जेएनवीयू के अंग्रेजी विभाग की एक संगोष्ठी में जेएनयू प्रो. निवेदिता मेनन
के विवादित भाषण के मामले में कुलपति प्रो. आरपी सिंह की ओर से कमेटी गठित
करने के आदेश की कॉपी अब तक जांच कमेटी के कन्वीनर तक नहीं पहुंची है।
गौरतलब है कि जेएनवीयू अंग्रेजी विभाग की एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज में आयोजित सेमिनार में जेएनयू प्रोफेसर मेनन ने कथित रूप से देश की सेना, भारत माता देश के नक्शे के अलावा कई मामलों में देशद्रोही भाषण दिए। वहां मौजूद इतिहास के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. एनके चतुर्वेदी भड़क गए और खड़े होकर अपना विरोध दर्ज करवाया। इस पर प्रो. मेनन प्रो. चतुर्वेदी में बहस हुई। इस मामले पर भास्कर में प्रकाशित समाचार का हवाला देते हुए जेएनवीयू कुलपति प्रो. सिंह ने तीन सदस्य जांच कमेटी गठित करने की घोषणा की। शुक्रवार को गठित कमेटी में सिंडिकेट सदस्य प्रो. औतारलाल मीणा को संयोजक बनाया गया। वहीं सिंडिकेट सदस्य प्रो. सुनील कुमार परिहार विधि संकाय के प्रो. वीके शर्मा को समिति सदस्य बनाया गया। लेकिन इसके तीन दिन बाद भी जेएनवीयू प्रशासन की ओर से जारी आदेश कमेटी संयोजक को नहीं मिल पाया। आदेश मिलने के बाद ही वे अपनी जांच आरंभ करेंगे। वहीं पुलिस की ओर से अब तक प्रो. चतुर्वेदी से पूछताछ की गई है। पुलिस ने इस मामले में प्रोग्राम की रिकॉर्डिंग करने फोटोग्राफी करने वाले फोटोग्राफर को भी बुलाकर बात की, उसका कहना था कि उसकी ओर से वीडियो बनाया गया था, लेकिन उसे डिलिट करवा दिया गया है। इस मामले में आयोजक डॉ. राजश्री राणावत को भी कारण बताओ नोटिस दिया गया है, जिसका उन्हें शीघ्र जवाब देना है।
प्रो. मेनन डॉ. राणावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होने के विरोध में एबीवीपी ने विभिन्न कैंपस में प्रदर्शन किया। उन्होंने कई संकायों में बंद करवाने का प्रयास किया। विधि संकाय में स्टूडेंट्स के कक्षाओं से बाहर निकलने से मना करने पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं की उनसे कहासुनी भी हुई। इस पर उन्होंने विधि संकाय की डीन प्रो. चंदनबाला से शिकायत की। स्टूडेंट्स ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की।
शिक्षकसंघ ने लिया डॉ. राणावत का पक्ष
जेएनवीयूशिक्षक संघ के महासचिव प्रो. डीएस खींची ने कुलपति प्रो. सिंह को पत्र भेजकर अंग्रेजी विभाग की शिक्षक डॉ. राणावत के खिलाफ हो रही कार्रवाई का विरोध दर्ज कराया है। पत्र में बताया कि संगोष्ठी आयोजन के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं। आयोजनकर्ता उस विषय की प्रस्तावना संभावित वक्ताओं सत्रों की सूची प्रस्तुत करता है। चयन समिति उस विषय पर संगोष्ठी आयोजक की स्वीकृति प्रदान करती है। संयोजक विभाग के सदस्य के रूप में वक्ताओं को आमंत्रित करता है। यह वक्ता को ही तय करना होता है कि वह विषय पर अपने विचार कैसे प्रस्तुत करे। संगोष्ठी संयोजक शोध पत्र प्रस्तुतकर्ताओं को विषय पर विचाराभिव्यक्ति की दिशा निर्धारित नहीं कर सकता इसीलिए संयोजक शिक्षकों को अपराधी अथवा आरोपी बना देना घोर आपत्तिजनक है।
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प्रो. मेनन डॉ. राणावत के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होने के विरोध में एबीवीपी ने विभिन्न कैंपस में प्रदर्शन किया। उन्होंने कई संकायों में बंद करवाने का प्रयास किया। विधि संकाय में स्टूडेंट्स के कक्षाओं से बाहर निकलने से मना करने पर एबीवीपी कार्यकर्ताओं की उनसे कहासुनी भी हुई। इस पर उन्होंने विधि संकाय की डीन प्रो. चंदनबाला से शिकायत की। स्टूडेंट्स ने कहा कि उन्होंने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की।
शिक्षकसंघ ने लिया डॉ. राणावत का पक्ष
जेएनवीयूशिक्षक संघ के महासचिव प्रो. डीएस खींची ने कुलपति प्रो. सिंह को पत्र भेजकर अंग्रेजी विभाग की शिक्षक डॉ. राणावत के खिलाफ हो रही कार्रवाई का विरोध दर्ज कराया है। पत्र में बताया कि संगोष्ठी आयोजन के लिए प्रस्ताव आमंत्रित किए जाते हैं। आयोजनकर्ता उस विषय की प्रस्तावना संभावित वक्ताओं सत्रों की सूची प्रस्तुत करता है। चयन समिति उस विषय पर संगोष्ठी आयोजक की स्वीकृति प्रदान करती है। संयोजक विभाग के सदस्य के रूप में वक्ताओं को आमंत्रित करता है। यह वक्ता को ही तय करना होता है कि वह विषय पर अपने विचार कैसे प्रस्तुत करे। संगोष्ठी संयोजक शोध पत्र प्रस्तुतकर्ताओं को विषय पर विचाराभिव्यक्ति की दिशा निर्धारित नहीं कर सकता इसीलिए संयोजक शिक्षकों को अपराधी अथवा आरोपी बना देना घोर आपत्तिजनक है।
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