्ञापन देकर नियुक्ति की मांग की। हाईकोर्ट के आदेश माने और ही सरकार के इस मामले में अधिकारियों कर्मचारियों ने हाईकोर्ट सरकार के आदेश भी दरकिनार कर दिए। अधिकारियों ने कमजोर अभ्यर्थी देख उसी को मेरिट में आने के बावजूद चक्कर कटवाए और सिर्फ मौखिक आदेशों से ही नौकरी से वंचित कर दिया। चौंकाने वाली बात तो यह है कि आंकड़ों से लेकर पदों को भी गलत बता कर मनमाने ढंग से अभ्यर्थियों को नियुक्ति तक दे दी। इसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का अंदेशा भी अभ्यर्थी जता रहे हैं। 2012 13 में लगातार शिक्षक भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण की। दोनों बार वह मेरिट में थी। जिला परिषद ने उसके नियुक्ति आदेश जारी कर स्कूल भी आवंटित कर दिया। बावजूद इसके उसे सिर्फ मौखिक आदेश से ज्वॉइन नहीं करने दिया।
उन्होंने बताया कि 9 फरवरी को मुकेश टेलर की रिट के बाद हाईकोर्ट के आदेशों के तहत नियुक्ति देने की मांग की। इसको लेकर अभ्यर्थियों ने पूरी भर्ती प्रक्रिया की जांच कराने की मांग की। उन्होंने बताया कि कम अंक होने के बावजूद वर्तमान में सरकारी सेवा में शिक्षक पद पर कार्यरत हैं, जबकि अधिक अंक वाले अभ्यर्थी नियुक्ति को लेकर भटक रहे हैं। इतना ही नहीं, आरटेट में फेल होने के बाद भी अभ्यर्थी कार्यरत है। गौरतलब है कि जिला परिषद द्वारा की गई भर्ती प्रक्रिया में जमकर घोटाला किया गया है। इतना ही नहीं, मनमर्जी से नियुक्ति भी दे दी। इसके बाद भी किसी अधिकारी द्वारा तो जांच कराई जा रही है और ही वंचितों को नियुक्ति दी जा रही है। इस मामले को लेकर दैनिक भास्कर ने पूरा खुलासा किया था।
इसके बाद अब पूरे मामले की जांच कराने की मांग की जा रही है। बुधवार को ओमप्रकाश, सुरेश सांखला, किशन कुमार, सोहनलाल, केवलचंद, निर्मला, कार्तिक, मुकेश शर्मा सहित कई अभ्यर्थियों ने ज्ञापन देकर नियुक्ति की मांग की। हाईकोर्ट के आदेश माने और ही सरकार के इस मामले में अधिकारियों कर्मचारियों ने हाईकोर्ट सरकार के आदेश भी दरकिनार कर दिए। अधिकारियों ने कमजोर अभ्यर्थी देख उसी को मेरिट में आने के बावजूद चक्कर कटवाए और सिर्फ मौखिक आदेशों से ही नौकरी से वंचित कर दिया। चौंकाने वाली बात तो यह है कि आंकड़ों से लेकर पदों को भी गलत बता कर मनमाने ढंग से अभ्यर्थियों को नियुक्ति तक दे दी। इसमें बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार का अंदेशा भी अभ्यर्थी जता रहे हैं। 2012 13 में लगातार शिक्षक भर्ती परीक्षा उत्तीर्ण की। दोनों बार वह मेरिट में थी। जिला परिषद ने उसके नियुक्ति आदेश जारी कर स्कूल भी आवंटित कर दिया। बावजूद इसके उसे सिर्फ मौखिक आदेश से ज्वॉइन नहीं करने दिया।
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