अजमेर। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में शिक्षकों और अधिकारियों की
भर्ती प्रक्रिया फिर शुरू होगी। उच्च स्तर पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है।
प्रशासन जल्द भर्तियों के लिए आवेदन मांग सकता है।
विश्वविद्यालयय में विभागवार 20 शिक्षकों की भर्ती होनी है। इनमें
विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और अन्य संकाय के विषय शामिल हैं। पिछले साल
विश्वविद्यालय सिर्फ जूलॉजी और बॉटनी विभाग के प्रोफेसर की भर्ती कर सका
था। इसके बाद हाईकोर्ट में रोक, स्थाई कुलपति नहीं होने और तकनीकी कारणों
से भर्तियां अटक गई। कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली शिक्षकों और अधिकारियों के
रिक्त पदों पर भर्तियां कराने के इच्छुक हैं।
उच्च स्तर पर कवायद शुरू
अधिकृत सूत्रों के मुताबिक भर्तियों को लेकर उच्च स्तरीय कवायद शुरू हो
गई है। पूर्व में मिले पदों की समीक्षा, आवेदनों की संख्या, तकनीकी अड़चनों
का अध्ययन किया जा रहा है। विश्वविद्यालय को साल 2016 में कई शैक्षिक पदों
के लिए पर्याप्त आवेदन नहीं मिले थे। इसको देखते हुए उन पदों पर दोबारा
आवेदन मांगे जाएंगे। इसी तरह परीक्षा नियंत्रक, शोध निदेशक और अन्य पदों की
भर्तियां के लिए भी आवेदन लिए जा सकते हैं।
इन शैक्षिक विभागों में भर्तियां (विवि के अनुसार)
प्रोफेसर- इकोनॉमिक्स, प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री, रीडर-बॉटनी (2),
इकोनॉमिक्स (1), भूगोल (1), इतिहास (2), गणित (1), राजनीति विज्ञान (2),
प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री (1), समाजशास्त्र (1), जूलॉजी
(2)लेक्चरर-कम्प्यूटर एप्लीकेशन (1), भूगोल (1), प्योर एन्ड एप्लाइड
केमिस्ट्री (1), समाजशास्त्र (1), जूलॉजी (1)
शिक्षकों की कमी से पिछड़ा विश्वविद्यालय
विश्वविद्यालय के शैक्षिक क्षेत्र में पिछडऩे का एकमात्र कारण शिक्षकों
की कमी है। यहां साल 2000-01 के बाद लगातार शिक्षकों की सेवानिवृत्ति जारी
है। इस दौरान केवल एक बार कम्प्यूटर विभाग में लेक्चरर की नियुक्ति हुई,
लेकिन शिक्षिका नौकरी छोड़कर चली गई। इसके बाद पिछले साल जूलॉजी और बॉटनी
में प्रोफेसर की नियुक्ति हुई। इतिहास, राजनीति विज्ञान, रिमोट सेंसिंग में
एक भी स्थाई शिक्षक नहीं है। कॉमर्स, कम्प्यूटर विज्ञान, प्योर एन्ड
एप्लाइड केमिस्ट्री, अर्थशास्त्र, जनसंख्या अध्ययन विभाग में महज एक-एक
शिक्षक है। लॉ, हिन्दी और पत्रकारिता विभाग में शिक्षकों के पद सृजित नहीं
हुए हैं।
वो पुराना विवाद....
साल 2007 में विश्वविद्यालय ने शिक्षकों के सात पदों के लिए साक्षात्कार कराए गए थे। भर्ती में आरक्षण का ध्यान
नहीं रखने, देर रात तक साक्षात्कार कराने जैसी शिकायतों पर तत्कालीन
राज्यपाल ए. आर. किदवई ने विश्वविद्यालय प्रबंध मंडल की बैठक और लिफाफे
खोलने पर रोक लगा दी। इसके बाद वर्ष 2009 में तत्कालीन राज्यपाल एस. के.
सिंह ने भर्ती प्रक्रिया के तहत लिफाफे और पैनल निरस्त कर दिए थे।
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