राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नन्द्राजोग व न्यायाधीश
आरएस झाला की खंडपीठ ने तृतीय श्रेणी अध्यापक भर्ती 2012 के मामले में एक
महत्वपूर्ण आदेश देते हुए याचिकाकर्ताओं को नौकरी से नहीं हटाने के आदेश
दिए हैं।
राज्य सरकार की ओर से संदीप कुमार व अन्य के हक में दिए गए एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी गई थी। सरकार की ओर से एएजी श्याम सुंदर लादरेचा ने पैरवी करते हुए कहा कि रिवाईज रिजल्ट की वजह से कई अभ्यर्थी बाहर हो चुके हैं, जिनका कन्फर्मेशन नहीं किया गया है। जबकि हाईकोर्ट के आदेश से ही रिवाईज रिजल्ट घोषित किया गया था, ऐसे में अब ये सभी नौकरी से बाहर हो रहे हैं।
अप्रार्थी संदीप कुमार व अन्य की ओर से अधिवक्ता कुलदीप माथुर, सीएस कोटवानी, तंवरसिंह राठौड़, कैलाश जांगिड़ ने पक्ष रखते हुए बताया कि यह सही है कि सभी याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद रिवाईज रिजल्ट से बाहर हो गए थे। लेकिन इसी बीच हाईकोर्ट के अन्य निर्णय में यथा संभव कन्फरमेंश करने के आदेश भी दिये गये थे । लेकिन सरकार ने उनका कन्फरमेंशन नही करते हुए उनको नौकरी से हटाने का मानस बना लिया था।
एकलपीठ ने पक्ष में दिए थे आदेश
बाद में सरकार की मंशा को देखते हुए दायर याचिका में एकलपीठ ने उनके पक्ष में आदेश जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं को नौकरी से नही हटाने के आदेश दिये गए थे। सरकार ने उसी आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपीलें पेश की थी। सीजे प्रदीप नन्द्राजोग की खंडपीठ में करीब पच्चास से अधिक अपीलो पर सुनवाई के बाद उनका निस्तारण करते हुए आदेश पारित किया है । आदेश में कहा है कि नियुक्ति के पांच साल बाद अब याचिकाकर्ता तृतीय श्रेणी अध्यापको को कैसे बाहर निकाला जा सकता है, चाहे वह रिवाईज रिजल्ट से बाहर क्यों नहीं हुए हैं। अब सरकार इनको स्थाई करे व उनको नौकरी से नहीं हटाए।
राज्य सरकार की ओर से संदीप कुमार व अन्य के हक में दिए गए एकलपीठ के आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी गई थी। सरकार की ओर से एएजी श्याम सुंदर लादरेचा ने पैरवी करते हुए कहा कि रिवाईज रिजल्ट की वजह से कई अभ्यर्थी बाहर हो चुके हैं, जिनका कन्फर्मेशन नहीं किया गया है। जबकि हाईकोर्ट के आदेश से ही रिवाईज रिजल्ट घोषित किया गया था, ऐसे में अब ये सभी नौकरी से बाहर हो रहे हैं।
अप्रार्थी संदीप कुमार व अन्य की ओर से अधिवक्ता कुलदीप माथुर, सीएस कोटवानी, तंवरसिंह राठौड़, कैलाश जांगिड़ ने पक्ष रखते हुए बताया कि यह सही है कि सभी याचिकाकर्ता हाईकोर्ट के आदेश के बाद रिवाईज रिजल्ट से बाहर हो गए थे। लेकिन इसी बीच हाईकोर्ट के अन्य निर्णय में यथा संभव कन्फरमेंश करने के आदेश भी दिये गये थे । लेकिन सरकार ने उनका कन्फरमेंशन नही करते हुए उनको नौकरी से हटाने का मानस बना लिया था।
एकलपीठ ने पक्ष में दिए थे आदेश
बाद में सरकार की मंशा को देखते हुए दायर याचिका में एकलपीठ ने उनके पक्ष में आदेश जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं को नौकरी से नही हटाने के आदेश दिये गए थे। सरकार ने उसी आदेश के खिलाफ खंडपीठ में अपीलें पेश की थी। सीजे प्रदीप नन्द्राजोग की खंडपीठ में करीब पच्चास से अधिक अपीलो पर सुनवाई के बाद उनका निस्तारण करते हुए आदेश पारित किया है । आदेश में कहा है कि नियुक्ति के पांच साल बाद अब याचिकाकर्ता तृतीय श्रेणी अध्यापको को कैसे बाहर निकाला जा सकता है, चाहे वह रिवाईज रिजल्ट से बाहर क्यों नहीं हुए हैं। अब सरकार इनको स्थाई करे व उनको नौकरी से नहीं हटाए।
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