मलारना डूंगर |कस्बेमें एक बीमार गाय के थाना परिसर में जाने पर
पुलिसकर्मियों ने पशु प्रेम दिखाकर उसका उपचार करवाया। गाय को बीमार हालात
में देख हैड कांस्टेबल बाबूदीन, कांस्टेबल मनीष आदि ने पशु चिकित्साकर्मी
राजेश गुर्जर चांद नारायण को बुलाकर ग्लूकोज, इंजेक्शन आदि लगवा कर उपचार
करवाया। साथ ही गाय के लिए हरा चारा पानी की भी व्यवस्था की।
नगर संवाददाता| सवाई माधोपुर स्कूलों में मौजूदा सत्र वर्ष 2016-17 अधिकतर छुटिट्यों में ही बीता। इस दौरान छात्रों की पढ़ाई पर काफी असर पड़ा। हालांकि छुटिट्यों में शिक्षकों की बल्ले-बल्ले रही हो, लेकिन छात्रों को अपना कोर्स पूरा करने के लिए स्कूलों के अलावा कोचिंगों का भी सहारा लेना पड़ा। मौजूदा सत्र जुलाई से लेकर वार्षिक परीक्षा तक के वर्किंग डे पर नजर डाली जाएं तो 286 दिनों में से 206 दिन ही स्कूलों में पढ़ाई हुई। अधिकतर छुटिट्यों में ही मौजूदा सत्र निकला। इन छुटिट्यों में कक्षा छह से बारहवीं तक की पढ़ाई के नुकसान को देखते हुए अधिकतर छात्रों ने कोचिंगों का सहारा लिया और अपना कोर्स पूरा किया।
मौजूदा सत्र में रहे कब और कितने अवकाश: जुलाई से लेकर वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने से पूर्व तक दीपावली एवं शीतकालीन अवकाश को छोड़कर 37 छुटि्टयां रविवार की रही। इसके अलावा 43 छुटि्टयां विभिन्न त्योहारों, जयंतियों एवं शीतकालीन अवकाश की रही। पंद्रह दिन अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं में बीते। रविवार एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं को जरूरी मानते हुए इन सबके अलावा 43 छुटि्टयां अर्थात डेढ़ माह की छुटि्टयां शिक्षा विभाग में खूब रही।
दूसरे राज्यों में उठाए जा रहे हैं ये कदम: स्कूलों में छुटिट्यों को कम करने के लिए उत्तरप्रदेश की सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। महापुरुषों की जयंतियों पर छुटिट्यों को निरस्त कर यदि इन दिनों स्कूल खोले जाएं और इन महापुरुषों की जयंतियों को स्कूलों में मनाया जाएं, तो इससे स्कूलों में बालकों में महापुरुषों की जीवनी, इनके सिद्धांत एवं आदर्श भी सीखने को मिलेंगे।
कैलेंडरसे चलते हैं स्कूल
^शिक्षाविभाग के कैलेंडर के निर्देशों एवं नियमों की पालना जरूरी है। इसी कैलेंडर के अनुसार स्कूल संचालित होते हैं। शिक्षक नियमित रूप से पढ़ाई करवाएं और अपनी जिम्मेदारी समझे। फिलहाल एक मई से नया सत्र शुरू होने वाला है। -सर्वशिक्षा अभियान एडीपीसी, मनमोहन दाधीच
नगर संवाददाता| सवाई माधोपुर स्कूलों में मौजूदा सत्र वर्ष 2016-17 अधिकतर छुटिट्यों में ही बीता। इस दौरान छात्रों की पढ़ाई पर काफी असर पड़ा। हालांकि छुटिट्यों में शिक्षकों की बल्ले-बल्ले रही हो, लेकिन छात्रों को अपना कोर्स पूरा करने के लिए स्कूलों के अलावा कोचिंगों का भी सहारा लेना पड़ा। मौजूदा सत्र जुलाई से लेकर वार्षिक परीक्षा तक के वर्किंग डे पर नजर डाली जाएं तो 286 दिनों में से 206 दिन ही स्कूलों में पढ़ाई हुई। अधिकतर छुटिट्यों में ही मौजूदा सत्र निकला। इन छुटिट्यों में कक्षा छह से बारहवीं तक की पढ़ाई के नुकसान को देखते हुए अधिकतर छात्रों ने कोचिंगों का सहारा लिया और अपना कोर्स पूरा किया।
मौजूदा सत्र में रहे कब और कितने अवकाश: जुलाई से लेकर वार्षिक परीक्षाएं शुरू होने से पूर्व तक दीपावली एवं शीतकालीन अवकाश को छोड़कर 37 छुटि्टयां रविवार की रही। इसके अलावा 43 छुटि्टयां विभिन्न त्योहारों, जयंतियों एवं शीतकालीन अवकाश की रही। पंद्रह दिन अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं में बीते। रविवार एवं अर्द्धवार्षिक परीक्षाओं को जरूरी मानते हुए इन सबके अलावा 43 छुटि्टयां अर्थात डेढ़ माह की छुटि्टयां शिक्षा विभाग में खूब रही।
दूसरे राज्यों में उठाए जा रहे हैं ये कदम: स्कूलों में छुटिट्यों को कम करने के लिए उत्तरप्रदेश की सरकार ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। महापुरुषों की जयंतियों पर छुटिट्यों को निरस्त कर यदि इन दिनों स्कूल खोले जाएं और इन महापुरुषों की जयंतियों को स्कूलों में मनाया जाएं, तो इससे स्कूलों में बालकों में महापुरुषों की जीवनी, इनके सिद्धांत एवं आदर्श भी सीखने को मिलेंगे।
कैलेंडरसे चलते हैं स्कूल
^शिक्षाविभाग के कैलेंडर के निर्देशों एवं नियमों की पालना जरूरी है। इसी कैलेंडर के अनुसार स्कूल संचालित होते हैं। शिक्षक नियमित रूप से पढ़ाई करवाएं और अपनी जिम्मेदारी समझे। फिलहाल एक मई से नया सत्र शुरू होने वाला है। -सर्वशिक्षा अभियान एडीपीसी, मनमोहन दाधीच
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