उदयपुर . अगर आप
ने बैचलर की पढ़ाई कॉमर्स संकाय से की है और बीएड करने के साथ रीट भी पास
कर ली है। फिर भी आप सरकार की नजरों में लेवल वन एवं लेवल टू के शिक्षक
बनने के योग्य नहीं हैं।
राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष शेरसिंह चौहान के अनुसार सरकार के इस नियम के चलते कॉमर्स से ग्रेजुएट कर बीएड, रीट व टेट तक पास कर चुके प्रदेश के करीब 35 हजार युवा हाल ही में निकली 35 हजार शिक्षकों की भर्ती में आवेदन नहीं कर पाएंगे। इससे नौकर की आस लिए बैठे विद्यार्थी शिक्षक बनने की राह से बाहर हो सकते हैं।
सरकारी नौकरी को लेकर युवा शिक्षक बनने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। इसलिए बीएड, रीट, टेट पास करने में बहुत खर्च करते हैं, लेकिन इसके बाद भी नौकरी में आवेदन नहीं कर पाना उनके लिए निराशा जनक हो सकता है। चौहान ने बताया कि एक तरफ सरकार बीकॉम के बाद बीएड की इजाजत देती है, लेकिन दूसरी ओर उन्हीं बीएड धारियों को नौकरी में आवेदन का हक नहीं है। ऐसे में विद्यार्थी के पैसों व समय दोनों की बर्बादी होती है। सरकार को चाहिए कि वरिष्ठ अध्यापक श्रेणी के विषयों में वाणिज्य संकाय का कोई विषय सामान्य के रूप में शुरू किया जाए व इस नियम को वापस लिया जाए, ताकि वाणिज्य से ग्रेजुएट हुए विद्यार्थियों को आवेदन का मौका मिल सके।
सिर्फ इन विषयों को प्राथमिकता
नर्सरी से दसवीें तक के विद्यालयों में लेवल वन, लेवल टू व वरिष्ठ अध्यापक का पद होता है। इसमें लेवल वन में पाचंवी तक, लेवल टू में छह से आठ व वरिष्ठ अध्यापक में नवीं व दसवीें कक्षाएं आती हैं। नए नियमों के अनुसार इन विद्यालयों में हिन्दी, सामाजिक, विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, ऊर्दू व संस्कृत से जुड़े शिक्षकों को पढ़ाने का मौका मिलता है। इससे पूर्व आठवीें तक पढ़ाने के लिए सामान्य शिक्षक लग सकता था। लेकिन लेवल प्रक्रिया शुरू करने से उपर्यूक्त विषयों से जुड़े शिक्षक ही पढ़ा सकते हैं, ऐसे में प्रदेश के लगभग 35 हजार युवा आवेदन से बाहर हो गए एवं नियम बदलने का इंतजार कर रहे हैं।
राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ के प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष शेरसिंह चौहान के अनुसार सरकार के इस नियम के चलते कॉमर्स से ग्रेजुएट कर बीएड, रीट व टेट तक पास कर चुके प्रदेश के करीब 35 हजार युवा हाल ही में निकली 35 हजार शिक्षकों की भर्ती में आवेदन नहीं कर पाएंगे। इससे नौकर की आस लिए बैठे विद्यार्थी शिक्षक बनने की राह से बाहर हो सकते हैं।
सरकारी नौकरी को लेकर युवा शिक्षक बनने में ज्यादा रुचि दिखाते हैं। इसलिए बीएड, रीट, टेट पास करने में बहुत खर्च करते हैं, लेकिन इसके बाद भी नौकरी में आवेदन नहीं कर पाना उनके लिए निराशा जनक हो सकता है। चौहान ने बताया कि एक तरफ सरकार बीकॉम के बाद बीएड की इजाजत देती है, लेकिन दूसरी ओर उन्हीं बीएड धारियों को नौकरी में आवेदन का हक नहीं है। ऐसे में विद्यार्थी के पैसों व समय दोनों की बर्बादी होती है। सरकार को चाहिए कि वरिष्ठ अध्यापक श्रेणी के विषयों में वाणिज्य संकाय का कोई विषय सामान्य के रूप में शुरू किया जाए व इस नियम को वापस लिया जाए, ताकि वाणिज्य से ग्रेजुएट हुए विद्यार्थियों को आवेदन का मौका मिल सके।
सिर्फ इन विषयों को प्राथमिकता
नर्सरी से दसवीें तक के विद्यालयों में लेवल वन, लेवल टू व वरिष्ठ अध्यापक का पद होता है। इसमें लेवल वन में पाचंवी तक, लेवल टू में छह से आठ व वरिष्ठ अध्यापक में नवीं व दसवीें कक्षाएं आती हैं। नए नियमों के अनुसार इन विद्यालयों में हिन्दी, सामाजिक, विज्ञान, गणित, अंग्रेजी, ऊर्दू व संस्कृत से जुड़े शिक्षकों को पढ़ाने का मौका मिलता है। इससे पूर्व आठवीें तक पढ़ाने के लिए सामान्य शिक्षक लग सकता था। लेकिन लेवल प्रक्रिया शुरू करने से उपर्यूक्त विषयों से जुड़े शिक्षक ही पढ़ा सकते हैं, ऐसे में प्रदेश के लगभग 35 हजार युवा आवेदन से बाहर हो गए एवं नियम बदलने का इंतजार कर रहे हैं।
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