राजस्थानहाईकोर्ट की एकलपीठ के न्यायाधीश वीएस सिराधना ने आरपीएससी, वित्त
कार्मिक विभाग के सचिवों और निदेशक लेखा कोष से जवाब-तलब किया है।
न्यायाधीश सिराधना ने जूनियर अकाउंटेंट भर्ती में पंचायती राज संस्थाओं के
मंत्रालयिक कर्माचारियों को आरक्षण नहीं देने के मामले में उन्हें तलब किया
है।
उन्होंने इस प्रकरण में पारित अंतरिम आदेश में कहा है कि इस भर्ती के तहत होने वाली सभी नियुक्तियां उक्त रिट याचिका के अध्यधीन रहेगी। इस संबंध में कोई नियुक्ति आदेश जारी किया जाता है तो उसमें इसका अंकन किया जाए।
अधिवक्ता सुनीलकुमार सिंगोदिया ने सूरजगढ़ क्षेत्र की अडूका पंचायत के लिपिक हेमंत कुमार खांडल की ओर से दायर की याचिका में ये अंतरिम आदेश दिए गए। प्रकरण में सिंगोदिया ने दलील दी कि पंचायती राज अधिनियम की धारा 86 एवं 89 के तहत पंचायत समिति एवं जिला परिषदों में कार्यरत कर्मचारी राजकीय कर्मचारी माने गए हैं। इन कर्मचारियों पर राजस्थान राज्य के कर्मचारियों के समस्त सेवा नियम लागू होते हैं।
आरपीएससी द्वारा आयोजित आरएएस भर्ती परीक्षा में भी उन्हें 12.5 प्रतिशत दंडवत आरक्षण का लाभ दिया गया है।
यह था मामला
सिंगोदियाके मुताबिक आरपीएससी ने 18 सितंबर 2013 को विज्ञापन जारी कर कनिष्ठ लेखाकार तहसील राजस्व लेखाकार भर्ती की प्रतियोगी परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे। विज्ञापन के अनुसरण में एक शुद्धिपत्र 31 अक्टूबर 2014 को जारी कर मंत्रालयिक कर्मचारी के 437 पदों को दंडवत आरक्षण के अनुसार वर्गीकरण किया गया। विज्ञप्ति में यह उल्लेख किया गया कि पंचायत समितियों एवं जिला परिषदों में सेवारत लिपिकीय कर्मचारी को भी मंत्रालयिक कर्मचारी के रूप में आरक्षण एवं आयु सीमा में छूट मिलेगी। अडूका (सूरजगढ़) में कनिष्ठ लिपिक हेमंत कुमार खांडल ने मंत्रालयिक कर्मचारी वर्ग में ऑनलाइन आवेदन किया और आरपीएससी द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षा में भी शामिल हुआ। परीक्षा का परिणाम 17 मई 2017 को जारी किया गया जिसके अनुसार मंत्रालयिक कर्मचारी की कट ऑफ 393.88 प्रतिशत रही जबकि हेमंत ने 401.19 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। हेमंत एवं उसके समकक्ष अभ्यर्थी चयन के पश्चात नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे तो उन्हें जानकारी मिली कि वित्त विभाग ने 11 मई 2017 को एक आदेश जारी कर आरपीएससी को निर्देशित किया कि पंचायती राज संस्थाओं के कर्मचारी राजकीय विभाग के अंतर्गत नहीं आते।
उन्होंने इस प्रकरण में पारित अंतरिम आदेश में कहा है कि इस भर्ती के तहत होने वाली सभी नियुक्तियां उक्त रिट याचिका के अध्यधीन रहेगी। इस संबंध में कोई नियुक्ति आदेश जारी किया जाता है तो उसमें इसका अंकन किया जाए।
अधिवक्ता सुनीलकुमार सिंगोदिया ने सूरजगढ़ क्षेत्र की अडूका पंचायत के लिपिक हेमंत कुमार खांडल की ओर से दायर की याचिका में ये अंतरिम आदेश दिए गए। प्रकरण में सिंगोदिया ने दलील दी कि पंचायती राज अधिनियम की धारा 86 एवं 89 के तहत पंचायत समिति एवं जिला परिषदों में कार्यरत कर्मचारी राजकीय कर्मचारी माने गए हैं। इन कर्मचारियों पर राजस्थान राज्य के कर्मचारियों के समस्त सेवा नियम लागू होते हैं।
आरपीएससी द्वारा आयोजित आरएएस भर्ती परीक्षा में भी उन्हें 12.5 प्रतिशत दंडवत आरक्षण का लाभ दिया गया है।
यह था मामला
सिंगोदियाके मुताबिक आरपीएससी ने 18 सितंबर 2013 को विज्ञापन जारी कर कनिष्ठ लेखाकार तहसील राजस्व लेखाकार भर्ती की प्रतियोगी परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए थे। विज्ञापन के अनुसरण में एक शुद्धिपत्र 31 अक्टूबर 2014 को जारी कर मंत्रालयिक कर्मचारी के 437 पदों को दंडवत आरक्षण के अनुसार वर्गीकरण किया गया। विज्ञप्ति में यह उल्लेख किया गया कि पंचायत समितियों एवं जिला परिषदों में सेवारत लिपिकीय कर्मचारी को भी मंत्रालयिक कर्मचारी के रूप में आरक्षण एवं आयु सीमा में छूट मिलेगी। अडूका (सूरजगढ़) में कनिष्ठ लिपिक हेमंत कुमार खांडल ने मंत्रालयिक कर्मचारी वर्ग में ऑनलाइन आवेदन किया और आरपीएससी द्वारा आयोजित भर्ती परीक्षा में भी शामिल हुआ। परीक्षा का परिणाम 17 मई 2017 को जारी किया गया जिसके अनुसार मंत्रालयिक कर्मचारी की कट ऑफ 393.88 प्रतिशत रही जबकि हेमंत ने 401.19 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। हेमंत एवं उसके समकक्ष अभ्यर्थी चयन के पश्चात नियुक्ति का इंतजार कर रहे थे तो उन्हें जानकारी मिली कि वित्त विभाग ने 11 मई 2017 को एक आदेश जारी कर आरपीएससी को निर्देशित किया कि पंचायती राज संस्थाओं के कर्मचारी राजकीय विभाग के अंतर्गत नहीं आते।
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