जोधपुर जयनारायण
व्यास विश्वविद्यालय शिक्षक भर्ती घोटाले की आंच अब 34 असिस्टेंट प्रोफेसर
की नौकरी पर गाज गिरना तय है। राजभवन के आदेश और कमेटी की रिपोर्ट पर
कार्रवाई करते हुए विवि ने मंगलवार को सभी शिक्षकों को नोटिस जारी कर
उन्हें जवाब देने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
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डाक से नोटिस भेज दिए
विवि ने असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की भर्ती के आवेदन की अंतिम तिथि 25 जनवरी 2012 तक निर्धारित योग्यता नहीं रखने वाले 33 शिक्षकों को नोटिस जारी किए है। इनमें अधिकतर वह हैं जिनकी पीएचडी आवेदन की अंतिम तिथि तक यूजीसी रेगुलेशन 2009 के तहत नहीं थी। वहीं शेष अभ्यॢथयों के पास आवेदन की अंतिम तिथि तक निर्धारित योग्यता नहीं थी।
ये हैं नाम
अंग्रेजी में राखी व्यास, ऋचा बोहरा, वीनू जॉर्ज, विभा भूत, हितेन्द्र गोयल, विवेक, भूगोल में ललित सिंह झाला, इतिहास में प्रतिभा सांखला, महेन्द्र पुरोहित, व्यावसायिक प्रशासन में उम्मेदराज तातेड़, आशा राठी, आशीष माथुर, रमेश चौहान, मनीष वढेरा, वनस्पतिशास्त्र में रचना दिनेश, कामना शर्मा, रसायन शास्त्र में संगीता परिहार, ओमप्रकाश, सीमा परवीन, अमिता धारीवाल, भूगर्भ-शास्त्र में विरेन्द्र परिहार, भौतिक शास्त्र में शिवकुमार बरबड़, प्राणिशास्त्र में लेखु गहलोत, हेमसिंह गहलोत, पूनम पूनियां, हिन्दी में कामिनी ओझा, राजनीति विज्ञान में नगेन्द्र सिंह भाटी, लोक प्रशासन में शरद शेखावत और समाजशास्त्र में राजेन्द्र सिंह खींची, ऋषभ गहलोत, अर्थशास्त्र में जया भंडारी, रजनीकांत त्रिवेदी और मनोविज्ञान की हेमलता जोशी शामिल हैं।
सुरेन्द्र को दिया आरक्षण का गलत फायदा
विवि ने राज्य के बाहर के अभ्यर्थी को नियम के विरुद्ध आरक्षण का फायदा देकर उसका चयन कर लिया। विवि के म्यूजिक विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद चयनित अभ्यर्थी सुरेन्द्र कुमार मूलत: बिहार निवासी है। सुरेन्द्र ने म्यूजिक विभाग में अस्सिटेंट प्रोफेसर पद के एससी वर्ग में आवेदन किया था। आरटीआई में विवि की ओर से प्राप्त दस्तावेजों में सुरेन्द्र कुमार का जाति प्रमाण पत्र बिहार के जिला कैमूर (भभुआ) का है।
आरक्षण का फायदा
विवि प्रशासन ने बिहार में बने जाति प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक भर्ती में आरक्षण का फायदा दे दिया। नियमानुसार आरक्षण का फायदा अभ्यर्थी को गृह राज्य (होम स्टेट) में मिलता है, न कि दूसरे राज्य में। दूसरे राज्य के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को भर्ती के दौरान सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी की तरह माना जाता है। सुरेन्द्र का आवेदन स्क्रूटनी के समय ही खारिज हो जाना चाहिए था।
इन
34 में से एक असिस्टेंट प्रोफेसर को गलत आरक्षण का लाभ लेने के कारण नोटिस
जारी किया है। विवि ने सभी पंजीकृत डाक से नोटिस भेज दिए हैं। सूत्रों के
अनुसार विवि कोर्ट में बुधवार को कैविएट लगाने का विचार कर रहा है।
शिक्षकों को नोटिस जारीविवि ने असिस्टेंट प्रोफेसर पदों की भर्ती के आवेदन की अंतिम तिथि 25 जनवरी 2012 तक निर्धारित योग्यता नहीं रखने वाले 33 शिक्षकों को नोटिस जारी किए है। इनमें अधिकतर वह हैं जिनकी पीएचडी आवेदन की अंतिम तिथि तक यूजीसी रेगुलेशन 2009 के तहत नहीं थी। वहीं शेष अभ्यॢथयों के पास आवेदन की अंतिम तिथि तक निर्धारित योग्यता नहीं थी।
ये हैं नाम
अंग्रेजी में राखी व्यास, ऋचा बोहरा, वीनू जॉर्ज, विभा भूत, हितेन्द्र गोयल, विवेक, भूगोल में ललित सिंह झाला, इतिहास में प्रतिभा सांखला, महेन्द्र पुरोहित, व्यावसायिक प्रशासन में उम्मेदराज तातेड़, आशा राठी, आशीष माथुर, रमेश चौहान, मनीष वढेरा, वनस्पतिशास्त्र में रचना दिनेश, कामना शर्मा, रसायन शास्त्र में संगीता परिहार, ओमप्रकाश, सीमा परवीन, अमिता धारीवाल, भूगर्भ-शास्त्र में विरेन्द्र परिहार, भौतिक शास्त्र में शिवकुमार बरबड़, प्राणिशास्त्र में लेखु गहलोत, हेमसिंह गहलोत, पूनम पूनियां, हिन्दी में कामिनी ओझा, राजनीति विज्ञान में नगेन्द्र सिंह भाटी, लोक प्रशासन में शरद शेखावत और समाजशास्त्र में राजेन्द्र सिंह खींची, ऋषभ गहलोत, अर्थशास्त्र में जया भंडारी, रजनीकांत त्रिवेदी और मनोविज्ञान की हेमलता जोशी शामिल हैं।
सुरेन्द्र को दिया आरक्षण का गलत फायदा
विवि ने राज्य के बाहर के अभ्यर्थी को नियम के विरुद्ध आरक्षण का फायदा देकर उसका चयन कर लिया। विवि के म्यूजिक विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पद चयनित अभ्यर्थी सुरेन्द्र कुमार मूलत: बिहार निवासी है। सुरेन्द्र ने म्यूजिक विभाग में अस्सिटेंट प्रोफेसर पद के एससी वर्ग में आवेदन किया था। आरटीआई में विवि की ओर से प्राप्त दस्तावेजों में सुरेन्द्र कुमार का जाति प्रमाण पत्र बिहार के जिला कैमूर (भभुआ) का है।
आरक्षण का फायदा
विवि प्रशासन ने बिहार में बने जाति प्रमाण पत्र के आधार पर शिक्षक भर्ती में आरक्षण का फायदा दे दिया। नियमानुसार आरक्षण का फायदा अभ्यर्थी को गृह राज्य (होम स्टेट) में मिलता है, न कि दूसरे राज्य में। दूसरे राज्य के आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को भर्ती के दौरान सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी की तरह माना जाता है। सुरेन्द्र का आवेदन स्क्रूटनी के समय ही खारिज हो जाना चाहिए था।
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