जयपुर। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनिता भदेल ने मंगलवार को विधानसभा में कहा कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से महिला पर्यवेक्षक के चयन का कोटा पहले 25 प्रतिशत था, जिसे बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया गया है। उन्होंने कहा कि महिला पर्यवेक्षक की जितनी रिक्तियां हैं, उसके अनुसार विशेष चयन से इन्हें भरा जाएगा।
श्रीमती भदेल प्रश्नकाल के दौरान विधायकों की ओर से इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रही थीं। उन्होंने कहा कि बढ़े हुए मानदेय के अनुसार मैट्रिक पास और 10 वर्ष का अनुभव रखने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4799 रुपए, मैट्रिक पास और 5 वर्ष का अनुभव रखने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4764 रुपए, मैट्रिक पास और अनुभवहीन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4730 रुपए, नॉन मैट्रिक और 10 वर्ष का अनुभव रखने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4730 रुपए, नॉन मैट्रिक और 5 वर्ष का अनुभव रखने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4693 रुपए तथा नॉन मैट्रिक और अनुभवहीन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4662 रुपए दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 3365 रुपए तथा सहायिका को 2565 रुपए मानदेय के रूप में दिए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि इनके लिए कार्य आधारित प्रोत्साहन राशि 250 से 500 रुपये प्रतिमाह बढ़ाई गई है, जो इस वर्ष 1 अप्रैल के बाद लागू होगी। इसके लिए 1 अप्रैल से शुरू होने वाली विद्यालय पूर्व शिक्षा में 20 बालकों एवं उनके स्तर को आधार बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके निर्धारण के लिए वस्तुनिष्ठ मापदंड अपनाए जाएंगे।
श्रीमती भदेल ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का चयन वार्ड स्तर पर होता है और ज्यादातर उसी गांव की होती हैं। उन्होंने बताया कि इनका कार्य 4 घंटे का होता है और राजस्थान मानदेय दिए जाने के मामले में तुलनात्मक रूप से बहुत अच्छे राज्यों में सम्मिलित है।
इससे पहले विधायक श्री पूरणमल सैनी के मूल प्रश्न का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का 400 रुपए, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का 300 रुपए एवं सहायिकाएं, सहयोगिनी एवं साथिनों का 250 रुपए प्रतिमाह मानदेय में 1 जून, 2016 से वृद्धि की गई है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त वर्ष 2017-18 के बजट में मानदेय के अतिरिक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हेतु कार्य आधारित प्रोत्साहन राशि 250 से 500 रुपये प्रतिमाह दिये जाने की घोषणा की गई है।
उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ियों में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा सहयोगिनी व साथिनों का नियमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये पूर्णतः अस्थाई एवं स्वैच्छिक सेवा भावना से कार्य करने वाली मानदेयकर्मी हैं।
श्रीमती भदेल प्रश्नकाल के दौरान विधायकों की ओर से इस संबंध में पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रही थीं। उन्होंने कहा कि बढ़े हुए मानदेय के अनुसार मैट्रिक पास और 10 वर्ष का अनुभव रखने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4799 रुपए, मैट्रिक पास और 5 वर्ष का अनुभव रखने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4764 रुपए, मैट्रिक पास और अनुभवहीन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4730 रुपए, नॉन मैट्रिक और 10 वर्ष का अनुभव रखने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4730 रुपए, नॉन मैट्रिक और 5 वर्ष का अनुभव रखने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4693 रुपए तथा नॉन मैट्रिक और अनुभवहीन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 4662 रुपए दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 3365 रुपए तथा सहायिका को 2565 रुपए मानदेय के रूप में दिए जाते हैं।
उन्होंने बताया कि इनके लिए कार्य आधारित प्रोत्साहन राशि 250 से 500 रुपये प्रतिमाह बढ़ाई गई है, जो इस वर्ष 1 अप्रैल के बाद लागू होगी। इसके लिए 1 अप्रैल से शुरू होने वाली विद्यालय पूर्व शिक्षा में 20 बालकों एवं उनके स्तर को आधार बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि इसके निर्धारण के लिए वस्तुनिष्ठ मापदंड अपनाए जाएंगे।
श्रीमती भदेल ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का चयन वार्ड स्तर पर होता है और ज्यादातर उसी गांव की होती हैं। उन्होंने बताया कि इनका कार्य 4 घंटे का होता है और राजस्थान मानदेय दिए जाने के मामले में तुलनात्मक रूप से बहुत अच्छे राज्यों में सम्मिलित है।
इससे पहले विधायक श्री पूरणमल सैनी के मूल प्रश्न का जवाब देते हुए महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का 400 रुपए, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का 300 रुपए एवं सहायिकाएं, सहयोगिनी एवं साथिनों का 250 रुपए प्रतिमाह मानदेय में 1 जून, 2016 से वृद्धि की गई है। उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त वर्ष 2017-18 के बजट में मानदेय के अतिरिक्त आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हेतु कार्य आधारित प्रोत्साहन राशि 250 से 500 रुपये प्रतिमाह दिये जाने की घोषणा की गई है।
उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ियों में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा सहयोगिनी व साथिनों का नियमित नहीं किया जा सकता, क्योंकि ये पूर्णतः अस्थाई एवं स्वैच्छिक सेवा भावना से कार्य करने वाली मानदेयकर्मी हैं।
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