भरतपुर. संभाग में थर्ड ग्रेड शिक्षकों की डीपीसी के
नाम पर हर साल मामले सामने आते रहे हैं, इस बार कुछ शिक्षक संगठनों की
जागरुकता व रिकॉर्ड खंगालने के बाद और भी हैरान करने वाले प्रकरण सामने आए
हैं। उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने 27 मई अंक में जिनका वर्षों पहले
प्रमोशन हो चुका, उनका भी दिया पात्रता सूची में नाम शीर्षक से समाचार
प्रकाशित कर मामले का खुलासा किया था।
इसके बाद से ही इस मामले को प्रमुखता से उठाया जा रहा है। इसमें अस्थायी पात्रता सूची की तमाम खामियों को सामने लाया गया है।
जानकारी के अनुसार संयुक्त निदेशक कार्यालय में पदोन्नति सूचियों में गड़बड़ी का खेल कुछ यूं चलता है कि वे चाहे तो किसी को भी वरिष्ठ या कनिष्ठ दिखा सकते हैं। या कार्यालय के अधिकारी और बाबू चाहें तो किसी को भी प्रमोशन मिल सकता है। इसकी बानगी यह है कि संयुक्त निदेशक कार्यालय भरतपुर की ओर से बीते साल संभाग के वरिष्ठ अध्यापक सामान्य 2019-20 की नियमित डीपीसी के लिए जारी की गई स्थाई पात्रता सूची के पात्रता क्रमांक 195 व मंडल मिश्रित वरीयता क्रमांक 2399 पर दर्ज धौलपुर की शिक्षिका का नाम प्रमोशन के लिए शामिल था, लेकिन इस साल की अस्थाई व स्थाई दोनों सूचियों में से इस शिक्षिका का नाम गायब कर दिया गया। असल मे काफी कनिष्ठ होते हुए भी इस शिक्षिका की नियुक्ति तिथि 31 मार्च 1995 है, लेकिन इसको 24 अप्रेल 2016 को ही पदोन्नति देकर प्रधानाध्यापक के पद पर पदस्थापन दे दिया गया। जबकि अभी धौलपुर जिले के 1991 में नियुक्त बड़ी संख्या में शिक्षक पदोन्नति की बाट जोह रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि संयुक्त निदेशक कार्यालय के ने अपनी गलती पर पर्दा डालते हुए वरिष्ठता सूची में से 5399 की वरिष्ठता क्रमांक पर अंकित शिक्षिका का नाम गायब कर दिया, ताकि यह गफलत शिक्षकों से छिपी रहे। ऐसा नहीं है कि इस प्रकरण की स्थानीय कार्यालय को शिकायत नहीं हुई। कई बार पदोन्नति से वंचित शिक्षकों ने लिखित में समय-समय पर तत्कालीन उप निदेशक कार्यालय को शिकायत भी की गई। पदोन्नति से जुड़े अधिकारी कर्मचारी इस प्रक्रिया में शामिल थे, इसलिए जिम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाही तो दूर मामले को दबा दिया गया। यही नहीं सामान्य की सूची में वरिष्ठता क्रमांक 4278 पर अर्जुन सिंह, 4300 पर सुनील कुमार, 4304 पर जगदीश बाबू सक्सेना, 4317 पर रामप्रकाश आदि शिक्षकों की नियुक्ति तिथि 23 सितंबर 1991 है। जबकि वरिष्ठता सूची में इनसे कनिष्ठ शिक्षक श्याम वरन, हरीसिंह, भगवान दास आदि जिनकी नियुक्ति तिथि 1992 की है उनके नाम वरिष्ठता सूची में काफी ऊपर दर्शाए गए। संबंधित शिक्षकों ने संयुक्त निदेशक को पत्र लिखकर सूची में नियुक्ति तिथि के आधार पर वरिष्ठता क्रम सही निर्धारित करने की मांग की है। वहीं इस मामले की शिकायत कैबीनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह से भी की गई है।
सूची में दिखाते हैं जन्मतिथि लेकिन नियुक्ति तिथि नहीं
डीपीसी की सूचियों में पिछले कुछ साल से शिक्षकों की सिर्फ जन्मतिथि लिखी जा रही है, नियुक्ति तिथि अंकित करना ही बंद कर दिया है, ताकि वरिष्ठता के बारे में अन्य शिक्षकों को भी पता नहीं चल सके। जबकि नियुक्ति तिथि से ही वरिष्ठता निर्धारित होती है। प्रमोशन सूचियों में पहले नियुक्ति तिथि लिखी जाती थी।
शिक्षक संघ शेखावत ने कैबीनेट मंत्री को सौंपा ज्ञापन
भरतपुर. राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश संयुक्त मंत्री पवन शर्मा, अशोक सिसोदिया, बलवीर सिंह धरसौनी, विष्णुदत्त शर्मा ने कैबीनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन में उल्लेख किया है कि ग्रेड थर्ड शिक्षकों की डीपीसी की सूचियों में गड़बड़ी को लेकर संयुक्त निदेशक को ज्ञापन दिया गया था। यह मामला लगातार उठाया जा रहा है। उक्त पुष्टि खुद कार्यालय संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा के 30 मई के पत्र से भी हो चुकी है। संभाग स्तरीय पदोन्नति के लिए जारी पात्रता सूची में गड़बड़ी बरती ाज रही है। राज्य सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे अधिकारी व कर्मचारियों के विरुद्ध जांच कर पात्र शिक्षकों को न्याय दिलाया जाना चाहिए। साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
