वेतन और पेंशन के बोझ तले आर्थिक संकट से गुजर रहे जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय (जेएनवीयू) का आर्थिक ढांचा चरमराने के कगार पर है। संभागीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने के बाद 125 से ज्यादा संबंद्ध कॉलेजों की परीक्षा, प्रवेश, संबद्धता जैसे अन्य कार्यों के चलते माली हालत और खस्ता हो गई है।
सरकार से मिलने वाला अनुदान ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। इन परिस्थितियों में जेएनवीयू को आगामी वित्तीय वर्ष में करीब 23 करोड़ रुपए का घाटा होने का अनुमान है।
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सरकार से मिलने वाला अनुदान ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहा है। इन परिस्थितियों में जेएनवीयू को आगामी वित्तीय वर्ष में करीब 23 करोड़ रुपए का घाटा होने का अनुमान है।
जेएनवीयू का वित्तीय वर्ष 2016-17 का बजट आगामी 19 मार्च को होने वाली सिंडीकेट में पेश किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार जेएनवीयू को आगामी वित्तीय वर्ष में 1 अरब 48 करोड़ 14 लाख 21 हजार रुपए की आय के मुकाबले 1 अरब 70 करोड़ 94 लाख 69 हजार रुपए खर्च होने का अनुमान है। इस हिसाब से आगामी वित्त वर्ष का बजट 22 करोड़ 80 लाख 48 हजार रुपए घाटे का होगा।
वेतन व पेंशन में खर्च हो रही है आय
विवि को होने वाली 1 अरब 48 करोड़ 14 लाख 21 हजार रुपए अनुमानित आय में से वेतन और पेंशन मद पर 1 अरब 6 करोड़ 44 लाख 54 हजार रुपए खर्च होने की उम्मीद है। आगामी वित्त वर्ष में विवि को सर्वाधिक 87 करोड़ रुपए की आय राज्य सरकार से चार किस्तों में मिलने वाले अनुदान से होगी। इसके कॉलेजों की सम्बद्धता से 5 करोड़ रुपए मिलने की संभावना है।
पेंशन का भार सरकार उठाए तो बने बात
प्रदेश के सभी विवि के शिक्षकों व कर्मचारियों की पेंशन का बोझ सरकार नहीं उठाती। यह भार विवि अपने संसाधनों से वहन करता है। हाल ही में विवि ने अपनी जमीन बेचकर पेंशन प्रकरण निस्तारित करने की कवायद शुरू की थी। लेकिन विरोध के चलते यह कवायद रोकनी पड़ी। वर्षों से विवि के कर्मचारी और शिक्षक मांग कर रहे हैं कि उनकी पेंशन का भार भी सरकार उठाए। जेएनवीयू हर वर्ष करीब चालीस करोड़ रुपए पेंशन भुगतान करता है।
हर वर्ष पेश होता है घाटे का बजट
विश्वविद्यालय हर वर्ष घाटे का बजट पेश करता है। सिंडीकेट में इस घाटे के बजट को अनुमोदित कर दिया जाता है। दस वर्षों में राज्य सरकार की ओर से मिलने वाला अनुदान और विश्वविद्यालय का घाटा लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2004-05 में सरकार की ओर से मिलने वाला अनुदान 29 करोड़ था, जो अब बढ़कर 87 करोड़ रुपए हो गया है।
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गत चार वर्ष के बजट की स्थिति
वर्ष ------- कुल बजट -------- घाटा
2012-13-- 90.86 करोड़ ---- 17.75 करोड़
2013-14 --- 132.28 करोड़ --- 39 करोड़
2014-15 --- 146.52 करोड़ ---22.52 करोड़
2015-16 ----163.25 करोड़ --- 28.47 करोड़
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