जयपुर, 19 जनवरी। शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने पहले स्वयंसेवी संस्था ‘प्रथम’ द्वारा जारी किए गए ‘स्टेटस ऑफ एजूकेशन रिपोर्ट’ (असर) में और अब नेशनल अचिवमेंट सर्वे एवं स्टेट लर्निंग एचिवमेंट के अंतर्गत बच्चों में हिंदी, गणित और विज्ञान के साथ ही अंग्रेजी विषयों के अंतर्गत सीखने के स्तर में हुई वृद्धि पर प्रसन्नता जताते हुए कहा है
कि सर्वे के अंतर्गत जो आंकड़े सामने आए हैं उनसे स्पष्ट है कि राजस्थान तेजी से देश के अग्रणी शिक्षा राज्यों में शुमार हो रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के यह सर्वे परिणाम उत्साहवद्र्धक हैं।
इसके लिए उन्हाेंने प्रदेश के शिक्षकों, शिक्षा अधिकारियों एवं टीम एजूकेशन को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में राज्य में शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए उठाए गए कदमों के परिणाम सामने आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि सर्वे से स्पष्ट है कि राज्य में शिक्षा नीति निर्धारण, शिक्षक प्रशिक्षण एवं पठन-पाठन सामग्री के निर्माण के जो कार्य हुए हैं, वे विद्यार्थियों के सीखने के स्तर में वृद्धि करने वाले हैं। उन्हाेंने कहा कि लोगों का विश्वास निजी की बजाय अब सरकारी स्कूलों में तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने राजकीय विद्यालयों की साख में वृद्धि के इस क्रम को निरंतर जारी रखे जाने के साथ ही शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए निरंतर कार्य किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों का आह्वान किया कि वे प्रदेश में शिक्षा के स्तर में वृद्धि को निरंतर बनाए रखें तथा प्रयास करें कि अगले वर्ष देशभर में शिक्षा क्षेत्र में राजस्थान प्रथम स्थान पर आए और सभी इसे स्वीकारे। उन्होंने स्वयंसेवी संस्था ‘प्रथम’ के सहयोग से हुए सर्वे के अंतर्गत सरकारी विद्यालयों में बच्चों के सीखने के स्तर में हुई वृद्धि के साथ ही छात्राओं के बीच में ही स्कूल छोड़ने के प्रतिशत में आई कमी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयास है कि प्रदेश में शैक्षिक उन्नयन के साथ ही गुणवत्ता पर सतत ध्यान दिया जाए।
राज्य में पंचायत मुख्यालयों पर उत्कृष्ट एवं आदर्श विद्यालयों की स्थापना के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा में हुए उत्तरोत्तर सुधार की चर्चा करते हुए प्रो. देवनानी ने कहा कि हमारा यह प्रयास है कि शहरों के साथ ही गांव-ढ़ाणी में रहने वाले बच्चों को, विशेषकर बालिकाओं को बेहतर से बेहतर शिक्षा मिले। इसके तहत ही ऎसे विद्यालयों में सरकार ने चयन कर योग्य शिक्षक लगाने के साथ ही वहां पर उत्कृष्ट आधारभूत सुविधाओं का विकास किया है। उल्लेखनीय है कि ‘प्रथम’ द्वारा जारी ‘स्टेटस ऑफ एजूकेशन रिपोर्ट’ (असर) असर के अनुसार पाँचवीं के बच्चों का भाषा में शैक्षिक स्तर अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है जो असर के राष्ट्रीय मानक से भी अधिक है। राजकीय विद्यालयों में बच्चों की औसत उपस्थिति में भी 2014 की अपेक्षा वृद्धि हुई है। उच्च प्राथमिक वर्ग में लड़कियों के नामांकन में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार 2014 की अपेक्षा 2016 में प्राथमिक स्तर के बच्चों का भाषा, गणित और अंग्रेजी में शैक्षिक स्तर बढ़ा है ये प्राथमिक शिक्षा के प्रमुख मानक है। विद्यालय संबंधी सुविधायें यथा पेयजल, शौचालय आदि सुविधाओं में भी 2014 की अपेक्षा वृद्धि अंकित की गई है।
