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बीईईओ साहब, हमारा स्कूल भी तो देखो, हम भी किसी से कम नहीं

बांसवाड़ा| आमतौरपर सरकारी स्कूलों में जब कोई अधिकारी आता है तो बच्चे और शिक्षक नहीं चाहते कि वे स्कूल में गहराई से जांच-पड़ताल करें। अधिकारी जिस रास्ते से गुजरता है, उस रास्ते में पड़ने वाले स्कूलों में खामोशी छा जाती है, लेकिन राप्रावि समाईमाता के बच्चों ने बीईईओ का रास्ता रोककर स्कूल आने का आग्रह करते हुए कहा कि साहब, हमारा स्कूल भी देखते जाओ, हम भी तो किसी से कम नहीं हैं।
दरअसल बीईईओ प्रकाश पंड्या शनिवार को स्कूलों के निरीक्षण के लिए गए हुए थे, जब राप्रावि समाईमाता स्कूल के निकट से आने वाले रास्ते लौट रहे थे। जैसे ही स्कूल के पास वाहन पहुंचा तो बच्चों ने वाहन को घेर लिया। आखिर बच्चों के आग्रह को बीईईओ टाल नहीं सके और स्कूल में गए। इसके बाद बच्चों-शिक्षकों से बातचीत की। इस दौरान शिक्षकों को बच्चों के आग्रह की आड़ में बेहतर काम करने की नसीहत दी, तो बच्चों को मन लगाकर पढ़ने का प्रोत्साहन दिया। इस मौके पर बच्चों ने 9 मार्च को आयोजित गांव में गैर कार्यक्रम में भाग लेने का आमंत्रण दिया।

100फीसदी हाजिरी पर ज्योमेट्री बाॅक्स वितरित : 8वीबोर्ड परीक्षा परिणाम उन्नयन को लेकर बांसवाड़ा ब्लाक में शत-प्रतिशत हाजिरी रखने वाले को दानदाताओं की तरफ से दिलाए गए ज्यामिती बॉक्स बांटे। शनिवार को राजकीय बालिका उच्च प्राथमिक विद्यालय माहीडैम और उच्च प्राथमिक विद्यालय सिंगपुरा में ज्योमेट्री बाक्स दिए। माहीडैम में संस्था प्रधान विनिता वर्मा और यहां बालिकाओं को निशुल्क गणित, विज्ञान शिक्षण कराने वाले सेवानिवृत्त हुए इंजीनियर एसएन गोयल के साथ बालिकाओं को 8वी बोर्ड में श्रेष्ठ परीक्षा परिणाम के टिप्स भी दिए। सिंगपुरा में संस्था प्रधान साजिद खान के साथ 8वी के बच्चों से विस्तार से संवाद किया।

नई आबादी बालिका स्कूल में ये बाइक से ले गए कॉपियां।

समाईमाता के स्कूल के बच्चे वाहन रोकने के बाद बीईईओ से बात करते हुए।

बस में बैठकर उतरे और ऐसे लाए कॉपियां।

कॉपियां जमा कराने नई आबादी स्कूल जाती शिक्षिका।

भास्कर संवाददाता | बांसवाड़ा

माध्यमिकशिक्षा बोर्ड के तहत 12वीं की परीक्षाएं चल रही है। परीक्षा के बाद बच्चों की उत्तरपुस्तिकाएं जिलास्तर पर बनाए गए संग्रहण राबामावि नई आबादी स्कूल में जमा करानी है। ताकि इस केंद्र से ही सीधे कॉपियां माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर को भेजी जा सके। परीक्षा के बाद जो उत्तरपुस्तिकाएं परीक्षा केंद्र से संग्रहण केंद्र तक पहुंच रही है, उसे कोई बाइक पर बंडल रखकर जमा कराने रहा है तो कोई ऑटो से रहा है।

बिना सुरक्षा व्यवस्था के ही बच्चों का भविष्य कॉपियों के रूप में संग्रहण केंद्र तक पहुंच रहा है। जब तक कोई घटनाक्रम नहीं होता है, तब तक तो ठीक है, लेकिन कोई घटनाक्रम होता है या फिर कॉपियां चोरी हो जाती है तो इसका जिम्मेदार कौन रहेगा। इसका जबाव तो शिक्षा विभाग के डीईओ के पास है और ही अन्य किसी के पास है।

बरसोंपहले हो चुकी घटना : जबतक सामान्य है, तब तो ठीक है, लेकिन कल्पना करें कि परीक्षा केंद्र से उत्तरपुस्तिकाओं के बंडल लेकर संग्रहण केेंद्र पर शिक्षक जमा कराने रहा है। रास्ते में उसी केंद्र के कुछ शरारती बच्चे, जिन्हें फेल होने की आशंका है। वह गुट बनाकर हमला करें और उत्तरपुस्तिकाएं चुरा ले या फिर जला दे। सबको पता है कि ऐसी स्थिति में दो ही विकल्प हो सकते हैं।

एक तो बंडल में जिन बच्चों की उत्तरपुस्तिकाएं है, उन्हें बोनस अंक मिल सकते हैं या फिर उस केंद्र की परीक्षा दुबारा हो सकती है। बताया जाता है कि बरसों पहले जब बंडल रेल से जाते थे, तब एक बार ऐसी घटना हुई थी और उत्तरपुस्तिकाएं जला दी थी।

पीआरओका बयान गैरजिम्मेदाराना

सुरक्षाव्यवस्था के मामले में जब माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पीआरओ राजेंद्र गुप्ता से बात की तो उनका बयान गैरजिम्मेदाराना था। गुप्ता ने सीधे ही कहा कि 30 साल से वे बोर्ड में नौकरी करते हैं, आज दिन तक यह सवाल नहीं आया। हमने कभी नहीं सुना कि उत्तरपुस्तिकाएं चोरी हो गई है। इसके उलट बोर्ड के अध्यक्ष प्रो. बीएल चौधरी ने बताया कि सुरक्षा व्यवस्था केंद्राधीक्षक की जिम्मेदारी है।

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