जोधपुर . राज्य
सरकार की ओर से नामांकन का लक्ष्य देने के बावजूद कई सरकारी स्कूल
विद्यार्थियों को विद्यालय तक लाने में पिछड़ गए। इन सरकारी स्कूलों में
राज्य सरकार शिक्षकों पर करोड़ों रुपए खर्च कर रही है। इसके बावजूद यहां
नाम मात्र का नामांकन है।
कई स्कूलों में तो पूरे १५ बच्चे भी नहीं हैं। एेसे में राज्य सरकार की प्रारंभिक शिक्षा पर एक बार फिर से सवाल खड़े हो गए हैं। जोधपुर संभाग के ६ जिलों में कक्षा १ से ५ , कक्षा १ से ८ के ६०५ विद्यालय एेसे हैं, जहां ० से ३० बच्चे ही नामांकित हैं। पूर्व में भी सरकार ने एेसे स्कूल मर्ज किए थे, इनमें अधिशेष शिक्षकों को अन्यत्र स्कूलों में काउंसलिंग के जरिये पदस्थापित किया गया था।दूसरी ओर संभाग में २११ राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय एेसे हैं, जहां ६ से ८ की कक्षाओं में १५ बच्चे ही अध्ययनरत हैं। जोधपुर जिले के २३८ स्कूलों में न्यूनतम नामांकन है।
प्रवेशोत्सव में हुई खानापूर्ति
राज्य सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए इस साल प्रथम चरण अप्रेल और जून में आयोजित किया गया था। इसमें स्कूल की ओर से बालक-बालिकाओं व अध्यापकों की टोलियां का गठन कर अभिभावकों से विशेष रूप से संपर्क किया गया था। इसके अलावा ढोल और नगाड़ों के साथ रैलियां तक निकाली गई थीं। शिक्षकों को लगातार अभिभावकों के संपर्क में रहना था। इन सभी गतिविधियों के बावजूद शिक्षा विभाग के सरकारी विद्यालय अधिकतम बच्चों का नामांकन करने में फिसड्डी साबित हुए।
सरकारी स्कूलों से मुंह मोड़ रहे अभिभावक
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और संसाधनों के अभाव में कई अभिभावक सरकारी स्कूलों से मुंह मोडऩे लगे हैं। ये न्यून नामांकन वाले विद्यालय, उसी का परिणाम माने जा रहे हैं। कयास है कि ज्यादातर अभिभावकों ने अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भर्ती करवा दिया। इसके अलावा शेष बच्चों को शिक्षा विभाग अभी तक स्कूल लाने में ही नाकाम रहा है।
काम ? तो सरकार के निर्देशानुसार ही होंगे
इन स्कूलों को नामांकन बढ़ाने के लिए कहा जाएगा। हमने भी न्यून नामांकन वाले विद्यालयों की सूची मांगी हैं। मर्ज करने जैसे कार्य तो राज्य सरकार के निर्देशानुसार ही होंगे।
- श्यामसुंदर सोलंकी, उप निदेशक प्रारंभिक शिक्षा, जोधपुर मंडल
कई स्कूलों में तो पूरे १५ बच्चे भी नहीं हैं। एेसे में राज्य सरकार की प्रारंभिक शिक्षा पर एक बार फिर से सवाल खड़े हो गए हैं। जोधपुर संभाग के ६ जिलों में कक्षा १ से ५ , कक्षा १ से ८ के ६०५ विद्यालय एेसे हैं, जहां ० से ३० बच्चे ही नामांकित हैं। पूर्व में भी सरकार ने एेसे स्कूल मर्ज किए थे, इनमें अधिशेष शिक्षकों को अन्यत्र स्कूलों में काउंसलिंग के जरिये पदस्थापित किया गया था।दूसरी ओर संभाग में २११ राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय एेसे हैं, जहां ६ से ८ की कक्षाओं में १५ बच्चे ही अध्ययनरत हैं। जोधपुर जिले के २३८ स्कूलों में न्यूनतम नामांकन है।
प्रवेशोत्सव में हुई खानापूर्ति
राज्य सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए इस साल प्रथम चरण अप्रेल और जून में आयोजित किया गया था। इसमें स्कूल की ओर से बालक-बालिकाओं व अध्यापकों की टोलियां का गठन कर अभिभावकों से विशेष रूप से संपर्क किया गया था। इसके अलावा ढोल और नगाड़ों के साथ रैलियां तक निकाली गई थीं। शिक्षकों को लगातार अभिभावकों के संपर्क में रहना था। इन सभी गतिविधियों के बावजूद शिक्षा विभाग के सरकारी विद्यालय अधिकतम बच्चों का नामांकन करने में फिसड्डी साबित हुए।
सरकारी स्कूलों से मुंह मोड़ रहे अभिभावक
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और संसाधनों के अभाव में कई अभिभावक सरकारी स्कूलों से मुंह मोडऩे लगे हैं। ये न्यून नामांकन वाले विद्यालय, उसी का परिणाम माने जा रहे हैं। कयास है कि ज्यादातर अभिभावकों ने अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भर्ती करवा दिया। इसके अलावा शेष बच्चों को शिक्षा विभाग अभी तक स्कूल लाने में ही नाकाम रहा है।
काम ? तो सरकार के निर्देशानुसार ही होंगे
इन स्कूलों को नामांकन बढ़ाने के लिए कहा जाएगा। हमने भी न्यून नामांकन वाले विद्यालयों की सूची मांगी हैं। मर्ज करने जैसे कार्य तो राज्य सरकार के निर्देशानुसार ही होंगे।
- श्यामसुंदर सोलंकी, उप निदेशक प्रारंभिक शिक्षा, जोधपुर मंडल
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