लीगल रिपोर्टर | जोधपुर हाईकोर्ट ने एक याचिकाकर्ता को भर्ती परीक्षा में सफल रहने के बावजूद नियुक्ति नहीं देने पर कड़ी नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार और आरपीएससी पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यह जुर्माना नियुक्ति नहीं देने के दोषी अफसराें से वसूल करने के निर्देश दिए।
उसने 2008 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने वर्ष 2004 की भर्ती में रिक्त पदों पर याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश दिए। इसके बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर वर्ष 2011 में अवमानना याचिका दायर की गई थी।
विस्तृत सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि राज्य सरकार एवं आरपीएससी दोनों ने कोर्ट को गुमराह किया है।
जस्टिस संदीप मेहता ने इस मामले में अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए राज्य सरकार को छह हफ्ते में याचिकाकर्ता को तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर नियुक्ति देने के आदेश दिए। इसी भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति आदेश दिए जाने की तिथि से सेवा लाभ देने के भी आदेश दिए। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट के पूर्व आदेश की तिथि यानी 29 जुलाई 2008 से वास्तविक वित्तीय लाभ एवं इससे पूर्व के काल्पनिक (नोशनल) सेवा लाभ दिए जाएं।
कोर्ट ने राज्य सरकार और आरपीएससी पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया। साथ ही राज्य के मुख्य सचिव और आरपीएससी के अध्यक्ष को इस मामले में देरी के लिए दोषी अधिकारियों का पता लगाने के भी निर्देश दिए हैं।
-राजस्थान हाईकोर्ट ने भर्ती परीक्षा में सफल रहने के बावजूद नियुक्ति नहीं देने के मामले में एक याचिका पर सुनाया फैसला
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उसने 2008 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर हाईकोर्ट ने वर्ष 2004 की भर्ती में रिक्त पदों पर याचिकाकर्ता को नियुक्ति देने के आदेश दिए। इसके बाद भी नियुक्ति नहीं देने पर वर्ष 2011 में अवमानना याचिका दायर की गई थी।
विस्तृत सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने माना कि राज्य सरकार एवं आरपीएससी दोनों ने कोर्ट को गुमराह किया है।
जस्टिस संदीप मेहता ने इस मामले में अधिकारियों की उदासीनता और लापरवाही पर गहरी नाराजगी जताई। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए राज्य सरकार को छह हफ्ते में याचिकाकर्ता को तृतीय श्रेणी अध्यापक के पद पर नियुक्ति देने के आदेश दिए। इसी भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति आदेश दिए जाने की तिथि से सेवा लाभ देने के भी आदेश दिए। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट के पूर्व आदेश की तिथि यानी 29 जुलाई 2008 से वास्तविक वित्तीय लाभ एवं इससे पूर्व के काल्पनिक (नोशनल) सेवा लाभ दिए जाएं।
कोर्ट ने राज्य सरकार और आरपीएससी पर दो-दो लाख रुपए का जुर्माना लगाया। साथ ही राज्य के मुख्य सचिव और आरपीएससी के अध्यक्ष को इस मामले में देरी के लिए दोषी अधिकारियों का पता लगाने के भी निर्देश दिए हैं।
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