राजस्थान हाईकोर्ट ने आरपीएससी से कनिष्ठ लेखाकार
भर्ती-2013 का रिकॉर्ड तलब किया है। अदालत ने आयोग को आदेश दिए हैं कि वह
एक जून को सारिणी के रूप में रिपोर्ट पेश कर बताए कि भर्ती में कितने और
कौनसे प्रश्नों में संशोधन किया गया। इसके अलावा मॉडल उत्तर कुंजी जारी
करने के बाद कितनी बार विशेषज्ञ कमेटी बनाई गई और कितनी बार संशोधित परिणाम
जारी किया गया।
अदालत ने आयोग को यह भी बताने को कहा है कि कितने
प्रश्नों को डिलीट किया गया और कितने अभ्यर्थियों की ओर से आपत्तियां पेश
की गई। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग और न्यायाधीश एसपी शर्मा की
खंडपीठ ने यह आदेश विनोदकुमार व अन्य की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते
हुए दिए।
सुनवाई के दौरान बुधवार को आरपीएससी सदस्य शिवसिंह राठौड़ अदालत में पेश हुए। उन्होंने बताया आयोग सचिव लंबे समय से मेडीकल लेकर छुट्टी पर चल रहे हैं। इसलिए वे आदेश की पालना में पेश नहीं हो सके।
सदस्य ने बताया कि गलत निर्णय लेने वाले विशेषज्ञों को बाहर किया गया और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इस पर अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि कमेटी बनाने से पहले आयोग यह नहीं देखता कि विशेषज्ञ सक्षम भी है या नहीं? इसके साथ ही अदालत ने एक जून को आयोग को भर्ती का रिकॉर्ड पेश करने के आदेश दिए हैं।
अपील में कहा गया कि विवादित प्रश्नों को लेकर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने आरपीएससी को दिशा-निर्देश जारी किए थे। वहीं एक समान प्रकृति के एक अन्य मामले में इस तथ्य को छिपाकर दूसरी एकलपीठ में याचिका दायर की गई जहां आरपीएससी की ओर से भी पूर्व के आदेश की जानकारी नहीं दी गई। इसके चलते एकलपीठ ने पुन: विशेषज्ञ कमेटी गठित कर संशोधित परिणाम जारी करने के आदेश दिए। जिससे अपीलार्थियों के हित प्रभावित हो गए।
सुनवाई के दौरान बुधवार को आरपीएससी सदस्य शिवसिंह राठौड़ अदालत में पेश हुए। उन्होंने बताया आयोग सचिव लंबे समय से मेडीकल लेकर छुट्टी पर चल रहे हैं। इसलिए वे आदेश की पालना में पेश नहीं हो सके।
सदस्य ने बताया कि गलत निर्णय लेने वाले विशेषज्ञों को बाहर किया गया और उनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। इस पर अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि कमेटी बनाने से पहले आयोग यह नहीं देखता कि विशेषज्ञ सक्षम भी है या नहीं? इसके साथ ही अदालत ने एक जून को आयोग को भर्ती का रिकॉर्ड पेश करने के आदेश दिए हैं।
अपील में कहा गया कि विवादित प्रश्नों को लेकर हाईकोर्ट की एकलपीठ ने आरपीएससी को दिशा-निर्देश जारी किए थे। वहीं एक समान प्रकृति के एक अन्य मामले में इस तथ्य को छिपाकर दूसरी एकलपीठ में याचिका दायर की गई जहां आरपीएससी की ओर से भी पूर्व के आदेश की जानकारी नहीं दी गई। इसके चलते एकलपीठ ने पुन: विशेषज्ञ कमेटी गठित कर संशोधित परिणाम जारी करने के आदेश दिए। जिससे अपीलार्थियों के हित प्रभावित हो गए।
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