भरतपुर | कलाशिक्षकों की भर्ती को लेकर पहले तो शिक्षा
विभाग ने प्रधानमंत्री कार्यालय को गलत सूचना भेज दी। जब इसकी शिकायत
पीएमओ तक पहुंची तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने शिक्षा विभाग से इस
मामले पर स्पष्टीकरण मांग लिया। हैरान करने वाली बात यह है कि शिक्षा विभाग
ने स्पष्टीकरण मांगने वाले तीन पत्रों को ही गायब कर दिया है।
पिछले दिनों विभाग की ओर से भेजी गई सूचना में पीएमओ को जानकारी दी गई कि राजस्थान में कला शिक्षा अनिवार्य नहीं है। इस कारण इनकी भर्ती नहीं की जा सकती। जबकि विभाग के कई आदेशों में इसे अनिवार्य कहा गया है। सरकार ने करीब 25 साल से एक भी कला शिक्षक द्वितीय तृतीय ग्रेड पदों पर भर्ती नहीं निकाली।
इससे कला शिक्षा की पढाई कर रहे विद्यार्थी बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। जिले में ऐसे बेरोजगार कला शिक्षक करीब डेढ़ हजार से भी अधिक हैं। वर्तमान में 10वीं, 8वीं, 5वीं बोर्ड परीक्षाओं में बिना कला शिक्षा को पढ़ाए और बिना परीक्षा आयोजित किए ही फर्जी सत्रांक दिए जा रहे हैं। यह स्थिति कई साल से बनी हुई है।
शिक्षा विभाग के जवाब से इस बात पर भी सवाल खड़ा होता है कि क्या विभाग एमएचआरडी के पत्रों को गंभीरता से नहीं ले रहा है और गायब कर रहा है। या फिर पहले गलत जानकारी भेजे जाने पर पूछे गए स्पष्टीकरण के बाद अब वह केंद्र को कोई भी जानकारी नहीं भेजना चाहता। ताकि कोई नई मुसीबत खड़ी नहीं हो जाए। या फिर केंद्र से जारी होने वाले पत्र यहां वास्तव में शिक्षा विभाग तक नहीं पहुंचते।
कला शिक्षा की तीन लाख किताबें छपीं, किंतु स्कूलों में नहीं पहुंची
कलाशिक्षकों की भर्ती को लेकर ही नहीं वरन कला शिक्षा की किताबों को लेकर भी विवाद खड़ा हो चुका है। विभाग ने पिछले दो सालों में पाठ्य पुस्तक मंडल के माध्यम से कक्षा नवीं और कक्षा दसवीं की कला शिक्षा की 2 लाख 93 हजार पुस्तकें छपवाईं थीं लेकिन यह किताबें विद्यालयों में नहीं पहुंचाईं गईं।
इन किताबों की छपाई पर शिक्षा विभाग ने 4 लाख 37 हजार 138 रुपए खर्च किए थे। जो कि विभाग की गंभीरता को दर्शाता है। इस कारण विद्यालयों में काफी समय तक बच्चों और शिक्षकों ने पुस्तकें पहुंचाए जाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया था। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी सूचित किया था।
आरटीआई से हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
शिक्षाविभाग से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई कि कला शिक्षा के मामले को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पत्र पर एक जून से पांच अक्टूबर तक एमएचआरडी या पीएमओ से विभाग को कितने पत्र मिले। इन पत्रों पर विभाग ने क्या कार्रवाई की।
हैरानी वाली बात यह विभाग ने अपने जवाब में स्पष्ट इंकार कर दिया कि इस क्रमांक और इस अवधि में एमएचआरडी या पीएमओ से शिक्षा विभाग को कोई पत्र नहीं मिला। जबकि एमएचआरडी ने 25 अक्टूबर के पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि उसने शिक्षा सचिव को 19 जुलाई 2017 और 10 अगस्त 2017 को पत्र भेजे थे। जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हमने शिक्षा विभाग से पीएमओ या एमएचआरडी से मिले पत्रों पर अब हुई कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी थी। विभाग ने वहां से पत्र प्राप्त होने के बारे में साफ मना कर दिया। एमएचआरडी का पत्र प्राप्त हुआ है, इसमें उसने शिक्षा विभाग से पीएमओ को गलत जानकारी दिए जाने पर स्पष्टीकरण मांगा था।
