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18 साल सरहद पर लड़े, फिर ग्रामसेवक में चयन शिक्षक भी बने, अब 45 की उम्र में आरएएस

18साल भारतीय सेना में नौकरी, एक साल तक ग्रामसेवक पद पर रहे, ग्रेड थर्ड और ग्रेड सैकंड शिक्षक के पद पर चयन और अब आरएएस में 41वीं रैंक। उपलब्धियों के यह फेहरिस्त रिटायर्ड सैनिक भंवरलाल गुर्जर की है। उन्होंने 18 साल सेना में नौकरी की।
इसके बाद अंग्रेजी के शिक्षक बने और अब 45 की उम्र में भंवरलाल ने आरएएस में 41वीं रैंक हासिल की है।

असल में, भंवरलाल सेना में भर्ती हो गए थे। लेकिन, देश सेवा के साथ पढ़ने की ललक खत्म नहीं हुई। सेना में रहते हुए ही 12वीं पास की। फिर एमए बीएड किया। सेना से रिटायरमेंट लेने के बाद भी पढ़ाई का जज्बा और जुनून खत्म नहीं हुआ। ग्राम सेवक की परीक्षा दी और जालौर में एक साल नौकरी की। फिर भी पढ़ाई नहीं छोड़ी। ग्रेड थर्ड में एक साल तक संस्कृत शिक्षा में रहने के साथ ग्रेड सैकंड शिक्षक बन गए। भंवरलाल शिश्यू रानोली के स्कूल में अंग्रेजी के शिक्षक हैं।

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धोद के नायब तहसीलदार अशोक रणवां की आठवीं रैंक

धोदके नायब तहसीलदार अशोक रणवां का भी आरएएस-2013 में चयन हुआ है। उन्होंने आठवीं रैंक प्राप्त की है। वे 27 साल के है। उन्होंने बताया कि वे लगातार तैयारी में जुटे थे और दूसरे प्रयास में यह सफलता प्राप्त की है। वे जोहड़ी का बास-डीडवाना के रहने वाले हैं।

रानोलीएसएचओ महेंद्रसिंह को चौथे प्रयास में मिली 78वीं रैंक

रानोलीथानाधिकारी महेंद्रसिंह ने भी 78वीं रैंक हासिल की है। वे सरदारशहर के मेहरी गांव के किसान परिवार से जुड़े हैं। आरएएस में इस बार चौथा प्रयास था। इससे पहले राजस्थान महिला बाल विकास विभाग में इंस्पेक्टर आबकारी निरीक्षक के पद पर चयन हो चुका हैं। वे बताते हैं कि दिनभर एसएचओ की जिम्मेदारी निभाने के बाद रात को पांच घंटे पढ़ाई को दे रहा था।

कुली गांव के हेमंतसिंह को पूर्व सैनिक कैटेगरी में पहली रैंक

दांतारामगढ़के कुली गांव के पूर्व सैनिक हेमंतसिंह ने भी आरएसएस में एक्ससर्विस मैन कैटेगरी में पहली रैंक प्राप्त की है। वे बताते हैं कि 16 सालों तक नेवी में सारजेंट के पद पर कार्य किया। उसके बाद उन्होंने कस्टम विभाग में इंस्पेक्टर पद पर चार साल कार्य किया। वर्तमान में छह सालों से जयपुर इनकम टैक्स में इंस्पेक्टर हैं। वे जयपुर में गरीब बच्चों को निशुल्क पढ़ाते हैं और उन्हें बैग, कॉपी, किताब भी दिलवाते हैं।

भंवरलाल कहते हैं-कभी पढ़ना मत छोड़ों। जिद और जुनून ही मंजिल तक लेकर आता ही है। सेना में यह सीखा था और जिंदगी में हमेशा काम रहा है। आरएएस की तैयारी के लिए स्कूल से घर पहुंचने के बाद रात तक पढ़ाई करते और अब आरएएस में सलेक्शन से पूरे गांव और जिले को चौंका दिया। उनके दोनों बेटे मनोज कुमार नरेश सेना में भर्ती हो चुके हैं। 

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