डूंगरपुर. बात उस जमाने की है जब प्रदेश में मुख्यमंत्री
हरिदेवजोशी और शिक्षामंत्री शिवचरण माथुर थे। प्रदेश में अंग्रेजी भाषा के
प्रभाव को और भी बेहतर बनाने के लिए एक पैनल बनाई गई।
जिसमें प्रदेश के कई अंग्रेजी के शिक्षकों को शामिल किया गया और केरल में अंग्रेजी को लेकर उम्दा कार्य करले वाली अंग्रेज टीचर मैडम बे्रड फोर्ड को प्रदेश में शिक्षकों को अंग्रेजी सिखाने के लिए आमंत्रित किया गया। ब्रेड फोर्ड ने राजस्थान में आकर शिक्षकों के इस पैनल को अंग्रेजी की कई बारिकियों और शिक्षण पद्धति से अवगत कराया। इस कार्य के पूरा होने के बाद प्रदेश के शिक्षकों की इस पैनल पे पूरे राजस्थान के शिक्षकों को अंग्रेजी का ज्ञान दिया।
अंग्रेजों के जमाने में साधारण से परिवार में जन्मे एक शिक्षक ने कठोर परिश्रम एवं दृढ़ निश्चय के साथ अंगे्रजी विषय में इतनी मजबूत पकड़ बनाई कि प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी व्याख्याताओं की सूची में शुमार हुआ और पूरे प्रदेश के शिक्षकों को पढ़ा डूंगरपुर का नाम शैक्षिक पटल पर रोशन किया। हम बात कर रहे हंै 12 अगस्त 1929 को जन्मे नाहरसिंह चौहान की।
एमए-बीएड चौहान वर्ष 1951 में शिक्षा विभाग से जुड़े और महारावल स्कूल से सहायक संस्थाप्रधान के पद से अगस्त 1984 में सेवानिवृत्त हुए। चौहान बताते हैं कि प्रदेश में हरिदेवजोशी के कार्यकाल में शिवचरण माथुर शिक्षामंत्री थे। एक अंगे्रज टीचर मेडम बे्रड फोर्ड केरल में अंग्रेजी पर बहुत अच्छा कार्य कर रही थी। इस पर उन्हें प्रदेश में बुलाया। मैडम ने प्रदेश के श्रेष्ठ शिक्षकों का पैनल बनाया।
इसमें मुझे भी शामिल किया। इन्हीं शिक्षकों ने बाद में पूरे प्रदेश के शिक्षकों को पढ़ाया। चौहान बताते हैं कि आजादी के पहले, आजादी के बाद और अब की शिक्षा में काफी परिवर्तन आया है और यह अच्छा भी है। परिवर्तन ही संसार का नियम है, लेकिन शिक्षा को लेकर सोच में परिवर्तन आया है।
पहले शिक्षा सेवा थी। इसीलिए समाज में शिक्षकों के लिए सम्मान था। लेकिन, अब शिक्षा ने व्यवसायिकता का चोला पहन लिया है। एक जमाना था कि ट्यूशन नाम की कोई बुराई नहीं थी। पर, अब स्कूल की तुलना में ट्यूशन की पढ़ाई को अधिक महत्व दिया जाता है। यह शिक्षा के साथ न्याय नहीं है। चौहान कहते हैं कि शिक्षकों को फर्ज समझ कर अध्यापन कराना होगा तभी शिक्षा का स्तर पर सुधरेगा और शिक्षार्थियों का सच्चे अर्थों में भला भी होगा। चौहान क्रिकेटर के रुप में भी जाना पहचाना नाम है। वह रणजी ट्रॉफी में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वहीं, प्रदेश की स्कूल स्तरीय टीम मैनेजर भी रहे।
जिसमें प्रदेश के कई अंग्रेजी के शिक्षकों को शामिल किया गया और केरल में अंग्रेजी को लेकर उम्दा कार्य करले वाली अंग्रेज टीचर मैडम बे्रड फोर्ड को प्रदेश में शिक्षकों को अंग्रेजी सिखाने के लिए आमंत्रित किया गया। ब्रेड फोर्ड ने राजस्थान में आकर शिक्षकों के इस पैनल को अंग्रेजी की कई बारिकियों और शिक्षण पद्धति से अवगत कराया। इस कार्य के पूरा होने के बाद प्रदेश के शिक्षकों की इस पैनल पे पूरे राजस्थान के शिक्षकों को अंग्रेजी का ज्ञान दिया।
अंग्रेजों के जमाने में साधारण से परिवार में जन्मे एक शिक्षक ने कठोर परिश्रम एवं दृढ़ निश्चय के साथ अंगे्रजी विषय में इतनी मजबूत पकड़ बनाई कि प्रदेश के सर्वश्रेष्ठ अंग्रेजी व्याख्याताओं की सूची में शुमार हुआ और पूरे प्रदेश के शिक्षकों को पढ़ा डूंगरपुर का नाम शैक्षिक पटल पर रोशन किया। हम बात कर रहे हंै 12 अगस्त 1929 को जन्मे नाहरसिंह चौहान की।
एमए-बीएड चौहान वर्ष 1951 में शिक्षा विभाग से जुड़े और महारावल स्कूल से सहायक संस्थाप्रधान के पद से अगस्त 1984 में सेवानिवृत्त हुए। चौहान बताते हैं कि प्रदेश में हरिदेवजोशी के कार्यकाल में शिवचरण माथुर शिक्षामंत्री थे। एक अंगे्रज टीचर मेडम बे्रड फोर्ड केरल में अंग्रेजी पर बहुत अच्छा कार्य कर रही थी। इस पर उन्हें प्रदेश में बुलाया। मैडम ने प्रदेश के श्रेष्ठ शिक्षकों का पैनल बनाया।
इसमें मुझे भी शामिल किया। इन्हीं शिक्षकों ने बाद में पूरे प्रदेश के शिक्षकों को पढ़ाया। चौहान बताते हैं कि आजादी के पहले, आजादी के बाद और अब की शिक्षा में काफी परिवर्तन आया है और यह अच्छा भी है। परिवर्तन ही संसार का नियम है, लेकिन शिक्षा को लेकर सोच में परिवर्तन आया है।
पहले शिक्षा सेवा थी। इसीलिए समाज में शिक्षकों के लिए सम्मान था। लेकिन, अब शिक्षा ने व्यवसायिकता का चोला पहन लिया है। एक जमाना था कि ट्यूशन नाम की कोई बुराई नहीं थी। पर, अब स्कूल की तुलना में ट्यूशन की पढ़ाई को अधिक महत्व दिया जाता है। यह शिक्षा के साथ न्याय नहीं है। चौहान कहते हैं कि शिक्षकों को फर्ज समझ कर अध्यापन कराना होगा तभी शिक्षा का स्तर पर सुधरेगा और शिक्षार्थियों का सच्चे अर्थों में भला भी होगा। चौहान क्रिकेटर के रुप में भी जाना पहचाना नाम है। वह रणजी ट्रॉफी में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वहीं, प्रदेश की स्कूल स्तरीय टीम मैनेजर भी रहे।
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