कि सर्वे के अंतर्गत जो आंकड़े सामने आए हैं उनसे स्पष्ट है कि राजस्थान तेजी से देश के अग्रणी शिक्षा राज्यों में शुमार हो रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के यह सर्वे परिणाम उत्साहवद्र्धक हैं।
इसके लिए उन्हाेंने प्रदेश के शिक्षकों, शिक्षा अधिकारियों एवं टीम एजूकेशन को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे के नेतृत्व में राज्य में शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए उठाए गए कदमों के परिणाम सामने आने लगे हैं। उन्होंने कहा कि सर्वे से स्पष्ट है कि राज्य में शिक्षा नीति निर्धारण, शिक्षक प्रशिक्षण एवं पठन-पाठन सामग्री के निर्माण के जो कार्य हुए हैं, वे विद्यार्थियों के सीखने के स्तर में वृद्धि करने वाले हैं। उन्हाेंने कहा कि लोगों का विश्वास निजी की बजाय अब सरकारी स्कूलों में तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने राजकीय विद्यालयों की साख में वृद्धि के इस क्रम को निरंतर जारी रखे जाने के साथ ही शैक्षिक उत्कृष्टता के लिए निरंतर कार्य किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने राजकीय विद्यालयों के शिक्षकों का आह्वान किया कि वे प्रदेश में शिक्षा के स्तर में वृद्धि को निरंतर बनाए रखें तथा प्रयास करें कि अगले वर्ष देशभर में शिक्षा क्षेत्र में राजस्थान प्रथम स्थान पर आए और सभी इसे स्वीकारे। उन्होंने स्वयंसेवी संस्था ‘प्रथम’ के सहयोग से हुए सर्वे के अंतर्गत सरकारी विद्यालयों में बच्चों के सीखने के स्तर में हुई वृद्धि के साथ ही छात्राओं के बीच में ही स्कूल छोड़ने के प्रतिशत में आई कमी को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि राज्य सरकार का यह प्रयास है कि प्रदेश में शैक्षिक उन्नयन के साथ ही गुणवत्ता पर सतत ध्यान दिया जाए।
राज्य में पंचायत मुख्यालयों पर उत्कृष्ट एवं आदर्श विद्यालयों की स्थापना के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा में हुए उत्तरोत्तर सुधार की चर्चा करते हुए प्रो. देवनानी ने कहा कि हमारा यह प्रयास है कि शहरों के साथ ही गांव-ढ़ाणी में रहने वाले बच्चों को, विशेषकर बालिकाओं को बेहतर से बेहतर शिक्षा मिले। इसके तहत ही ऎसे विद्यालयों में सरकार ने चयन कर योग्य शिक्षक लगाने के साथ ही वहां पर उत्कृष्ट आधारभूत सुविधाओं का विकास किया है। उल्लेखनीय है कि ‘प्रथम’ द्वारा जारी ‘स्टेटस ऑफ एजूकेशन रिपोर्ट’ (असर) असर के अनुसार पाँचवीं के बच्चों का भाषा में शैक्षिक स्तर अप्रत्याशित रूप से बढ़ा है जो असर के राष्ट्रीय मानक से भी अधिक है। राजकीय विद्यालयों में बच्चों की औसत उपस्थिति में भी 2014 की अपेक्षा वृद्धि हुई है। उच्च प्राथमिक वर्ग में लड़कियों के नामांकन में वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार 2014 की अपेक्षा 2016 में प्राथमिक स्तर के बच्चों का भाषा, गणित और अंग्रेजी में शैक्षिक स्तर बढ़ा है ये प्राथमिक शिक्षा के प्रमुख मानक है। विद्यालय संबंधी सुविधायें यथा पेयजल, शौचालय आदि सुविधाओं में भी 2014 की अपेक्षा वृद्धि अंकित की गई है।
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