जोधपुर| राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायधीश डॉ.
पुष्पेन्द्र सिंह भाटी ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा है कि किसी
भी भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी करने से लेकर चयन सूचि तक जारी करने तक की
जिम्मेदारी नियेक्ता एजेंसी की होती है।
इस दौरान यदि कोई गलती हो जाए तो उसका निवारण भी उसी एजेंसी द्वारा किया जाना चाहिए। जस्टिस डॉ. भाटी ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता मोहब्बत शाह की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए की| नियोक्ता आरपीएससी को उसके द्वारा जुलाई 2013 में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भर्ती के लिए जारी रिक्तियों के लिए याचिकाकर्ता का इंटरव्यू लेने तथा यदि वह सफल रहता है तो उसे तीन माह में नियुक्ति देने के आदेश भी दिए हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्तागण राजेन्द्र कटारिया, गौरव थानवी तथा बीआर जाजडा ने कहा कि आरपीएससी ने अपने यहां 24 चतुर्थश्रेणी कर्मचारी नियुक्त करने के लिए जुलाई 2013 को विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें से दो पर निशक्तजनो के लिए आरक्षित थे। इनमें से भी एक पद बहरे व्यक्ति के लिए सुरक्षित रखा गया था।
याचिकाकर्ता ने इस पद के लिए आवेदन दिया, लेकिन इंटरव्यू कॉललेटर पोस्ट ऑफिस द्वारा गलत जगह डिलिवर कर दिया गया तथा निर्धारित समय पर इंटरव्यू के लिए नहीं पहुंचने पर उसकी जगह किसी अन्य को नियुक्ति दे दी गई। बाद में याचिका कर्ता को आरटीआई के माध्यम से यह जानकारी मिली तो निराश होकर उसने याचिका दायर की।
इस दौरान यदि कोई गलती हो जाए तो उसका निवारण भी उसी एजेंसी द्वारा किया जाना चाहिए। जस्टिस डॉ. भाटी ने यह टिप्पणी याचिकाकर्ता मोहब्बत शाह की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए की| नियोक्ता आरपीएससी को उसके द्वारा जुलाई 2013 में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी की भर्ती के लिए जारी रिक्तियों के लिए याचिकाकर्ता का इंटरव्यू लेने तथा यदि वह सफल रहता है तो उसे तीन माह में नियुक्ति देने के आदेश भी दिए हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्तागण राजेन्द्र कटारिया, गौरव थानवी तथा बीआर जाजडा ने कहा कि आरपीएससी ने अपने यहां 24 चतुर्थश्रेणी कर्मचारी नियुक्त करने के लिए जुलाई 2013 को विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें से दो पर निशक्तजनो के लिए आरक्षित थे। इनमें से भी एक पद बहरे व्यक्ति के लिए सुरक्षित रखा गया था।
याचिकाकर्ता ने इस पद के लिए आवेदन दिया, लेकिन इंटरव्यू कॉललेटर पोस्ट ऑफिस द्वारा गलत जगह डिलिवर कर दिया गया तथा निर्धारित समय पर इंटरव्यू के लिए नहीं पहुंचने पर उसकी जगह किसी अन्य को नियुक्ति दे दी गई। बाद में याचिका कर्ता को आरटीआई के माध्यम से यह जानकारी मिली तो निराश होकर उसने याचिका दायर की।
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