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Wednesday 29 March 2017

तीन साल में 56 मामले, 41 शिक्षकों के खिलाफ चालान

यौन शोषण की शिकार नाबालिग छात्राएं
राज्य पुलिस ने पिछले तीन सालों में स्कूली छात्राओं का यौन शोषण करने का दोषी पाए जाने पर 41 शिक्षकों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया है।
बीकानेर जिले की नोखा तहसील के साजनवासी गांव में 12 साल की छात्रा को एक्सट्रा क्लास के बहाने स्कूल में रोककर आठ शिक्षकों द्वारा करीब डेढ़ साल तक दुष्कर्म करने की घटना सामने आने पर ‘भास्कर’ ने ऐसे मामलों की पड़ताल की। सामने आया कि पिछले तीन साल में राज्य के अलग-अलग जिलों में शिक्षकों द्वारा नाबालिग छात्राओं से अश्लील हरकत, यौन शोषण और दुष्कर्म करने के 56 मामले दर्ज हुए हैं। इनमें से लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 12 (पोस्को) के तहत शिक्षकों पर 55 मामले दर्ज किए। पुलिस ने जांच में 41 शिक्षकों को दोषी माना। दोषी शिक्षकों की गिरफ्तारी के बाद उनके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश कर दिया गया। कोर्ट ने पांच मामलों में शिक्षकों को बरी किया, लेकिन 36 शिक्षकों के खिलाफ सुनवाई चल रही है। यौन हिंसा के सबसे ज्यादा छह मामले सीकर जिले के हैं। प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने छात्राओं से यौन हिंसा के मामले में शिक्षकों के खिलाफ निलंबन, उनका ट्रांसफर, 16 और 17 सीसीए के तहत नोटिस देने की कार्यवाही भी की है।

माध्यमिक शिक्षा : बारांजिले के अरुण प्रदीप शर्मा, झालावाड़ के दुर्गालाल मीणा, जालौर के अशोक कुमार सैन, पाली के छैलसिंह, सीकर के कर्मवीरसिंह, राहुलसिंह को निलंबित किया गया। बूंदी जिले के छोटूलाल महावर का अन्तर जिला स्थानांतरण किया गया। इनके अलावा बूंदी के रमेश कुमार नायक, चित्तौड़गढ़ के अशोक कुमार जायसवाल के खिलाफ विभागीय कार्यवाही चल रही है और सीकर के भारत शर्मा को 17 सीसीए महेश कुमार को 16 सीसीए के तहत नोटिस दिया गया है।

प्रारंभिकशिक्षा : अलवरजिले में शिक्षक के खिलाफ 16 सीसीए के तहत कार्यवाही की जा रही है। सिरोही में तीन शिक्षकों के खिलाफ 16 17 सीसीए के नोटिस देकर विभागीय कार्यवाही की। चूरू जिले में एक शिक्षक को निलंबित किया गया जो अभी जेल में है। झुंझुनूं में एक शिक्षक निलंबित किया जिसके खिलाफ 16 सीसीए की जांच चल रही है।

स्कूल को शिक्षा का मंदिर और वहां पढ़ाने वाले शिक्षकों को गुरू दर्जा दिया जाता है। लेकिन, कुछ विकृत मानसिकता के कथित शिक्षक अब इन मंदिरों में घुस बैठे हैं और अनैतिक कार्यों को अंजाम देने लगे हैं। इससे स्कूलों में पढ़ने के लिए जाने वाली बालिकाओं की सुरक्षा पर सवाल खड़ा हो गया है और उनके माता-पिता भी शंकित रहने लगे हैं।

^नाबालिग बालिकाओं से यौन शोषण गंभीर अपराध हैं। और अगर स्कूल में शिक्षक ऐसा करते हैं तो अपराध ज्यादा बड़ा हो जाता है। महिला आयोग ने केन्द्र सरकार के विधि विभाग को पत्र लिखा है कि बालिकाओं के यौन शोषण के मुकदमों की शीघ्र सुनवाई कर अपराधी को सजा दिलाई जा सके, इसके लिए अलग कोर्ट होना चाहिए। शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है कि आरोपी अगर निजी स्कूल में कार्यरत है तो उस स्कूल की मान्यता रद्द करने की कार्रवाई की जानी चाहिए। -सुमन शर्मा, अध्यक्ष राज्य महिला आयोग

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