इसके बाद से ही इस मामले को प्रमुखता से उठाया जा रहा है। इसमें अस्थायी पात्रता सूची की तमाम खामियों को सामने लाया गया है।
जानकारी के अनुसार संयुक्त निदेशक कार्यालय में पदोन्नति सूचियों में गड़बड़ी का खेल कुछ यूं चलता है कि वे चाहे तो किसी को भी वरिष्ठ या कनिष्ठ दिखा सकते हैं। या कार्यालय के अधिकारी और बाबू चाहें तो किसी को भी प्रमोशन मिल सकता है। इसकी बानगी यह है कि संयुक्त निदेशक कार्यालय भरतपुर की ओर से बीते साल संभाग के वरिष्ठ अध्यापक सामान्य 2019-20 की नियमित डीपीसी के लिए जारी की गई स्थाई पात्रता सूची के पात्रता क्रमांक 195 व मंडल मिश्रित वरीयता क्रमांक 2399 पर दर्ज धौलपुर की शिक्षिका का नाम प्रमोशन के लिए शामिल था, लेकिन इस साल की अस्थाई व स्थाई दोनों सूचियों में से इस शिक्षिका का नाम गायब कर दिया गया। असल मे काफी कनिष्ठ होते हुए भी इस शिक्षिका की नियुक्ति तिथि 31 मार्च 1995 है, लेकिन इसको 24 अप्रेल 2016 को ही पदोन्नति देकर प्रधानाध्यापक के पद पर पदस्थापन दे दिया गया। जबकि अभी धौलपुर जिले के 1991 में नियुक्त बड़ी संख्या में शिक्षक पदोन्नति की बाट जोह रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि संयुक्त निदेशक कार्यालय के ने अपनी गलती पर पर्दा डालते हुए वरिष्ठता सूची में से 5399 की वरिष्ठता क्रमांक पर अंकित शिक्षिका का नाम गायब कर दिया, ताकि यह गफलत शिक्षकों से छिपी रहे। ऐसा नहीं है कि इस प्रकरण की स्थानीय कार्यालय को शिकायत नहीं हुई। कई बार पदोन्नति से वंचित शिक्षकों ने लिखित में समय-समय पर तत्कालीन उप निदेशक कार्यालय को शिकायत भी की गई। पदोन्नति से जुड़े अधिकारी कर्मचारी इस प्रक्रिया में शामिल थे, इसलिए जिम्मेदारों के खिलाफ कार्यवाही तो दूर मामले को दबा दिया गया। यही नहीं सामान्य की सूची में वरिष्ठता क्रमांक 4278 पर अर्जुन सिंह, 4300 पर सुनील कुमार, 4304 पर जगदीश बाबू सक्सेना, 4317 पर रामप्रकाश आदि शिक्षकों की नियुक्ति तिथि 23 सितंबर 1991 है। जबकि वरिष्ठता सूची में इनसे कनिष्ठ शिक्षक श्याम वरन, हरीसिंह, भगवान दास आदि जिनकी नियुक्ति तिथि 1992 की है उनके नाम वरिष्ठता सूची में काफी ऊपर दर्शाए गए। संबंधित शिक्षकों ने संयुक्त निदेशक को पत्र लिखकर सूची में नियुक्ति तिथि के आधार पर वरिष्ठता क्रम सही निर्धारित करने की मांग की है। वहीं इस मामले की शिकायत कैबीनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह से भी की गई है।
सूची में दिखाते हैं जन्मतिथि लेकिन नियुक्ति तिथि नहीं
डीपीसी की सूचियों में पिछले कुछ साल से शिक्षकों की सिर्फ जन्मतिथि लिखी जा रही है, नियुक्ति तिथि अंकित करना ही बंद कर दिया है, ताकि वरिष्ठता के बारे में अन्य शिक्षकों को भी पता नहीं चल सके। जबकि नियुक्ति तिथि से ही वरिष्ठता निर्धारित होती है। प्रमोशन सूचियों में पहले नियुक्ति तिथि लिखी जाती थी।
शिक्षक संघ शेखावत ने कैबीनेट मंत्री को सौंपा ज्ञापन
भरतपुर. राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश संयुक्त मंत्री पवन शर्मा, अशोक सिसोदिया, बलवीर सिंह धरसौनी, विष्णुदत्त शर्मा ने कैबीनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की। ज्ञापन में उल्लेख किया है कि ग्रेड थर्ड शिक्षकों की डीपीसी की सूचियों में गड़बड़ी को लेकर संयुक्त निदेशक को ज्ञापन दिया गया था। यह मामला लगातार उठाया जा रहा है। उक्त पुष्टि खुद कार्यालय संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा के 30 मई के पत्र से भी हो चुकी है। संभाग स्तरीय पदोन्नति के लिए जारी पात्रता सूची में गड़बड़ी बरती ाज रही है। राज्य सरकार की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसे अधिकारी व कर्मचारियों के विरुद्ध जांच कर पात्र शिक्षकों को न्याय दिलाया जाना चाहिए। साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
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