University of Rajasthan: In July and August in the election process : राजस्थान विश्वविद्यालय : जुलाई में प्रवेश प्रक्रिया व अगस्त में हुए चुनाव - The Rajasthan Teachers Blog - राजस्थान - शिक्षकों का ब्लॉग

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Tuesday 15 March 2016

University of Rajasthan: In July and August in the election process : राजस्थान विश्वविद्यालय : जुलाई में प्रवेश प्रक्रिया व अगस्त में हुए चुनाव

जयपुर. अगर आपके बच्चे इस साल राजस्थान विश्वविद्यालय के अधीन पढ़ रहे हैं तो आपके लिए चिन्ताजनक खबर है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों को दरकिनार कर इस शिक्षण सत्र में प्रदेश का सबसे बड़ा यह विश्वविद्यालय पढ़ाई की बजाय छुट्टियां मनाने या अन्य कार्यों में ज्यादा व्यस्त रहा।
नियमानुसार सत्र में 180 दिन पढ़ाई होना जरूरी है लेकिन इस साल 135 से 140 दिन ही पढ़ाई हुई। इन शिक्षण दिवसों में भी कितने विद्यार्थी और शिक्षक कक्षाओं में पहुंचे, यह पड़ताल का विषय है।
विवि में जुलाई माह प्रवेश प्रक्रिया के नाम रहा। इस दौरान नाममात्र की कक्षाएं लग पाई। अगस्त में पढ़ाई शुरू हुई लेकिन इस महीने छात्रसंघ चुनाव थे। ऐसे में 10-15 दिन तक चुनावी माहौल के बीच विद्यार्थी कक्षाओं में कम ही पहुंचे। अगस्त से फरवरी में परीक्षाएं शुरू होने तक कुल 212 दिन में से 77 दिन छुट्टी रही। यानी, विवि 135 दिन ही खुल पाया। हालांकि कोर्ट के आदेश और राजभवन के निर्देश की पालना में छात्रों की 75 प्रतिशत उपस्थिति 'सुनिश्चितÓ हो चुकी है और सब परीक्षाएं दे रहे हैं।
फिर भी महारानी कॉलेज आगे
वहीं, महारानी कॉलेज में कक्षाएं अपेक्षाकृत अधिक लगीं। जब भी पढ़ाई हुई, कक्ष खचाखच रहे। अन्य संघटक कॉलेजों-विभागों में छात्रों की उपस्थिति का आंकड़ा कम ही रहा। शिक्षक स्वीकार करते हैं कि गिने-चुने छात्र ही कक्षाओं में नियमित आते हैं।
पढ़ाने वाले ही नहीं
विवि सहित संघटक और सम्बद्ध कॉलेजों में पढ़ाई के क्या हालात रहे, यह विवि के शिक्षा विभाग का हाल देखकर अन्दाजा लगाया जा सकता है। अन्य बीएड-एमएड कॉलेजों में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद के नियमों का सख्ती से पालन कराने वाले विवि के अपने परिसर में एमएड के हाल खराब हैं। वहां शिक्षा विषय की एक सहायक प्रोफेसर हैं। ऐसे में सवाल है कि सालभर कक्षाएं किसने ली? विभागाध्यक्ष ही मनोविज्ञान विभाग के हैं और जिम्मा कार्यवाहक के तौर पर है। वह भी कक्षाएं ले रहे हैं। बाहरी शिक्षकों के जरिये कक्षाएं ली जाती हैं लेकिन ऐसा एनसीटीई के नियमों को दरकिनार कर हो रहा है।
कंप्यूटर में झूठ
विवि में स्नातक प्रथम वर्ष के लिए एलिमेंट्री कम्प्यूटर और पर्यावरण विज्ञान विषय वर्षों से अनिवार्य है। कम्पयूटर विज्ञान के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। पर्यावरण विज्ञान और इसकी कक्षाएं मात्र कागजों में लगी हैं। एेसे में प्रथम वर्षं के लाखों छात्रों की एक भी कक्षा नहीं लगी है।
विभागों ने उगला सच
सभी विभागों और संघटक कॉलेजों के इस सत्र के शिक्षण दिवसों की विवि से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई तो ज्यादातर ने मौन साध लिया। संघटक कॉलेजों ने भी जानकारी नहीं दी है। लेकिन, जिन विभागों ने जानकारी दी, उसी से तस्वीर साफ नजर आ रही है। सच सामने रखने की बजाय विवि प्रशासन ने लोकसूचना अधिकारी का जिम्मा किसके पास है, इसे लेकर ही मामला उलझा दिया है। विवि के विभागों में सेमेस्टर व्यवस्था है जबकि अन्य सभी जगह वार्षिक परीक्षा। लेकिन, विभागों की शिक्षण स्थिति से पढ़ाई के हाल का अंदाजा लगाया जा सकता है।
इसलिए छुपा रहे सच
सूचना के अधिकार के तहत शिक्षण स्थिति की जानकारी मांगने वाले राजस्थान कॉलेज के पूर्व प्राचार्य प्रो. आरबी सिंह का कहना है कि सच भयावह है, इसलिए छुपाया जा रहा है। जिन विभागों ने जानकारी दी, उसी से स्पष्ट है कि यूजीसी के नियमों को दरकिनार किया जा रहा है। इन हालात में उच्च शिक्षा के जरिये देश का भला हो पाना मुश्किल है।
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