जयपुर। कार्मिकविभाग ने नियमों और आदेशों को ताक पर रखकर मृतक आश्रितों की
वरिष्ठता को नए सिरे से परिभाषित कर दिया है। इसके जरिए चहेते कर्मचारियों
को वरिष्ठता में ऊपर किया गया है, जबकि 28 मृतक आश्रितों को सूची में नीचे
कर दिया गया है।
कार्मिक विभाग की ओर से हाल ही में वरिष्ठता सूची जारी की गई है, जिस पर पीड़ित कर्मचारियों की ओर से आपत्ति की गई है।
साथ ही नए सिरे से वरिष्ठता सूची को रिव्यू करने की मांग की गई है। सितंबर 2014 में तत्कालीन सचिव कार्मिक आलोक गुप्ता ने नोटशीट पर नियमों का हवाला देकर स्पष्ट किया था कि मृतक आश्रितों की वरिष्ठता कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से निर्धारित की जाएगी। उसके बाद सितंबर 2016 में सचिव कार्मिक भास्कर सावंत की ओर से भी टिप्पणी की गई, जिसमें मृतक आश्रितों की वरिष्ठता नियमानुसार करने के लिए उल्लेख किया। इसके बाद 22 सितंबर 2017 को तत्कालीन संयुक्त सचिव कार्मिक क-2 अवधेश सिंह की ओर से टिप्पणी की गई कि मृतक आश्रितों की वरिष्ठता कार्यभार ग्रहण की तिथि से मानी जाएगी। इसके बाद तत्कालीन संयुक्त सचिव कार्मिक-ख महेंद्र सोनी के स्तर पर उक्त आदेशों को नए सिरे से परिभाषित किया गया। उन्होंने लिखा कि मृतक आश्रित जब तक कंप्यूटर टेस्ट पास नहीं करेंगे, तब तक उनकी वरिष्ठता नहीं काउंट की जाएगी। उसके आधार पर लगभग 28 मृतक आश्रितों को प्रमोशन से वंचित कर दिया गया। आरपीएससी से 2013 में चयनित कर्मचारियों को तदर्थ प्रमोट किया जा चुका है। जबकि इनका मामला अभी कानूनी विवाद में चल रहा है। इसे अंतिम तौर पर चयनित भी नहीं माना जा सकता। इसके बावजूद इन्हें छह माह पहले ही तदर्थ तौर पर प्रमोट किया गया।
कार्मिक विभाग की ओर से हाल ही में वरिष्ठता सूची जारी की गई है, जिस पर पीड़ित कर्मचारियों की ओर से आपत्ति की गई है।
साथ ही नए सिरे से वरिष्ठता सूची को रिव्यू करने की मांग की गई है। सितंबर 2014 में तत्कालीन सचिव कार्मिक आलोक गुप्ता ने नोटशीट पर नियमों का हवाला देकर स्पष्ट किया था कि मृतक आश्रितों की वरिष्ठता कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से निर्धारित की जाएगी। उसके बाद सितंबर 2016 में सचिव कार्मिक भास्कर सावंत की ओर से भी टिप्पणी की गई, जिसमें मृतक आश्रितों की वरिष्ठता नियमानुसार करने के लिए उल्लेख किया। इसके बाद 22 सितंबर 2017 को तत्कालीन संयुक्त सचिव कार्मिक क-2 अवधेश सिंह की ओर से टिप्पणी की गई कि मृतक आश्रितों की वरिष्ठता कार्यभार ग्रहण की तिथि से मानी जाएगी। इसके बाद तत्कालीन संयुक्त सचिव कार्मिक-ख महेंद्र सोनी के स्तर पर उक्त आदेशों को नए सिरे से परिभाषित किया गया। उन्होंने लिखा कि मृतक आश्रित जब तक कंप्यूटर टेस्ट पास नहीं करेंगे, तब तक उनकी वरिष्ठता नहीं काउंट की जाएगी। उसके आधार पर लगभग 28 मृतक आश्रितों को प्रमोशन से वंचित कर दिया गया। आरपीएससी से 2013 में चयनित कर्मचारियों को तदर्थ प्रमोट किया जा चुका है। जबकि इनका मामला अभी कानूनी विवाद में चल रहा है। इसे अंतिम तौर पर चयनित भी नहीं माना जा सकता। इसके बावजूद इन्हें छह माह पहले ही तदर्थ तौर पर प्रमोट किया गया।
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