अलवर. शिक्षा विभाग पांचवीं कक्षा में कम परीक्षा परिणाम रहने पर
विद्यालय के मुखीया संस्था प्रधान और संम्बन्धित विषय अध्यापक को नोटिस
मिलेगा। पहली बार शिक्षा विभाग ऐसा प्रयोग करने जा रहा है।
शिक्षा विभाग इस बार कक्षा पांचवी में जिला स्तरीय प्रारम्भिक शिक्षा अधिगम स्तर मूल्यांकन के नाम से परीक्षा आयोजित करेगा। इसमें शिक्षा विभाग ने परीक्षा परिणाम को बेहतर बनाने की कवायद प्रारम्भ की है। इस बार शिक्षा विभाग सभी विद्यार्थियो को ग्रेड देगा जिसमें सी और डी ग्रेड वाले परिणाम को कमजोर माना जाएगा।
यह परीक्षा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के दिशा निर्देशानुसार होगी जिसके प्रमाण पत्र डाइट तैयार करवाएगा। प्रमाण पत्र पर सभी विषयों की ग्रेड लिखी जाएगी जिस पर ग्रेडिंग युक्त प्रमाण पत्र लिखा गया है।
विद्यार्थी को 20 प्रतिशत सत्रांक और 80 प्रतिशत अंक सैद्धांतिक के आधार पर दिए जाएगा। इसमें प्राइवेट स्टूडेंट का प्रावधान नही है जिसमें सरकारी स्कूलों के सभी विद्यार्थियों को शामिल होना होगा। इस परीक्षा में पुनर्मूल्यांकन का भी प्रावधान नहीं है।
ऐसे मिलेगी ग्रेड, कम ग्रेड पर होगी कारवाई-
इस परीक्षा में 90 से 100 प्रतिशत अंक आने पर ए प्लस, 76 से 90 प्रतिशत पर ए ग्रेड, 61 से 75 प्रतिशत अंक आने पर बी ग्रेड, 41 से 60 प्रतिशत अंक आने पर सी ग्रेड तथा 40 प्रतिशत अंक तक डी ग्रेड प्रदान की जाएगी।
्यदि किसी स्कूल में सी ग्रेड वाले विद्यार्थियों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है तो हैडमास्टर और शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई होगी। इससे पहले डी ग्रेड 50 प्रतिशत से अधिक आने पर ही आठवीं बोर्ड में हैडमास्टर और शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाती थी।
इसके तहत यदि पांचवीं कक्षा के किसी विद्यार्थी को सी और डी ग्रेड मिली तो सम्बन्धित विद्यालय और शिक्षक के खिलाफ 17 सीसी की कार्रवाई की जाएगी। 17 सीसी में शिक्षा विभाग पहले नोटिस जारी करेगा उन्हें बुलाएगा। यदि संस्था प्रधान के जवाब से विभाग संतुष्ट नहीं हुआ तो हैडमास्टरी के खिलाफ निलंबन और वेतन बढ़ोतरी की कार्रवाई भी हो सकती है।
शिक्षा विभाग की ओर से पहली बार छोटी कक्षाओं में अंक कम आने पर आने पर कार्रवाई करेगा इसको लेकर शिक्षकों में खलबली बनी हुई है।
शिक्षकों का अपना तर्क कि यदि कक्षा आठवीं तक फेल करने का प्रावधान नहीं है तो बच्चों में पढऩे के भाव ही नहीं आ पाते हैं। शिक्षक संघों के पदाधिकारी राजेन्द्र शर्मा, मनोज यादव, विनोद पाल यादव, ऋषि यादव, लाला राम सैनी सैकंडरी बोर्ड में भी इतने कठिन प्रावधान नहीं है। सरकार को शिक्षकों के उपलब्ध संसाधनों का भी ध्यान रखना चाहिए।
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शिक्षा विभाग इस बार कक्षा पांचवी में जिला स्तरीय प्रारम्भिक शिक्षा अधिगम स्तर मूल्यांकन के नाम से परीक्षा आयोजित करेगा। इसमें शिक्षा विभाग ने परीक्षा परिणाम को बेहतर बनाने की कवायद प्रारम्भ की है। इस बार शिक्षा विभाग सभी विद्यार्थियो को ग्रेड देगा जिसमें सी और डी ग्रेड वाले परिणाम को कमजोर माना जाएगा।
यह परीक्षा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान के दिशा निर्देशानुसार होगी जिसके प्रमाण पत्र डाइट तैयार करवाएगा। प्रमाण पत्र पर सभी विषयों की ग्रेड लिखी जाएगी जिस पर ग्रेडिंग युक्त प्रमाण पत्र लिखा गया है।
विद्यार्थी को 20 प्रतिशत सत्रांक और 80 प्रतिशत अंक सैद्धांतिक के आधार पर दिए जाएगा। इसमें प्राइवेट स्टूडेंट का प्रावधान नही है जिसमें सरकारी स्कूलों के सभी विद्यार्थियों को शामिल होना होगा। इस परीक्षा में पुनर्मूल्यांकन का भी प्रावधान नहीं है।
ऐसे मिलेगी ग्रेड, कम ग्रेड पर होगी कारवाई-
इस परीक्षा में 90 से 100 प्रतिशत अंक आने पर ए प्लस, 76 से 90 प्रतिशत पर ए ग्रेड, 61 से 75 प्रतिशत अंक आने पर बी ग्रेड, 41 से 60 प्रतिशत अंक आने पर सी ग्रेड तथा 40 प्रतिशत अंक तक डी ग्रेड प्रदान की जाएगी।
्यदि किसी स्कूल में सी ग्रेड वाले विद्यार्थियों की संख्या 50 प्रतिशत से अधिक है तो हैडमास्टर और शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई होगी। इससे पहले डी ग्रेड 50 प्रतिशत से अधिक आने पर ही आठवीं बोर्ड में हैडमास्टर और शिक्षक के खिलाफ कार्रवाई की जाती थी।
इसके तहत यदि पांचवीं कक्षा के किसी विद्यार्थी को सी और डी ग्रेड मिली तो सम्बन्धित विद्यालय और शिक्षक के खिलाफ 17 सीसी की कार्रवाई की जाएगी। 17 सीसी में शिक्षा विभाग पहले नोटिस जारी करेगा उन्हें बुलाएगा। यदि संस्था प्रधान के जवाब से विभाग संतुष्ट नहीं हुआ तो हैडमास्टरी के खिलाफ निलंबन और वेतन बढ़ोतरी की कार्रवाई भी हो सकती है।
शिक्षा विभाग की ओर से पहली बार छोटी कक्षाओं में अंक कम आने पर आने पर कार्रवाई करेगा इसको लेकर शिक्षकों में खलबली बनी हुई है।
शिक्षकों का अपना तर्क कि यदि कक्षा आठवीं तक फेल करने का प्रावधान नहीं है तो बच्चों में पढऩे के भाव ही नहीं आ पाते हैं। शिक्षक संघों के पदाधिकारी राजेन्द्र शर्मा, मनोज यादव, विनोद पाल यादव, ऋषि यादव, लाला राम सैनी सैकंडरी बोर्ड में भी इतने कठिन प्रावधान नहीं है। सरकार को शिक्षकों के उपलब्ध संसाधनों का भी ध्यान रखना चाहिए।
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