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Monday 30 April 2018

कहीं आप तो नहीं कर बीएड शिक्षक से पीएचडी, भुगतना न पड़ जाए ये अंजाम!

जोधपुर . प्रदेश के अधिकांश विश्वविद्यालय छात्रों को फर्जी पीएचडी डिग्रियां दे रहे हैं। जयपुर के राजस्थान विश्वविद्यालय को छोड़ किसी भी विवि में शिक्षा विभाग ही नहीं है। राजस्थान विवि के शिक्षा विभाग में भी शिक्षक नहीं है। ऐसे में वहां भी नियम विरुद्ध पीएचडी हो रही है।
शेष विवि तो बगैर शिक्षा विभाग के ही बीएड कॉलेज व्याख्याताओं को पीएचडी सुपरवाइजर बना छात्रों को पीएचडी करवा रहे हैं। हाल ही जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय ने भी तीन बीएड शिक्षकों को पीएचडी सुपरवाइजर बनाया है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के रेगुलेशन, 2016 और राज्यपाल के 21 अप्रेल 2017 के पत्र के नियमों के अनुसार पीएचडी केवल असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर करवा सकते हैं। पीएचडी सुपरइवाजर को किसी विवि अथवा महाविद्यालय का पूर्णकालिक शिक्षक होना चाहिए। प्रदेश के बीएड महाविद्यालयों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के पदनाम ही नहीं हैं। विवि और महाविद्यालयों में शिक्षा विभाग नहीं होने से बीएड शिक्षकों को व्याख्याता, वाइस प्रिंसिपल और प्रिंसिपल पदनाम मिले हुए हैं। व्याख्याता पीएचडी सुपरवाइजर बनने के योग्य नहीं है। प्रोफेसर एक साथ आठ शोधार्थियों, एसोसिएट प्रोफेसर छह और असिस्टेंट प्रोफेसर चार शोधार्थियों को पीएचडी करवा सकते हैं।

जेएनवीयू के साथ उदयपुर के मोहनलाल सुखाडिय़ा विवि, अजमेर के एमडीएस विवि, बीकानेर के गंगासिंह विवि सहित सभी विवि में वर्तमान में नियम विरुद्ध पीएचडी सुपरवाइजर हैं। राजस्थान विवि में शिक्षा विभाग है, लेकिन वहां भी सम्बद्ध कॉलेजों के व्याख्याता सुपरवाइजर हैं। सेवानिवृत्त बीएड व्याख्याता जितेंद्र शर्मा ने इस संबंध में राज्यपाल को पत्र लिखकर सभी विवि में बीएड पीएचडी पर रोक लगाने की मांग भी की है।

पहले से चल रही परंपरा
वर्ष 2016 से पहले पांच साल एमएड पढ़ाने का अनुभव रखने वाले और पीएचडी धारक बीएड शिक्षक को सुपरवाइजर बना दिया जाता था। यह परंपरा अब भी चल रही है। विवि सिंडीकेट में रेगुलेशन पास करें तो पीएचडी सुपरवाइजर की वैधता स्थापित हो सकती है।
शिरीष बालिया, प्रिंसिपल, शाह गोवद्र्धनलाल काबरा शिक्षक प्रशिक्षण महाविद्यालय

नियमों का पता करवाते हैं

नए यूजीसी नियमों के बारे में पता करवाते हैं। नए नियम देखने के बाद विवि प्रशासन कोई निर्णय करेगा।

प्रो. पीके शर्मा (बी), रजिस्ट्रार, जेएनवीयू जोधपुर

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