जयपुर.राजस्थान यूनिवर्सिटी के देराश्री भवन में रविवार को
टीचर एजुकेशन से जुड़े प्राइवेट बीएड काॅलेजाें के इंटीग्रेटेड कोर्सेस (4
ईयर कोर्सेस बीएबीएड, बीएससीबीएड) की फैकल्टी के इंटरव्यू हुए। ये रात 9
बजे तक चले। यूनिवर्सिटी से जुड़े शिक्षकों की निगरानी में सब्जेक्ट
एक्सपर्ट ने ये इंटरव्यू लिए। इंटरव्यू देने पहुंचे बेरोजगार अभ्यर्थियों
को कॉलेज संचालकों ने दो से तीन हजार रुपए सिर्फ इंटरव्यू देने के लिए दिए।
यह राशि इंटरव्यू देने और इंटरव्यू में रिजेक्ट होने के बदले कॉलेज
संचालकों ने बेरोजगारों को दी। इनमें से कई लोग ऐसे भी है, जो अन्य किसी के
दस्तावेजों पर इंटरव्यू का हिस्सा बनें। उधर, कॉलेज संचालकों ने इंटरव्यू
प्रोसेस का हिस्सा बने लोगों को भी बंद लिफाफों में 5 से 20 हजार रुपए तक
बतौर नजराने भेंट किए। इनमें से कई लोगों ने लिफाफे रखने से किसी इनकार कर
दिया तो कुछ ने रख लिए।
फैकल्टी सलेक्शन के मायने नहीं
कॉलेजों के लिए फैकल्टी सलेक्शन के कोई मायने नहीं है। जिस कॉलेज के लिए फैकल्टी भर्ती की जा रही है, उस कॉलेज को अभी तक मान्यता नहीं है। अागे मिलेगी या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है। मान्यता मिलने के बाद वापस से इंस्पेक्शन होगा या नहीं, ये सब भविष्य में तय होगा। ऐसे में नवनियुक्त स्टाफ की तनख्वाह मिलेगी या नहीं ये भी स्पष्ट नहीं है। जब तक मान्यता नहीं है कॉलेज संचालक तनख्वाह देने से बचेंगे।
टीचर
एजुकेशन से जुड़े नए कोर्सेस बीएबीएड, बीएससीबीएड आदि प्राइवेट कॉलेजों
में फर्जी फैकल्टी नहीं लगे, इसके लिए एनसीटीई और सरकार ने नियम निकाला है
कि विश्वविद्यालयों के अंदर ही फैकल्टी के इंटरव्यू संपन्न हो। प्राइवेट
कॉलेज में जिस व्यक्ति का बतौर शिक्षक चयन हो, उस व्यक्ति की डिटेल
यूनिवर्सिटी में रहे साथ ही एनसीटीई और सरकार के पास भी उपलब्ध हो। चूंकि,
प्राइवेट कॉलेज फैकल्टी अपने हिसाब से रखना चाहते है। ऐसे में वह सब्जेक्ट
टीचर के रूप में सिर्फ तीन अभ्यर्थी ही इंटरव्यू के लिए लेकर पहुंचते है।
नियम अनुसार तीन या इससे अधिक पर ही कॉलेज फैकल्टी का इंटरव्यू कराना संभव
है। ऐसे में बेरोजगारों को जुटाने के बदले, उन्हें मेहनताने के नाम पर दो
से तीन हजार रुपए दिए जा रहे हैं।
प्रति कॉलेज 16 पोस्ट, कम से कम 48 अभ्यर्थी जरूरी
कॉलेज
संचालकों ने बताया कि प्रति कॉलेज 16 पोस्टें रखनी है। एक पोस्ट पर कम से
कम तीन का इंटरव्यू होना है। 48 योग्य शिक्षकों को जुटाना और उनमें से चयन
कराना जैसा प्रोसेस है। कुछ कॉलेज संचालकों ने बताया कि हमनें विज्ञापन
देकर आवेदन मांगे थे, उनमें से टॉप- 3 छांट लिए। अंतिम समय में कुछ
सब्जेक्ट के शिक्षक नहीं मिलने पर बेरोजगारों को बुलाया गया और रुपए देकर
इंटरव्यू में बैठाया गया हे। ऐसी समस्या आर्ट्स के विषयों में रही है।
वीसी बोले- इस प्रोसेस से हम भी सहमत नहीं
कार्यवाहक कुलपति राजेश्वर सिंह ने कहा है- प्राइवेट कॉलेजों में फेकल्टी रखवाने के लिए यूनिवर्सिटी में इंटरव्यू हो, इससे मैं सहमत नहीं हूं। एनसीटीई चाहती है, इसलिए ये सब चल रहा है। इसलिए कॉलेज संचालकों को रुपए बांटने पड़ रहे हंै। बहरहाल रुपयों का लेनदेन ऑन रिकार्ड साबित नहीं हो सकता है। बहरहाल चेक कराते है, इस तरह की एक्सट्रा गतिविधियों को कैसे खत्म कराया जा सकता है।
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