राजस्थान हाईकोर्ट ने शुक्रवार को विभिन्न रिट याचिकाएं स्वीकार करते हुए एक
महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि सीनियर सैकंडरी स्कूलों के प्रधानाचार्य पदों
पर स्कूल लेक्चरर कैडर से 67 फीसदी और सैकंडरी स्कूल हैडमास्टर कैडर से 33
फीसदी अनुपात में ही डीपीसी की जाएगी।
याचिकाकर्ता हनुमानराम चौधरी अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर सिंघवी अधिवक्ता हरीश पुरोहित, बीएस संधू ने रिट याचिकाएं दायर कर कोर्ट को बताया कि राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 1970 में 25 मार्च 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी कर संशोधन किया गया था। इस संशोधन के अनुसार स्कूल प्रधानाचार्य की डीपीसी के लिए स्कूल लेक्चरर कैडर से 67 फीसदी तथा सैकंडरी स्कूल हैडमास्टर कैडर से 33 फीसदी योग्य अभ्यर्थी लेने का प्रावधान किया गया था। वर्ष 17-18 के लिए 2843 स्कूल प्रधानाचार्य पदों के लिए डीपीसी की जा रही है, जबकि इसमें स्कूल लेक्चरर कैडर से 1117 तथा सैकंडरी स्कूल हैडमास्टर कैडर से 1726 अभ्यर्थियों को डीपीसी की सूची में शामिल किया गया, जो शिक्षा सेवा नियमों का खुला उल्लंघन है। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पीआर सिंह जोधा ने पैरवी कर कोर्ट को बताया कि प्रिंसिपल सीनियर सैकंडरी स्कूल के कुल कैडर का विभाजन किया जा रहा है कि वर्तमान रिक्तियों के अनुसार और इसी प्रक्रिया से ही पदोन्नति होती आई है। यह प्रक्रिया पूरी तरह उचित है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल हैडमास्टर कोटे में अभ्यर्थी नहीं मिले थे, इसलिए उन्हें इस वर्ष कैरी फॉरवर्ड कर भरा जाएगा। दोनों पक्ष सुनने के बाद जस्टिस दिनेश मेहता ने सभी रिट याचिकाएं स्वीकार करते हुए सरकार की ओर से वर्तमान में अपनाई जा रही डीपीसी प्रक्रिया को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि नोटिफिकेशन के अनुसार स्कूल लेक्चरर कैडर से 67 फीसदी तथा सैकंडरी स्कूल हैडमास्टर कैडर से 33 फीसदी के अनुपात में ही डीपीसी की जाए। उन्होंने कैडर स्ट्रेंथ लागू नहीं करने के आदेश दिए हैं।
याचिकाकर्ता हनुमानराम चौधरी अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एमआर सिंघवी अधिवक्ता हरीश पुरोहित, बीएस संधू ने रिट याचिकाएं दायर कर कोर्ट को बताया कि राजस्थान शिक्षा सेवा नियम 1970 में 25 मार्च 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी कर संशोधन किया गया था। इस संशोधन के अनुसार स्कूल प्रधानाचार्य की डीपीसी के लिए स्कूल लेक्चरर कैडर से 67 फीसदी तथा सैकंडरी स्कूल हैडमास्टर कैडर से 33 फीसदी योग्य अभ्यर्थी लेने का प्रावधान किया गया था। वर्ष 17-18 के लिए 2843 स्कूल प्रधानाचार्य पदों के लिए डीपीसी की जा रही है, जबकि इसमें स्कूल लेक्चरर कैडर से 1117 तथा सैकंडरी स्कूल हैडमास्टर कैडर से 1726 अभ्यर्थियों को डीपीसी की सूची में शामिल किया गया, जो शिक्षा सेवा नियमों का खुला उल्लंघन है। सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता पीआर सिंह जोधा ने पैरवी कर कोर्ट को बताया कि प्रिंसिपल सीनियर सैकंडरी स्कूल के कुल कैडर का विभाजन किया जा रहा है कि वर्तमान रिक्तियों के अनुसार और इसी प्रक्रिया से ही पदोन्नति होती आई है। यह प्रक्रिया पूरी तरह उचित है। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल हैडमास्टर कोटे में अभ्यर्थी नहीं मिले थे, इसलिए उन्हें इस वर्ष कैरी फॉरवर्ड कर भरा जाएगा। दोनों पक्ष सुनने के बाद जस्टिस दिनेश मेहता ने सभी रिट याचिकाएं स्वीकार करते हुए सरकार की ओर से वर्तमान में अपनाई जा रही डीपीसी प्रक्रिया को गलत बताया। कोर्ट ने कहा कि नोटिफिकेशन के अनुसार स्कूल लेक्चरर कैडर से 67 फीसदी तथा सैकंडरी स्कूल हैडमास्टर कैडर से 33 फीसदी के अनुपात में ही डीपीसी की जाए। उन्होंने कैडर स्ट्रेंथ लागू नहीं करने के आदेश दिए हैं।
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