भास्कर संवाददाता| बांसवाड़ा पिछली राज्य सरकार ने 2012 में शिक्षकों की भर्ती की थी। नियुक्ति के
बाद 5 साल हो गए है। अब तक सरकार ने उन्हें स्थाई नहीं किया है। बांसवाड़ा
में 640 शिक्षक विभिन्न पंचायत समितियों में कार्यरत है तो प्रदेश में इस
श्रेणी के शिक्षकों की संख्या 40 हजार है।
अब तक हाईकोर्ट और सुप्रीम के आदेश भी शिक्षकों के पक्ष में जारी हो चुके हैं। एक बार पंचायतीराज विभाग से भी डीईओ और जिला परिषदों को आदेश देकर कहा था कि स्थाईकरण का काम किया जाए। इसके बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से इन शिक्षकों को स्थाई नहीं किया जा रहा है। नियमानुसार जब तक स्थाई करने के आदेश जारी नहीं होते है, तब तक उन्हें राज्य सरकार का कर्मचारी नहीं माना जाएगा। इस बीच किसी के साथ कोई हानि हो गई तो उस स्थिति में समस्त परिलाभ से भी शिक्षक वंचित रह सकता है। 2012 भर्ती के मामले में कोर्ट प्रकरण दर्ज हुए थे। इसके बाद राज्य सरकार को आदेश मिला था, परंतु सरकार ने रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। अब पिछले माह ही शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर स्थाई करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद स्थानीय शिक्षा विभाग में इस संबंध में अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सरकारपर पड़ेगा वित्तीय भार
रिटायरडीईओ मोहनलाल पारगी के मुताबिक समय पर स्थाईकरण नहीं होने से सरकार के ऊपर वित्तीय भार पड़ता है। बाद में बजट अधिक होगा तो एक साथ देने में सरकार भी असमर्थ हो जाती है। 2012 के शिक्षकों के 3 साल अधिक हो गए तो एक शिक्षक को औसत 10 से 12 लाख रुपए की राशि एरियर के तौर पर बनती है। बांसवाड़ा में ही करीब 50 करोड़ रुपए से अधिक का भार पड़ेगा।
इधर,2013-015 के शिक्षकों भी स्थाई नहीं
दूसरीओर 2013 और 2015 में चयनित शिक्षकों को भी विभाग ने अब तक स्थाई नहीं किया है। इसको लेकर शिक्षक संगठनों ने कई बार विभाग को पत्र लिखकर कार्रवाई की बात कहीं है। इस संबंध में डीईओ प्रेमजी पाटीदार ने बताया कि सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों से सभी अस्थाई शिक्षकों की फाइलें मंगवा ली है और विभाग के आदेशानुसार स्थाईकरण का काम शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा।
2साल की सर्विस के बाद स्थाई करना अनिवार्य
नियुक्तिके बाद नियमित रूप से 2 साल की सर्विस करने के बाद विभाग द्वारा अनिवार्य रूप से स्थाई करना होता है। यदि इसमें समय अधिक लगता है तो 2 वर्ष की तिथि के बाद से लेकर अंतिम स्थाईकरण आदेश तक एरियर का भुगतान करना पड़ता है। वित्त विभाग की गाइडलाइन के अनुसार बिना स्थाईकरण के वह राज्य सरकार से प्राप्त विभिन्न लाभ लेने का पात्र नहीं माना जाता है। एक शिक्षक योगेश शर्मा ने बताया कि सरकार की ओर से आदेश आने के बाद स्थाईकरण नहीं किया जा रहा है। इस कारण काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
अब तक हाईकोर्ट और सुप्रीम के आदेश भी शिक्षकों के पक्ष में जारी हो चुके हैं। एक बार पंचायतीराज विभाग से भी डीईओ और जिला परिषदों को आदेश देकर कहा था कि स्थाईकरण का काम किया जाए। इसके बावजूद शिक्षा विभाग की ओर से इन शिक्षकों को स्थाई नहीं किया जा रहा है। नियमानुसार जब तक स्थाई करने के आदेश जारी नहीं होते है, तब तक उन्हें राज्य सरकार का कर्मचारी नहीं माना जाएगा। इस बीच किसी के साथ कोई हानि हो गई तो उस स्थिति में समस्त परिलाभ से भी शिक्षक वंचित रह सकता है। 2012 भर्ती के मामले में कोर्ट प्रकरण दर्ज हुए थे। इसके बाद राज्य सरकार को आदेश मिला था, परंतु सरकार ने रिव्यू पिटीशन दाखिल की है। अब पिछले माह ही शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर स्थाई करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद स्थानीय शिक्षा विभाग में इस संबंध में अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
सरकारपर पड़ेगा वित्तीय भार
रिटायरडीईओ मोहनलाल पारगी के मुताबिक समय पर स्थाईकरण नहीं होने से सरकार के ऊपर वित्तीय भार पड़ता है। बाद में बजट अधिक होगा तो एक साथ देने में सरकार भी असमर्थ हो जाती है। 2012 के शिक्षकों के 3 साल अधिक हो गए तो एक शिक्षक को औसत 10 से 12 लाख रुपए की राशि एरियर के तौर पर बनती है। बांसवाड़ा में ही करीब 50 करोड़ रुपए से अधिक का भार पड़ेगा।
इधर,2013-015 के शिक्षकों भी स्थाई नहीं
दूसरीओर 2013 और 2015 में चयनित शिक्षकों को भी विभाग ने अब तक स्थाई नहीं किया है। इसको लेकर शिक्षक संगठनों ने कई बार विभाग को पत्र लिखकर कार्रवाई की बात कहीं है। इस संबंध में डीईओ प्रेमजी पाटीदार ने बताया कि सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों से सभी अस्थाई शिक्षकों की फाइलें मंगवा ली है और विभाग के आदेशानुसार स्थाईकरण का काम शीघ्र ही शुरू कर दिया जाएगा।
2साल की सर्विस के बाद स्थाई करना अनिवार्य
नियुक्तिके बाद नियमित रूप से 2 साल की सर्विस करने के बाद विभाग द्वारा अनिवार्य रूप से स्थाई करना होता है। यदि इसमें समय अधिक लगता है तो 2 वर्ष की तिथि के बाद से लेकर अंतिम स्थाईकरण आदेश तक एरियर का भुगतान करना पड़ता है। वित्त विभाग की गाइडलाइन के अनुसार बिना स्थाईकरण के वह राज्य सरकार से प्राप्त विभिन्न लाभ लेने का पात्र नहीं माना जाता है। एक शिक्षक योगेश शर्मा ने बताया कि सरकार की ओर से आदेश आने के बाद स्थाईकरण नहीं किया जा रहा है। इस कारण काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
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