जयपुर। REET में ऑनलाइन आवेदन करने वाले अभ्यर्थी आवेदन पत्रों में रही
गलतियों को आज से सुधार सकेंगे। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने
अभ्यर्थियों को आवेदन पत्रों में संशोधन के लिए 18 दिसंबर तक का समय दिया
है।
इसके तहत अभ्यर्थी नाम की नाम की वर्तनी में संशोधन के लिए अपना प्रार्थना पत्र, रीट परीक्षा 2017 के आवेदन पत्र की प्रति,संशोधन संबंधित स्वयं द्वारा प्रमाणित दस्तावेजों के साथ 30 दिसंबर को शाम 5 बजे तक रीट कार्यालय में जमा करवाना होगा।
अभ्यर्थी आवेदन पत्र क्रमांक/चालान नंबर, अभ्यर्थी का नाम, पिता का नाम, माता का नाम, जन्म दिनांक, परीक्षा स्तर और मोबाइल नंबर से लॉगइन कर त्रुटि सुधार कर सकेगा। बोर्ड की ओर से आवेदन पत्र में सुधार के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है। 11 फरवरी 2018 को अध्यापक पात्रता परीक्षा REET का आयोजन किया जाएगा। इससे पहले 2015 में रीट आयोजित हुई थी। अब तीन साल बाद रीट परीक्षा होगी।
राजस्थान में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के ३5 हजार पदों पर भर्ती होनी है। भाजपा सरकार अब तक एक ही तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती करा सकी है। राजस्थान के बेरोजगारों के लिए सरकारी नौकरियों की आस जगने से त्योहारों की खुशियां दोगुनी हो गई है। बेरोजगारों का कहना है कि भाजपा सरकार ने शिक्षकों की भर्ती तो निकाली, मगर किसी को नौकरी नहीं दी। हर भर्ती किसी ना किसी कारण से अटक गई और लाखों बेरोजगारों के सपने टूट गए। इस बार तृतीय श्रेणी के शिक्षकों की भर्ती होने से एक बार फिर सरकारी नौकरी की आस जगी है, मगर यह भर्ती भी नहीं अटके तो बात बने।
राजस्थान में अध्यापक भर्ती के लिए आरटेट अथवा रीट देना अनिवार्य है। 2011 व 2012 में इस परीक्षा को आरटेट के रूप में आयोजित किया गया था। इसके बाद 2013 में आयोजित परीक्षा का नाम बदलकर रीट कर दिया गया। आरटेट के प्रमाण-पत्र की वैधता सात वर्ष और रीट के प्रमाण-पत्र की वैधता तीन वर्ष रखी गई है। इसके मायने यह हैं कि पूर्व में इन परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी अगले वर्ष होने वाली 35 हजार अध्यापकों की भर्ती में भी दावेदार माने जाएंगे। इसके लिए उन्हें अगले साल होने वाली रीट में शामिल होना जरूरी नहीं है।
पूर्व में आरटेट और रीट दे चुके ऐसे अभ्यर्थी जो कट ऑफ माक्र्स में पिछड़कर अध्यापक बनने की सूची में जगह नहीं बना पाए थे वे अब अपने परिणाम प्रतिशत में सुधार के लिए अगले वर्ष होने वाली रीट परीक्षा में बैठ सकते हैं। इसके लिए उन्हें बाकायदा आवेदन करना होगा। प्रदेश में ऐसे लाखों अभ्यर्थी हैं जो परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद कट ऑफ माक्र्स में पिछड़ गए थे।
पूर्व में आरटेट और रीट देने वाले अभ्यर्थी अगर अगले साल नई रीट परीक्षा में शामिल होंगे तो भर्ती के लिए जारी होने वाली कट ऑफ माक्र्स में जिस परीक्षा में उनके अधिकतम अंक होंगे वही मान्य होंगे। नई रीट में अगर किसी अभ्यर्थी के 70 प्रतिशत अंक आते हैं और पूर्व में उसका परिणाम प्रतिशत 65 फीसदी है तो भर्ती प्रक्रिया में उसके 70 प्रतिशत अंक मान्य होंगे। अगर नई रीट में अभ्यर्थी के 62 प्रतिशत अंक आते हैं तो उसका पुराना परिणाम 65 प्रतिशत बरकरार रहेगा। हालांकि नौकरी उन्हीं अभ्यर्थियों को मिलेगी जो नई रीट परीक्षा के बाद अध्यापक भर्ती के लिए बनने वाली मेरिट की कट ऑफ माक्र्स के योग्य होंगे।
