एडहॉक प्रमोशन मंजूर अधीनस्थ विभागों के 56 हजार से ज्यादा मंत्रालयिक कर्मचारियों को अब
सचिवालय पेटर्न पर प्रमोशन मिलेंगे। इसके लिए वित्त विभाग ने मंत्रालयिक
कर्मचारियों के पुनर्गठन को मंजूरी दे दी है। इसमें प्रमोशन के पदों में
इजाफे के साथ पदों के नाम भी बदले जाएंगे।
सचिवालय पेटर्न के मुताबिक मंत्रालयिक कर्मचारियों के प्रमोशन के शीर्ष पद संस्थापन अधिकारी के लिए पांच साल के अनुभव की जगह अब 25 साल की सर्विस लेंथ लागू होगी। यानी पद खाली होने की स्थिति में संस्थापन अधिकारी पर टाइम बाउंड प्रमोशन हो सकेगा। सेवा नियमों में संशोधन के चलते अब यह मामला कैबिनेट की मंजूरी के लिए भी भेजा जाएगा।
पांच साल की जगह दो साल में प्रमोशन : सहायककार्यालय अधीक्षक से सहायक प्रशासनिक अधिकारी पर प्रमोशन के लिए अब दो साल का अनुभव, सहायक प्रशासनिक अधिकारी से प्रशासनिक अधिकारी पर तीन साल तथा प्रशासनिक अधिकारी से संस्थापन अधिकारी के लिए 25 साल की सर्विस लेंथ का नियम लागू किया जाएगा।
लिपिक ग्रेड द्वितीय का पदनाम बदलकर कनिष्ठ सहायक, लिपिक ग्रेड फर्स्ट का वरिष्ठ सहायक होगा। वहीं सहायक कार्यालय अधीक्षक का नाम सहायक प्रशासनिक अधिकारी किया गया है। इस पद गजेटेड कर दिया गया है। कार्मिक विभाग ने इसके लिए कार्य भी नए सिरे से तय किए हैं। इनमें न्यायिक प्रकरणों में ओआईसी, स्टोर प्रभारी, आरटीआई में नोडल अधिकारी और मोनिटरिंग जैसे काम शामिल होंगे। चौथे पद कार्यालय अधीक्षक का पदनाम बदलकर अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी कर दिया गया है। वहीं पांचवे पद प्रशासनिक अधिकारी और छठें पद संस्थापन अधिकारी के नाम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
मंत्रालयिक कर्मचारियों में अब तक एडहॉक प्रमोशन के नियम नहीं थे। लेकिन मुख्यमंत्री स्तर पर इस मांग को भी मान लिया गया है। आरपीएससी ने भी इसके लिए मंजूरी दे दी है। अब विधि विभाग के परीक्षण के बाद यह फाइल वित्त विभाग के पास पहुंची है। एडहॉक प्रमोशन में पद खाली होने पर बिना डीपीसी के भी प्रमोशन कर दिया जाता है।
पंचायती राज मंत्री राजेंद्र राठौड़ की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट सब जनवरी 2016 से इस मसले पर राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ से बातचीत कर रही थी। कमेटी ने पिछले साल नवंबर में ही अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी थी जिसमें कर्मचारियों की छह मांगों को मान लिया गया। मुख्यमंत्री के स्तर पर मांगों के अनुमोदन के बाद इसी सप्ताह वित्त नियम विभाग ने कैडर के पुनर्गठन के आदेश जारी कर दिए हैं।
सचिवालय पेटर्न के मुताबिक मंत्रालयिक कर्मचारियों के प्रमोशन के शीर्ष पद संस्थापन अधिकारी के लिए पांच साल के अनुभव की जगह अब 25 साल की सर्विस लेंथ लागू होगी। यानी पद खाली होने की स्थिति में संस्थापन अधिकारी पर टाइम बाउंड प्रमोशन हो सकेगा। सेवा नियमों में संशोधन के चलते अब यह मामला कैबिनेट की मंजूरी के लिए भी भेजा जाएगा।
पांच साल की जगह दो साल में प्रमोशन : सहायककार्यालय अधीक्षक से सहायक प्रशासनिक अधिकारी पर प्रमोशन के लिए अब दो साल का अनुभव, सहायक प्रशासनिक अधिकारी से प्रशासनिक अधिकारी पर तीन साल तथा प्रशासनिक अधिकारी से संस्थापन अधिकारी के लिए 25 साल की सर्विस लेंथ का नियम लागू किया जाएगा।
लिपिक ग्रेड द्वितीय का पदनाम बदलकर कनिष्ठ सहायक, लिपिक ग्रेड फर्स्ट का वरिष्ठ सहायक होगा। वहीं सहायक कार्यालय अधीक्षक का नाम सहायक प्रशासनिक अधिकारी किया गया है। इस पद गजेटेड कर दिया गया है। कार्मिक विभाग ने इसके लिए कार्य भी नए सिरे से तय किए हैं। इनमें न्यायिक प्रकरणों में ओआईसी, स्टोर प्रभारी, आरटीआई में नोडल अधिकारी और मोनिटरिंग जैसे काम शामिल होंगे। चौथे पद कार्यालय अधीक्षक का पदनाम बदलकर अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी कर दिया गया है। वहीं पांचवे पद प्रशासनिक अधिकारी और छठें पद संस्थापन अधिकारी के नाम में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।
मंत्रालयिक कर्मचारियों में अब तक एडहॉक प्रमोशन के नियम नहीं थे। लेकिन मुख्यमंत्री स्तर पर इस मांग को भी मान लिया गया है। आरपीएससी ने भी इसके लिए मंजूरी दे दी है। अब विधि विभाग के परीक्षण के बाद यह फाइल वित्त विभाग के पास पहुंची है। एडहॉक प्रमोशन में पद खाली होने पर बिना डीपीसी के भी प्रमोशन कर दिया जाता है।
पंचायती राज मंत्री राजेंद्र राठौड़ की अध्यक्षता में गठित कैबिनेट सब जनवरी 2016 से इस मसले पर राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ से बातचीत कर रही थी। कमेटी ने पिछले साल नवंबर में ही अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी थी जिसमें कर्मचारियों की छह मांगों को मान लिया गया। मुख्यमंत्री के स्तर पर मांगों के अनुमोदन के बाद इसी सप्ताह वित्त नियम विभाग ने कैडर के पुनर्गठन के आदेश जारी कर दिए हैं।
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