जयपुर. शिक्षा विभाग (education Department) में रविवार
रात तबादलों (Transfers) की बाढ़ आ गई. एक ही रात में करीब आठ हजार
शिक्षकों के तबादले कर दिए गए. शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद डोटासरा
(Minister of State for Education Govind Dotasara) ने दावा किया कि
तबादलों में विकलांग, विधवा, परित्यक्ता और बीमार शिक्षकों का खास ध्यान
रखा गया है.
इसके साथ ही राजनीतिक रूप से प्रताड़ित (Politically tortured) शिक्षकों का तबादला कर सरकार ने उन्हें न्याय (justice) दिलाया है. लेकिन तबादला सूची में एक ऐसे प्रिंसिपल का तबादला जयपुर से बाड़मेर कर दिया गया, जिसकी परफोरमेंस (Performance) राजस्थान में सबसे अव्वल (Top most) है.
शिक्षा राज्यमंत्री ने किया ये दावा
मंत्री गोविंद डोटासरा ने दावा किया कि तबादला प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी रही है. तबादला कैंप में जुटे किसी कर्मचारी ने किसी शिक्षक से चाय तक नहीं पी है. एक रुपए का भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ और शिक्षा महकमा जिसे तबादला इंडस्ट्री कहा जाता था वो पूरी तरह से पाक साफ रहा. शिक्षा राज्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि उन्होंने विकलांगों और बीमार शिक्षकों का खास ध्यान रखा, लेकिन ऐसे दर्जनों शिक्षक हैं, जिन पर मंत्री की निगाह नहीं पड़ी. शिक्षा राज्यमंत्री ने एक ही झटके में रविवार रात को 7,964 शिक्षकों को इधर से उधर कर दिया है. इनमें 2,606 प्रिंसिपल, 286 हेडमास्टर, 355 इंग्लिश व्याख्याता, 1100 हिंदी व्याख्याता, 575 भूगोल व्याख्याता, 961 राजनीति विज्ञान के व्याख्याता शामिल हैं.
नागौर और झुंझुनूं जिले की तबादला सूचियां अटकी
तबादलों की जंबो लिस्ट निकालने के बावजूद उपचुनाव के कारण नागौर और झुंझुनूं जिले की तबादला सूचियां अटक गईं हैं. डोटासरा ने वहां के शिक्षकों को भरोसा दिलाया कि उपचुनाव बाद मुख्यमंत्री से अनुमति लेकर वहां भी तबादले किए जाएंगे.
पहली बार तबादलों के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए गए
राजनीतिक दुर्भावना को छोड़ दिया जाए तो अब तक के शिक्षा मंत्रियों में गोविंद डोटासरा को इसलिए जरूर याद किया जाएगा कि उन्होंने तबादले के आवेदन ऑनलाइन लिए. पढ़ाने लिखाने का काम छोड़ मंत्री के आगे पीछे चक्कर काटने वाले शिक्षकों के जयपुर आने पर रोक लगा दी. लेकिन बरसों बाद भी राजस्थान को आज भी तबादला नीति का इंतजार है. सरकार चाहे लाख दावे करे, लेकिन जिस राज्य में तबादलों के लिए कोई गाइडलाइन नहीं हो उसकी प्रक्रिया चाहे कितनी ही पारदर्शी हो क्यों ना हो कैलाश आर्य जैसे प्रधानाचार्यों के तबादले होंगे तो सवाल उठना लाजिमी है.
इसके साथ ही राजनीतिक रूप से प्रताड़ित (Politically tortured) शिक्षकों का तबादला कर सरकार ने उन्हें न्याय (justice) दिलाया है. लेकिन तबादला सूची में एक ऐसे प्रिंसिपल का तबादला जयपुर से बाड़मेर कर दिया गया, जिसकी परफोरमेंस (Performance) राजस्थान में सबसे अव्वल (Top most) है.
शिक्षा राज्यमंत्री ने किया ये दावा
मंत्री गोविंद डोटासरा ने दावा किया कि तबादला प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी रही है. तबादला कैंप में जुटे किसी कर्मचारी ने किसी शिक्षक से चाय तक नहीं पी है. एक रुपए का भी भ्रष्टाचार नहीं हुआ और शिक्षा महकमा जिसे तबादला इंडस्ट्री कहा जाता था वो पूरी तरह से पाक साफ रहा. शिक्षा राज्यमंत्री दावा कर रहे हैं कि उन्होंने विकलांगों और बीमार शिक्षकों का खास ध्यान रखा, लेकिन ऐसे दर्जनों शिक्षक हैं, जिन पर मंत्री की निगाह नहीं पड़ी. शिक्षा राज्यमंत्री ने एक ही झटके में रविवार रात को 7,964 शिक्षकों को इधर से उधर कर दिया है. इनमें 2,606 प्रिंसिपल, 286 हेडमास्टर, 355 इंग्लिश व्याख्याता, 1100 हिंदी व्याख्याता, 575 भूगोल व्याख्याता, 961 राजनीति विज्ञान के व्याख्याता शामिल हैं.
नागौर और झुंझुनूं जिले की तबादला सूचियां अटकी
तबादलों की जंबो लिस्ट निकालने के बावजूद उपचुनाव के कारण नागौर और झुंझुनूं जिले की तबादला सूचियां अटक गईं हैं. डोटासरा ने वहां के शिक्षकों को भरोसा दिलाया कि उपचुनाव बाद मुख्यमंत्री से अनुमति लेकर वहां भी तबादले किए जाएंगे.
पहली बार तबादलों के लिए ऑनलाइन आवेदन लिए गए
राजनीतिक दुर्भावना को छोड़ दिया जाए तो अब तक के शिक्षा मंत्रियों में गोविंद डोटासरा को इसलिए जरूर याद किया जाएगा कि उन्होंने तबादले के आवेदन ऑनलाइन लिए. पढ़ाने लिखाने का काम छोड़ मंत्री के आगे पीछे चक्कर काटने वाले शिक्षकों के जयपुर आने पर रोक लगा दी. लेकिन बरसों बाद भी राजस्थान को आज भी तबादला नीति का इंतजार है. सरकार चाहे लाख दावे करे, लेकिन जिस राज्य में तबादलों के लिए कोई गाइडलाइन नहीं हो उसकी प्रक्रिया चाहे कितनी ही पारदर्शी हो क्यों ना हो कैलाश आर्य जैसे प्रधानाचार्यों के तबादले होंगे तो सवाल उठना लाजिमी है.
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