इसके तहत अभ्यर्थी नाम की नाम की वर्तनी में संशोधन के लिए अपना प्रार्थना पत्र, रीट परीक्षा 2017 के आवेदन पत्र की प्रति,संशोधन संबंधित स्वयं द्वारा प्रमाणित दस्तावेजों के साथ 30 दिसंबर को शाम 5 बजे तक रीट कार्यालय में जमा करवाना होगा।
अभ्यर्थी आवेदन पत्र क्रमांक/चालान नंबर, अभ्यर्थी का नाम, पिता का नाम, माता का नाम, जन्म दिनांक, परीक्षा स्तर और मोबाइल नंबर से लॉगइन कर त्रुटि सुधार कर सकेगा। बोर्ड की ओर से आवेदन पत्र में सुधार के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है। 11 फरवरी 2018 को अध्यापक पात्रता परीक्षा REET का आयोजन किया जाएगा। इससे पहले 2015 में रीट आयोजित हुई थी। अब तीन साल बाद रीट परीक्षा होगी।
राजस्थान में तृतीय श्रेणी शिक्षकों के ३5 हजार पदों पर भर्ती होनी है। भाजपा सरकार अब तक एक ही तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती करा सकी है। राजस्थान के बेरोजगारों के लिए सरकारी नौकरियों की आस जगने से त्योहारों की खुशियां दोगुनी हो गई है। बेरोजगारों का कहना है कि भाजपा सरकार ने शिक्षकों की भर्ती तो निकाली, मगर किसी को नौकरी नहीं दी। हर भर्ती किसी ना किसी कारण से अटक गई और लाखों बेरोजगारों के सपने टूट गए। इस बार तृतीय श्रेणी के शिक्षकों की भर्ती होने से एक बार फिर सरकारी नौकरी की आस जगी है, मगर यह भर्ती भी नहीं अटके तो बात बने।
राजस्थान में अध्यापक भर्ती के लिए आरटेट अथवा रीट देना अनिवार्य है। 2011 व 2012 में इस परीक्षा को आरटेट के रूप में आयोजित किया गया था। इसके बाद 2013 में आयोजित परीक्षा का नाम बदलकर रीट कर दिया गया। आरटेट के प्रमाण-पत्र की वैधता सात वर्ष और रीट के प्रमाण-पत्र की वैधता तीन वर्ष रखी गई है। इसके मायने यह हैं कि पूर्व में इन परीक्षाओं को उत्तीर्ण करने वाले अभ्यर्थी अगले वर्ष होने वाली 35 हजार अध्यापकों की भर्ती में भी दावेदार माने जाएंगे। इसके लिए उन्हें अगले साल होने वाली रीट में शामिल होना जरूरी नहीं है।
पूर्व में आरटेट और रीट दे चुके ऐसे अभ्यर्थी जो कट ऑफ माक्र्स में पिछड़कर अध्यापक बनने की सूची में जगह नहीं बना पाए थे वे अब अपने परिणाम प्रतिशत में सुधार के लिए अगले वर्ष होने वाली रीट परीक्षा में बैठ सकते हैं। इसके लिए उन्हें बाकायदा आवेदन करना होगा। प्रदेश में ऐसे लाखों अभ्यर्थी हैं जो परीक्षा उत्तीर्ण करने के बावजूद कट ऑफ माक्र्स में पिछड़ गए थे।
पूर्व में आरटेट और रीट देने वाले अभ्यर्थी अगर अगले साल नई रीट परीक्षा में शामिल होंगे तो भर्ती के लिए जारी होने वाली कट ऑफ माक्र्स में जिस परीक्षा में उनके अधिकतम अंक होंगे वही मान्य होंगे। नई रीट में अगर किसी अभ्यर्थी के 70 प्रतिशत अंक आते हैं और पूर्व में उसका परिणाम प्रतिशत 65 फीसदी है तो भर्ती प्रक्रिया में उसके 70 प्रतिशत अंक मान्य होंगे। अगर नई रीट में अभ्यर्थी के 62 प्रतिशत अंक आते हैं तो उसका पुराना परिणाम 65 प्रतिशत बरकरार रहेगा। हालांकि नौकरी उन्हीं अभ्यर्थियों को मिलेगी जो नई रीट परीक्षा के बाद अध्यापक भर्ती के लिए बनने वाली मेरिट की कट ऑफ माक्र्स के योग्य होंगे।
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