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...बस नाम के आदर्श विद्यालय

बांदीकुई . सरकारी विद्यालयों में नामांकन वृद्धि व शैक्षिक स्तर में सुधार के लिए निजी विद्यालयों की तर्ज पर प्रत्येक ग्राम पंचायत में चयनित आदर्श विद्यालयों को विकसित किए जाने का सपना अधूरा रहता दिखाई दे रहा है। शिक्षकों की कमी आदर्श विद्यालयों के संचालन पर सवाल खड़े कर रही है, लेकिन विभागीय अधिकारियों का इस ओर कोई ध्यान नहीं है।

जानकारी के अनुसार शिक्षा आयुक्त ने 27 जनवरी 2016 को सभी जिला कलक्टरों को प्रथम चरण की चयनित आदर्श विद्यालयों को 31 मार्च 2016 तक विकसित किए जाने के आदेश दिए थे। इसी कड़ी में इन आदर्श विद्यालयों का अधिकारियों की ओर से अवलोकन कर उपलब्ध व आवश्यक सुविधाओं से जुड़ी सूचना भी एकत्र की गई, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कोई इजाफा नहीं हुआ है।
सुविधाओं का विकास नहीं, बजट मुहैया नहीं
इसका प्रमुख कारण सरकार की ओर से आदर्श विद्यालयों के लिए बजट मुहैया नहीं कराया जाना है। ऐसे में विद्यालयों में सुविधाओं का विस्तार किया जाना मुश्किल है। सूत्रों के अनुसार राज्य में करीब 9 हजार 894 ग्राम पंचायत हैं। दौसा जिले में 234 ग्राम पंचायत हैं। सरकार की ओर से प्रत्येक ग्राम पंचायत पर एक आदर्श विद्यालय को विकसित किया जाना प्रस्तावित है। प्रथम चरण में वर्ष 2015-16 में जिले की 25 विद्यालयों को आदर्श विद्यालय के रूप में चयनित किया है। इसमें बांदीकुई क्षेत्र की धनावड़, देलाड़ी, बैजूपाड़ा, आभानेरी एवं गुढ़ाकटला विद्यालय शामिल हैं। खास बात यह है कि ये आदर्श विद्यालय भी व्याख्याता व शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। ऐसे में स्टाफिंग पैटर्न के नियमों की पालना नहीं होने से शिक्षण व्यवस्था भी बाधित हो रही है। जबकि द्वितीय चरण में वर्ष 2016-17 में 107 विद्यालयों को विकसित किया जाएगा।
ये होना है आदर्श विद्यालयों में
आदर्श विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक बच्चों को बैठने के लिए फर्नीचर की सुविधा मुहैया कराई जाना है। इसमें लहर की तर्ज पर कक्षा 1 से 5 तक के कक्षों में वाल पेंटिंग के जरिए बच्चों को अक्षर ज्ञान कराया जाएगा, जबकि कक्षा 6 से 12 तक के कक्षों में चार्ट एवं शिक्षण सामग्री प्रदर्शित की जाएगी। कक्षा-कक्षों में ट्यूबलाइट, पंखे एवं ग्रीन बोर्ड भी लगाए जाने हैं। कक्षा 1 से 5 तक एसआईक्यूई (स्टेट इनिशिएटिव फॉर क्वालिटी एजुकेशन) पैटर्न पर बच्चों को पढ़ाई कराया जाना है। प्रत्येक विद्यालय में कम्प्यूटर व लैपटॉप की सुविधा होगी। जिन विद्यालयों में कम्प्यूटर नहीं हैं, वहां विकास कोष व विद्यार्थी कोष से कम्प्यूटर क्रय किए जा सकते हैं। इन कम्प्यूटरों को इंटरनेट सुविधा से जोड़ा जाएगा। विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को कम्प्यूटर का प्रशिक्षण भी दिया जाना है। इससे ये शिक्षक विद्यालय में शाला दर्पण पोर्टल पर सूचनाओं की फीडिंग व अशुद्धियों को ऑनलाइन दुरुस्त करने के साथ ही अपडेट कर सकेंगे।
छात्र व विद्यालय कोष का करें उपयोग
आदर्श विद्यालयों को विकसित किया जा रहा है। खेल मैदानों को मनरेगा योजना के तहत समतलीकरण घास लगाई जाएगी। लहर कक्ष विकसित कर दिए गए हैं। कक्षा 1 से 8 तक बच्चों को बैठने के लिए कुछ विद्यालय में फर्नीचर मुहैया करा दिया तो कुछ ने विद्यालय कोष से क्रय कर लिया है। सभी संस्था प्रधानों को विद्यालयों को सुंदर व सुविधाओं में विस्तार के लिए विद्यालय विकास व छात्र कोष राशि खर्च कर सकते हैं। फिलहाल सरकार की ओर से कोई बजट नहीं आया है।
सुशील कुमार, एडीपीसी, माध्यमिक शिक्षा परिषद, दौसा
निरीक्षण कर भेज दी रिपोर्ट
आदर्श विद्यालयों का निरीक्षण कर वस्तुस्थिति की रिपोर्ट बनाकर उच्चाधिकारियों को भेज दी है। सुविधाओं में विस्तार के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। संस्था प्रधान भामाशाहों से आर्थिक सहयोग लेकर विद्यालयों को विकसित कर सकते हैं।
दयानंद शर्मा, उपखण्ड अधिकारी बांदीकुई

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