गरीबी के हालात में जिसने सूजी का स्वाद ही नहीं चखा हो, उन आदिवासी बालकों से सूजी के लड्डू बनाने की प्रक्रिया पूछी जाए तो क्या स्थिति होगी। कुछ ऐसा ही हुआ पिछले दिनों जब 8वीं कक्षा की परीक्षा के दौरान अंग्रेजी के प्रश्न पत्र में सूजी के लड्डू बनाने की पूरी प्रक्रिया ही पूछ डाली। इस पर आदिवासी बहुल इलाके कोटड़ा व झाड़ोल के विद्यार्थी हैरत में पड़ गए।
अधिकांश विद्यार्थियों ने सवाल छोड़ दिया पर अपनी जिज्ञासा शांत करने के लिए घर जाकर मां से इसे बनाने का तरीका पूछने से नहीं चूके। आज भी छात्र इस प्रश्न को देख एक दूसरे से 'बता किस्तर बणै लाडू' की चुटकियां लेने से नहीं चूक रहे हैं। यह प्रश्न पत्र राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से तैयार करवाया गया था।
ये दिए सामग्री के नाम
लड्डू बनाने की विधि के साथ प्रश्न में इन उत्पादों को दिया जो सूजी, खोया, ग्रेट, ग्राइंड, रोस्ट, शुगर-सिरप, कार्डमम पाउडर, मीक्स, अलमोंड, मैक, राउंड, बाल्स, कूल, स्टोर इन कंटेनर है।
सोशल मीडिया पर कमेंट
इस प्रश्न को लेकर सोशल मीडिया पर शिक्षकों ने कई कड़वे कमेंट भी दिए। देहात में आठवीं कक्षा के बच्चों को अंग्रेजी में अधिकांश मेरा स्कूल, माय टीचर, मेला आदि निबंध याद कराए जाते हैं। अब सीबीएसई पैटर्न की होड़ करते हुए ऐसा पूछ लिया गया, जो छात्रों के समझ से परे था। सोशल मीडिया पर प्रश्नपत्र तैयार करने वालों से भी सवाल किया गया है कि गांव के किसी गरीब मजदूर के घर जन्म लेकर सरकारी स्कूल के मिड डे मील पर निर्भर रह कर इसका जवाब देकर बताएं। बच्चों का स्तर तो देखते। जिनको चुपड़ी रोटी तक नसीब नहीं हुई वे सूजी के लड्डू के बारे में क्या बता पाएंगे?
पोषाहार पर निर्भर, क्या जाने सूजी
शिक्षकों का कहना है कि जो छात्र विद्यालय में बन रहे पोषाहार पर निर्भर हो, वे क्या जाने सूजी के लड्डू कैसे बनाए जाते हैं। यह प्रश्न सीबीएसई की होड़ करते हुए दिया गया है। प्रश्न नम्बर 10 के साथ में सूजी के लड्ड़ू बनने में उपयोग होने वाले उत्पादों के नाम दिए गए। छात्रों ने लड्डू बनाने में काम आने वाली सामग्री के अंग्रेजी नाम भी कभी नहीं सुने हैं।
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