नई दिल्ली/ जयपुर। राजस्थान में गुर्जरों समेत पांच जातियों को दिए गए एसबीसी आरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने स्टे लगा दिया है। इससे पूर्व राजस्थान हाईकोर्ट ने एसबीसी आरक्षण खत्म करने का फैसला सुनाया था।
जिसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार अध्यादेश के जरिए एसबीसी आरक्षण नहीं दे सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि एसबीसी आरक्षण भविष्य में नहीं दी जानी चाहिए। अब तक हो चुकी नियुक्तियां और प्रवेश सुरक्षित रखे जाएं।
आपको बता दें कि राजस्थान की भाजपा सरकार ने अध्यादेश के जरिए राज्य में 5 फीसदी एसबीसी आरक्षण लागू किया था। इस कोटे के तहत गुर्जर, रैबारी, बंजारा, गडरिया और गाडिया लुहार जातियों को शामिल किया गया था। लेकिन राजस्थान हाइकोर्ट ने सरकार की ओबीसी और आईडीएस रिपोर्टों को खारिज करते हुए एसबीसी आरक्षण को खत्म करने का फैसला सुनाया था।
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद राजस्थान के गुर्जरों ने फिर से आंदोलन करने की चेतावनी दी थी जिसके बाद गुर्जरों के साथ एक रिव्यू बैठक आयोजित कर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया था। सरकार ने मंशा जाहिर की थी कि, प्रदेश में विशेष परिस्थितियों को देखते हुए यहां एसबीसी श्रेणी में आरक्षण दिया जाए। इसके लिए प्रदेश में आरक्षण की मियाद 50 फ़ीसदी से 54 फ़ीसदी करने की पैरवी की जा रही है।
जिसके बाद राज्य सरकार ने इस फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार अध्यादेश के जरिए एसबीसी आरक्षण नहीं दे सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि एसबीसी आरक्षण भविष्य में नहीं दी जानी चाहिए। अब तक हो चुकी नियुक्तियां और प्रवेश सुरक्षित रखे जाएं।
आपको बता दें कि राजस्थान की भाजपा सरकार ने अध्यादेश के जरिए राज्य में 5 फीसदी एसबीसी आरक्षण लागू किया था। इस कोटे के तहत गुर्जर, रैबारी, बंजारा, गडरिया और गाडिया लुहार जातियों को शामिल किया गया था। लेकिन राजस्थान हाइकोर्ट ने सरकार की ओबीसी और आईडीएस रिपोर्टों को खारिज करते हुए एसबीसी आरक्षण को खत्म करने का फैसला सुनाया था।
हाईकोर्ट के निर्णय के बाद राजस्थान के गुर्जरों ने फिर से आंदोलन करने की चेतावनी दी थी जिसके बाद गुर्जरों के साथ एक रिव्यू बैठक आयोजित कर सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला लिया था। सरकार ने मंशा जाहिर की थी कि, प्रदेश में विशेष परिस्थितियों को देखते हुए यहां एसबीसी श्रेणी में आरक्षण दिया जाए। इसके लिए प्रदेश में आरक्षण की मियाद 50 फ़ीसदी से 54 फ़ीसदी करने की पैरवी की जा रही है।
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