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25 साल बाद भी आधा थार निरक्षर

बाड़मेर । पच्चीस साल यानि लगभग एक चौथाई सदी के प्रयास के बावजूद भी सीमावर्ती बाड़मेर जिले का निरक्षरता से नाता नहीं छूट रहा है। करोड़ों रुपए व्यय कर मैन और मशीन पॉवर की पूरी मशक्कत का आधा नतीजा बताता है कि मेहनत कागजों में हुई है फील्ड में आज भी काला अक्षर भैंस बराबर की कहावत चरितार्थ है।

तब थी यह स्थिति
1990 में साक्षरता का पहले सर्वे सामने आया इसमें जिले में 7.19 प्रशितत महिला साक्षरता और पुरुष साक्षरता 47.68 प्रतिशत ही थी। जिले में 36 प्रतिशत के करीब ही लोग पढ़े लिखे थे। इस पर साक्षरता अभियान का प्रदेशभर के साथ बाड़मेर में आगाज हुआ।
2011 में यह स्थिति
जिले की कुल जनसंख्या- 26 लाख 3751
जिले में साक्षर- 14 लाख 15 हजार 429
जिले में निरक्षर- 11 लाख 88 हजार 322
साक्षरता प्रतिशत- 56.67
साक्षर पुरुष- 783461
साक्षर महिला-404861
2012 में 15 से 45 का किया गया सर्वे
- प्रदेश में 15 व 45 आयु वर्ग के निरक्षरों का वर्ष 2010-12 में प्रदेश व जिले में सर्वे किया गया
- इस आयुवर्ग के 6 लाख 40 हजार 41 बालक-पुरुष निरक्षर पाए गए
- वर्ष 2012 में जिले में जिला साक्षरता एवं सतत शिक्षा अभियान शुरू किया गया
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