जयपुर. मनरेगा में एलडीसी भर्ती के लिए नए सिरे से मेरिट तैयार होगी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार की अपील खारिज करते हुए फैसला दिया है कि विभिन्न विभागों में प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए भर्ती कर्मिकों को एलडीसी भर्ती में बोनस अंक दिए जाएंगे।
कोर्ट के फैसले के बाद अब यह साफ हो गया है कि चार साल से पंचायतों में एलडीसी के 11,485 पदों की अटकी हुई भर्ती के लिए अब नए सिरे से जिला स्तर पर मैरिट तैयार होगी। लेकिन इसमें एक बड़ी समस्या यह आ रही है कि पंचायती राज विभाग इन 11,485 पदों में भी कइयों को पोस्टिंग ऑर्डर दे चुका है लेकिन उनके ज्वाइन करने से पहले ही मामला कोर्ट में चला गया और उनकी ज्वाइनिंग अटक गई। अब नए सिरे से मैरिट तैयार हो रही है। कई जिलों में यह समस्या आ सकती है कि नए अभ्यार्थियों की मैरिट उन लोगों से ज्यादा हो जिनकी ज्वाइनिंग अभी नहीं हो पाई। जिन्हें नियुक्ति पत्र मिल चुके हैं उन्हें हटाना सरकार के लिए बहुत मुश्किल होगा। ऐसे में ज्यादा मैरिट वालों को खपाने के लिए सरकार को कुछ पद बढ़ाने पड़ सकते हैं। हालांकि पंचायती राज विभाग इसकी तैयारी पहले से ही कर चुका है। उसने जिलों को निर्देश जारी कर प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए नियुक्त कर्मचारियों की मैरिट तैयार करने के लिए कहा है।
2013 में निकली थी भर्ती
पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 2013 में मनरेगा के संविदा कर्मियों के लिए 10, 20 और 30 तक के बोनस अंकों के आधार पर पंचायतों में 21748 पदों पर सीधी भर्ती निकाली थी। इनमें से 19275 पदों की भर्ती के लिए जिला परिषदों द्वारा विज्ञप्तियां जारी कर ऑनलाइन आवेदन लिए गए थे। इसके बाद मेरिट तैयार कर 7790 अभ्यार्थियों को एलडीसी की पोस्ट पर ज्वाइनिंग दे दी गई। शेष 11,485 पदों पर भर्ती पूरी होने से पहले ही कुछ आवेदकों ने बोनस अंकों के प्रावधान के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने बोनस अंकों की अधिकतम सीधा 15 निर्धारित करते हुए इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार के पक्ष में फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बोनस अंकों को सरकार का नीतिगत निर्णय बताते हुए मामले में दखल देने से इंकार कर दिया।
वित्त विभाग पहले ही नए सिरे से मेरिट तैयार करने के लिए कह चुका है
वित्त विभाग इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही पंचायती राज विभाग को निर्देश दे चुका है कि एलडीसी भर्ती मामले में प्लसमेंट एजेंसियों के जरिए भर्ती कर्मियों को भी शामिल करते हुए जिलेवार मैरिट तैयार की जाए।
कोर्ट के फैसले को पढ़ने के बाद तय करेंगे कि आगे क्या करना है। जिलों से सूचनाएं मांग रहे हैं वहां से सूचना मिलने के बाद कुछ कहा जा सकेगा।
आनंद कुमार, सचिव पंचायती राज विभाग
कोर्ट के फैसले के बाद अब यह साफ हो गया है कि चार साल से पंचायतों में एलडीसी के 11,485 पदों की अटकी हुई भर्ती के लिए अब नए सिरे से जिला स्तर पर मैरिट तैयार होगी। लेकिन इसमें एक बड़ी समस्या यह आ रही है कि पंचायती राज विभाग इन 11,485 पदों में भी कइयों को पोस्टिंग ऑर्डर दे चुका है लेकिन उनके ज्वाइन करने से पहले ही मामला कोर्ट में चला गया और उनकी ज्वाइनिंग अटक गई। अब नए सिरे से मैरिट तैयार हो रही है। कई जिलों में यह समस्या आ सकती है कि नए अभ्यार्थियों की मैरिट उन लोगों से ज्यादा हो जिनकी ज्वाइनिंग अभी नहीं हो पाई। जिन्हें नियुक्ति पत्र मिल चुके हैं उन्हें हटाना सरकार के लिए बहुत मुश्किल होगा। ऐसे में ज्यादा मैरिट वालों को खपाने के लिए सरकार को कुछ पद बढ़ाने पड़ सकते हैं। हालांकि पंचायती राज विभाग इसकी तैयारी पहले से ही कर चुका है। उसने जिलों को निर्देश जारी कर प्लेसमेंट एजेंसियों के जरिए नियुक्त कर्मचारियों की मैरिट तैयार करने के लिए कहा है।
2013 में निकली थी भर्ती
पूर्ववर्ती गहलोत सरकार ने 2013 में मनरेगा के संविदा कर्मियों के लिए 10, 20 और 30 तक के बोनस अंकों के आधार पर पंचायतों में 21748 पदों पर सीधी भर्ती निकाली थी। इनमें से 19275 पदों की भर्ती के लिए जिला परिषदों द्वारा विज्ञप्तियां जारी कर ऑनलाइन आवेदन लिए गए थे। इसके बाद मेरिट तैयार कर 7790 अभ्यार्थियों को एलडीसी की पोस्ट पर ज्वाइनिंग दे दी गई। शेष 11,485 पदों पर भर्ती पूरी होने से पहले ही कुछ आवेदकों ने बोनस अंकों के प्रावधान के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने बोनस अंकों की अधिकतम सीधा 15 निर्धारित करते हुए इस भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सरकार के पक्ष में फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने बोनस अंकों को सरकार का नीतिगत निर्णय बताते हुए मामले में दखल देने से इंकार कर दिया।
वित्त विभाग पहले ही नए सिरे से मेरिट तैयार करने के लिए कह चुका है
वित्त विभाग इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले ही पंचायती राज विभाग को निर्देश दे चुका है कि एलडीसी भर्ती मामले में प्लसमेंट एजेंसियों के जरिए भर्ती कर्मियों को भी शामिल करते हुए जिलेवार मैरिट तैयार की जाए।
कोर्ट के फैसले को पढ़ने के बाद तय करेंगे कि आगे क्या करना है। जिलों से सूचनाएं मांग रहे हैं वहां से सूचना मिलने के बाद कुछ कहा जा सकेगा।
आनंद कुमार, सचिव पंचायती राज विभाग
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