पिछले दिनों विभाग की ओर से भेजी गई सूचना में पीएमओ को जानकारी दी गई कि राजस्थान में कला शिक्षा अनिवार्य नहीं है। इस कारण इनकी भर्ती नहीं की जा सकती। जबकि विभाग के कई आदेशों में इसे अनिवार्य कहा गया है। सरकार ने करीब 25 साल से एक भी कला शिक्षक द्वितीय तृतीय ग्रेड पदों पर भर्ती नहीं निकाली।
इससे कला शिक्षा की पढाई कर रहे विद्यार्थी बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं। जिले में ऐसे बेरोजगार कला शिक्षक करीब डेढ़ हजार से भी अधिक हैं। वर्तमान में 10वीं, 8वीं, 5वीं बोर्ड परीक्षाओं में बिना कला शिक्षा को पढ़ाए और बिना परीक्षा आयोजित किए ही फर्जी सत्रांक दिए जा रहे हैं। यह स्थिति कई साल से बनी हुई है।
शिक्षा विभाग के जवाब से इस बात पर भी सवाल खड़ा होता है कि क्या विभाग एमएचआरडी के पत्रों को गंभीरता से नहीं ले रहा है और गायब कर रहा है। या फिर पहले गलत जानकारी भेजे जाने पर पूछे गए स्पष्टीकरण के बाद अब वह केंद्र को कोई भी जानकारी नहीं भेजना चाहता। ताकि कोई नई मुसीबत खड़ी नहीं हो जाए। या फिर केंद्र से जारी होने वाले पत्र यहां वास्तव में शिक्षा विभाग तक नहीं पहुंचते।
कला शिक्षा की तीन लाख किताबें छपीं, किंतु स्कूलों में नहीं पहुंची
कलाशिक्षकों की भर्ती को लेकर ही नहीं वरन कला शिक्षा की किताबों को लेकर भी विवाद खड़ा हो चुका है। विभाग ने पिछले दो सालों में पाठ्य पुस्तक मंडल के माध्यम से कक्षा नवीं और कक्षा दसवीं की कला शिक्षा की 2 लाख 93 हजार पुस्तकें छपवाईं थीं लेकिन यह किताबें विद्यालयों में नहीं पहुंचाईं गईं।
इन किताबों की छपाई पर शिक्षा विभाग ने 4 लाख 37 हजार 138 रुपए खर्च किए थे। जो कि विभाग की गंभीरता को दर्शाता है। इस कारण विद्यालयों में काफी समय तक बच्चों और शिक्षकों ने पुस्तकें पहुंचाए जाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन भी किया था। शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी सूचित किया था।
आरटीआई से हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा
शिक्षाविभाग से सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई कि कला शिक्षा के मामले को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पत्र पर एक जून से पांच अक्टूबर तक एमएचआरडी या पीएमओ से विभाग को कितने पत्र मिले। इन पत्रों पर विभाग ने क्या कार्रवाई की।
हैरानी वाली बात यह विभाग ने अपने जवाब में स्पष्ट इंकार कर दिया कि इस क्रमांक और इस अवधि में एमएचआरडी या पीएमओ से शिक्षा विभाग को कोई पत्र नहीं मिला। जबकि एमएचआरडी ने 25 अक्टूबर के पत्र में स्पष्ट उल्लेख किया है कि उसने शिक्षा सचिव को 19 जुलाई 2017 और 10 अगस्त 2017 को पत्र भेजे थे। जिन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
हमने शिक्षा विभाग से पीएमओ या एमएचआरडी से मिले पत्रों पर अब हुई कार्रवाई के बारे में जानकारी मांगी थी। विभाग ने वहां से पत्र प्राप्त होने के बारे में साफ मना कर दिया। एमएचआरडी का पत्र प्राप्त हुआ है, इसमें उसने शिक्षा विभाग से पीएमओ को गलत जानकारी दिए जाने पर स्पष्टीकरण मांगा था।
No comments:
Post a Comment