जोधपुर.राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में एक
याचिकाकर्ता को भर्ती परीक्षा में सफल रहने के बावजूद नियुक्ति नहीं देने
पर कड़ी नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार और आरपीएससी पर दो-दो लाख रुपए का
जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यह जुर्माना नियुक्ति नहीं देने के दोषी
अफसरों से वसूल करने के निर्देश दिए।
- राजस्थान के पीड़ित बेरोजगारो एक हो जाओ तुम्हारे पास खोने को कुछ नही पाने को सब कुछ है
- 35 हजार थर्ड ग्रेड शिक्षकों के स्थायीकरण के आदेश जारी
- 3rd Grade Vacant List : कल होगी रिक्त पदों की सूचि जारी
- 3rd Grade 2012 : 37 हजार के स्थायीकरण नहीं सभी 40 हजार के होंगे , मार्गदर्शन पत्र जो पंचायती राज विभाग द्वारा आनंद कुमार जी ने कल हमें दिया
- 8वीं की परीक्षा के लिए 55 हजार 757 विद्यार्थियों को दी आयु में शिथिलता : शिक्षा मंत्री
- जयपुर पहुंचे : 1 मार्च को जयपुर में रैली की अनुमति मिल गयी है : सोती हुई सरकार को नींद से जगाये
याचिकाकर्ता
कौशल कुमार गुप्ता की ओर से अधिवक्ता विशाल शर्मा ने रिट याचिका दायर कर
कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता आरपीएससी की 2004 में आयोजित तृतीय श्रेणी
शिक्षक भर्ती परीक्षा में 134 अंक प्राप्त कर सफल रहा। उसे साक्षात्कार के
लिए भी बुलाया गया। बाद में आरपीएससी ने इतने ही अंक पाने वाले अन्य
अभ्यर्थियों को नौकरी दे दी, लेकिन याचिकाकर्ता को वंचित रखा गया। वर्ष
2008 में हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। इस पर हाईकोर्ट ने वर्ष 2004 की
भर्ती में रिक्त पदों पर याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश दिए। इसके
बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर वर्ष 2011 में अवमानना याचिका दायर की गई।
अधिवक्ता ने कहा कि पहले तो सरकार एवं आरपीएससी ने कहा कि वर्ष 2004 की भर्ती में कुछ पद रिक्त हैं, लेकिन बाद यह कहकर मना कर दिया गया कि सभी रिक्त पद अगली भर्ती में कैरी-फॉरवर्ड हो गए हैं तथा 2006 में सभी पद भर लिए गए। इस पर कौशल ने अवमानना याचिका वापस लेते हुए नए सिरे से याचिका दायर की। इसमें बताया गया कि सरकार और आरपीएससी ने झूठे शपथ पत्र देकर कोर्ट को गुमराह किया है। जहां एक ओर सभी पद भरे हुए बताए जा रहे हैं, वहीं विधानसभा में एक सवाल के जवाब में पद रिक्त बताए गए हैं।
अधिवक्ता ने कहा कि पहले तो सरकार एवं आरपीएससी ने कहा कि वर्ष 2004 की भर्ती में कुछ पद रिक्त हैं, लेकिन बाद यह कहकर मना कर दिया गया कि सभी रिक्त पद अगली भर्ती में कैरी-फॉरवर्ड हो गए हैं तथा 2006 में सभी पद भर लिए गए। इस पर कौशल ने अवमानना याचिका वापस लेते हुए नए सिरे से याचिका दायर की। इसमें बताया गया कि सरकार और आरपीएससी ने झूठे शपथ पत्र देकर कोर्ट को गुमराह किया है। जहां एक ओर सभी पद भरे हुए बताए जा रहे हैं, वहीं विधानसभा में एक सवाल के जवाब में पद रिक्त बताए गए हैं।
29 जुलाई 2008 से वास्तविक वित्तीय
लाभ...
विस्तृत सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि राज्य
सरकार एवं आरपीएससी दोनों ने कोर्ट को गुमराह किया है। जस्टिस संदीप मेहता
ने इस मामले में अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताई।
कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए राज्य सरकार को छह हफ्ते में याचिकाकर्ता
को तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर नियुक्ति देने के आदेश दिए। इसी भर्ती
में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति आदेश दिए जाने की तिथि से सेवा लाभ देने
के भी आदेश दिए। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ता को
हाईकोर्ट के पूर्व आदेश की तिथि यानी 29 जुलाई 2008 से वास्तविक वित्तीय
लाभ एवं
इससे पूर्व के
काल्पनिक (नोशनल) सेवा लाभ दिए जाएं...
कोर्ट ने राज्य सरकार और आरपीएससी पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया। साथ ही राज्य के मुख्य सचिव और आरपीएससी के अध्यक्ष को इस मामले में देरी के लिए दोषी अधिकारियों का पता लगाने के भी निर्देश दिए हैं।
कोर्ट ने राज्य सरकार और आरपीएससी पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया। साथ ही राज्य के मुख्य सचिव और आरपीएससी के अध्यक्ष को इस मामले में देरी के लिए दोषी अधिकारियों का पता लगाने के भी निर्देश दिए हैं।
- राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ ने विधानसभा के सामने किया प्रदर्शन
- कोर्ट ने कहा,प्रबोधकों का लेवल तय करें इधर,डीईओ ने मार्गदर्शन तक नहीं मांगा
- ये लो शिक्षा पर आशंका के बादल, हो गए 2810 विद्यार्थी ओवरऐज, अब नहीं दे सकेंगे परीक्षा!
- ग्रेड थर्ड शिक्षक भर्ती 2012 को लेकर बेरोजगारों शिक्षक लामबंद
- For fixation & arrear 2012
- 2012 के अध्यापको के स्थाईकरण के डायरेकसन आदेश पंचायतराज विभाग ने shiksha विभाग को दिये
No comments:
Post a Comment