जोधपुर । राजस्थान हाइकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्तियों के मामले में कहा है कि नियुक्ति के लिए आवेदन करते समय की परिस्थितियों का अवलोकन करना चाहिए। बाद में उत्पन्न हुई परिस्थितियों के मद्देनजर नहीं।
जस्टिस शर्मा की अदालत में गंगानगर निवासी याची सोनुदेवी की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में याचिकाकर्ता के पिता व्याख्याता के रूप में कार्यरत थे। उनका निधन 11 मार्च 2011 को हो गया। उस समय उनकी पुत्री सोनुदेवी अविवाहित थी तथा उसने दो साल बाद में अपने पिता के स्थान पर अनुकंपा नियक्ति के लिए आवेदन किया था। लेकिन बाद में वर्ष 2014 में उसका विवाह हो गया। और जब नियुक्ति देने का समय आया तो 20 फरवरी 2014 को विभाग ने उसे इस लिए अनुकंपा नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया कि बाद में उसका विवाह होगया था।
अधिवक्ता ने तर्क देते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति अधिनियम 1996 में यह स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन करते समय जो परिस्थितियां होती है। उन्ही परिस्थितियों का अवलोकन करना चाहिए, बाद की नहीं। अदालत ने अधिवक्ता बोहरा के तर्क से सहमत होते हुए याचिकाकर्ता को 3 माह में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति प्रदान करने के आदेश दिए
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जस्टिस शर्मा की अदालत में गंगानगर निवासी याची सोनुदेवी की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता प्रमेन्द्र बोहरा ने कहा कि माध्यमिक शिक्षा विभाग में याचिकाकर्ता के पिता व्याख्याता के रूप में कार्यरत थे। उनका निधन 11 मार्च 2011 को हो गया। उस समय उनकी पुत्री सोनुदेवी अविवाहित थी तथा उसने दो साल बाद में अपने पिता के स्थान पर अनुकंपा नियक्ति के लिए आवेदन किया था। लेकिन बाद में वर्ष 2014 में उसका विवाह हो गया। और जब नियुक्ति देने का समय आया तो 20 फरवरी 2014 को विभाग ने उसे इस लिए अनुकंपा नियुक्ति देने से इंकार कर दिया गया कि बाद में उसका विवाह होगया था।
अधिवक्ता ने तर्क देते हुए कहा कि अनुकंपा नियुक्ति अधिनियम 1996 में यह स्पष्ट रूप से प्रावधान है कि अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन करते समय जो परिस्थितियां होती है। उन्ही परिस्थितियों का अवलोकन करना चाहिए, बाद की नहीं। अदालत ने अधिवक्ता बोहरा के तर्क से सहमत होते हुए याचिकाकर्ता को 3 माह में अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति प्रदान करने के आदेश दिए
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