जांच कमेटी के आधार पर 24 शिक्षक के दस्तावेज से छेड़छाड़ कर नियुक्ति
प्राप्त की थी। जिस पर कोर्ट के आदेश पर उन्हें हटाने का आदेश दिया है।
जिसकी अनुपालना रिपोर्ट दे दी है। अब अग्रिम कार्रवाई का इंतजार चल रहा
हैं। मणिलालछगण, डीईओ प्रारंभिक डूंगरपुर।
19 साल बाद फिर से खोली जा सकती है नियुक्ति की फाइल
1998शिक्षक भर्ती में दोषी 33 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई होने के बाद अब अग्रिम कार्रवाई का इंतजार चल रहा है। इस मामले में कोर्ट पुन: नई तरीके से पुरानी भर्ती में मेरिट लिस्ट खंगालने का आदेश भी दे सकती है। जिसके बाद 19 साल पहले नियुक्ति से वंचित अभ्यर्थियों को मौका मिल सकता हैं। सभी को कोर्ट के आदेश का इंतजार चल रहा हैं।
भास्कर न्यूज |डूंगरपुर
जिलापरिषद की ओर से 1998 में हुई तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल 24 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया। कोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार को आदेश जारी हुए।
हाईकोर्ट से मिले आदेश पर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक ने बीईईओ के माध्यम से शिक्षको को कार्यमुक्त किया गया। जिसके बाद शिक्षक भी अग्रिम कार्रवाई के लिए कोर्ट जाने का मानस बना रहे है। वहीं विभाग भी कोर्ट से आगे की कार्रवाई के इंतजार में है। जिसके बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।जिला परिषद की ओर से 1998 में हुई शिक्षक भर्ती में कुछ शिक्षकों ने दस्तावेज में फर्जीवाड़ा और अंकों में हेरफेर कर नियुक्ति प्राप्त की थी। जिसके बाद सीईओ मोहनलाल शर्मा ने पूरे मामले में कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया था। प्रारंभिक जांच में 33 शिक्षकों ने गलत दस्तावेज से नियुक्ति प्राप्त करने का मामला सामने आया था।
19 साल बाद फिर से खोली जा सकती है नियुक्ति की फाइल
1998शिक्षक भर्ती में दोषी 33 शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई होने के बाद अब अग्रिम कार्रवाई का इंतजार चल रहा है। इस मामले में कोर्ट पुन: नई तरीके से पुरानी भर्ती में मेरिट लिस्ट खंगालने का आदेश भी दे सकती है। जिसके बाद 19 साल पहले नियुक्ति से वंचित अभ्यर्थियों को मौका मिल सकता हैं। सभी को कोर्ट के आदेश का इंतजार चल रहा हैं।
भास्कर न्यूज |डूंगरपुर
जिलापरिषद की ओर से 1998 में हुई तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में शामिल 24 शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया। कोर्ट के आदेश के बाद शुक्रवार को आदेश जारी हुए।
हाईकोर्ट से मिले आदेश पर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक ने बीईईओ के माध्यम से शिक्षको को कार्यमुक्त किया गया। जिसके बाद शिक्षक भी अग्रिम कार्रवाई के लिए कोर्ट जाने का मानस बना रहे है। वहीं विभाग भी कोर्ट से आगे की कार्रवाई के इंतजार में है। जिसके बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।जिला परिषद की ओर से 1998 में हुई शिक्षक भर्ती में कुछ शिक्षकों ने दस्तावेज में फर्जीवाड़ा और अंकों में हेरफेर कर नियुक्ति प्राप्त की थी। जिसके बाद सीईओ मोहनलाल शर्मा ने पूरे मामले में कोतवाली थाने में मामला दर्ज कराया था। प्रारंभिक जांच में 33 शिक्षकों ने गलत दस्तावेज से नियुक्ति प्राप्त करने का मामला सामने आया था।
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