सीकर। रीट के प्रमाण पत्र की वैधता तीन साल रखने से यह कानूनी पेच में फंस सकती है। क्योंकि सीटेट एवं आरटेट पास कर चुके अभ्यर्थियों ने शिक्षक बनने का सात साल का वैधता प्रमाण पत्र प्राप्त कर रखा हैं। केंद्र सरकार की संस्था एनसीटीई ने टेट यानि अध्यापक पात्रता परीक्षा के प्रमाण पत्र की वैधता सात साल तय कर रखी है। इसके बाद भी राज्य सरकार ने एनसीटीई के नियमों को दरकिनार करते हुए रीट प्रमाण पत्र की वैधता तीन साल कर दी।
अब अभ्यर्थियों को हर तीन साल में यह परीक्षा देनी होगी। जबकि पहले आरटेट पास कर चुके करीब सात लाख अभ्यर्थियों के पास सात साल की वैधता वाला प्रमाण पत्र है। इनमें से 2.22 लाख अभ्यर्थियों ने 60 फीसदी या इससे अधिक अंक प्राप्त कर रखे हैं। रीट के नियमों के बाद अभ्यर्थियों के मन में चिंता सता रही है कि कहीं रीट भी आरटेट की तरह किसी कानूनी पेंच में नहीं उलझ जाएं।
इस नियम का बड़ा असर यह होगा
अभ्यर्थियों को तीन साल बाद फिर से देनी होगी परीक्षा
इस रीट परीक्षा में करीब 9 लाख बीएसटीसी, बीएडधारियों के परीक्षा में बैठने की संभावना है। जिनमें से महज 15 हजार ही शिक्षक बन सकेंगे। ऐसे अभ्यर्थी जो रीट का प्रमाण पत्र हासिल कर सकेंगे, उन्हें भी तीन साल बाद परीक्षा देनी पड़ेगी।
इस रीट परीक्षा में करीब 9 लाख बीएसटीसी, बीएडधारियों के परीक्षा में बैठने की संभावना है। जिनमें से महज 15 हजार ही शिक्षक बन सकेंगे। ऐसे अभ्यर्थी जो रीट का प्रमाण पत्र हासिल कर सकेंगे, उन्हें भी तीन साल बाद परीक्षा देनी पड़ेगी।
भर्ती में यह अड़चनें आ सकती हैं सामने
{रीट प्रमाण पत्र की वैधता।
{आरटेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को रीट परीक्षा से छूट देना। जबकि रीट परीक्षा के आधार पर ही मेरिट बनाकर भर्ती की जाएगी।
{आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम उत्तीर्णांक में छूट।
{रीट प्रमाण पत्र की वैधता।
{आरटेट उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को रीट परीक्षा से छूट देना। जबकि रीट परीक्षा के आधार पर ही मेरिट बनाकर भर्ती की जाएगी।
{आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को न्यूनतम उत्तीर्णांक में छूट।
यह सरकार के स्तर का मामला है: परीक्षा उपनिदेशक
हाईकोर्ट जयपुर पीठ के एडवोकेट संदीप कलवानिया ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने रीट प्रमाण पत्र की वैधता तीन साल निर्धारित करने का निर्णय विरोधाभासी हैं। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं राज्य सरकार को एनसीटीई की गाइडलाइन का परीक्षण करवाकर रीट प्रमाण पत्र की वैधता भी सात साल की जानी चाहिए ताकि अभ्यर्थियों को राहत मिल सकेगी। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परीक्षा उपनिदेशक जीके माथुर का कहना है कि यह राज्य सरकार के स्तर का मामला है।
हाईकोर्ट जयपुर पीठ के एडवोकेट संदीप कलवानिया ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने रीट प्रमाण पत्र की वैधता तीन साल निर्धारित करने का निर्णय विरोधाभासी हैं। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड एवं राज्य सरकार को एनसीटीई की गाइडलाइन का परीक्षण करवाकर रीट प्रमाण पत्र की वैधता भी सात साल की जानी चाहिए ताकि अभ्यर्थियों को राहत मिल सकेगी। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परीक्षा उपनिदेशक जीके माथुर का कहना है कि यह राज्य सरकार के स्तर का मामला है।
आरटेट वाला ही सिलेबस ही रखा है: रीट परीक्षा में आरटेट का सिलेबस ही रखा गया है। क्योंकि एनसीटीई गाइडलाइन के अनुसार राज्य सरकार टेट परीक्षा के सिलेबस में बदलाव नहीं कर सकती। रीट परीक्षा में राजस्थान के सामान्य ज्ञान को ज्यादा तवज्जो नहीं दी गई है। इस परीक्षा का पूरा सिलेबस बोर्ड की वेबसाइट पर डाल दिया गया है।
जिला परिषद के जरिए मिलेगी नियुक्ति
रीट के बाद राज्य स्तर पर मेरिट बनाई जाएगी। इसी आधार पर जिला परिषदों के माध्यम से नियुक्ति दी जाएगी। राज्य स्तर पर यह परीक्षा होगी। परीक्षा में नौ लाख से ज्यादा अभ्यर्थियों के शामिल होने की संभावना है। इनमें से 60 फीसदी अंक लाने वाले ही अभ्यर्थी ही आगे की प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। इसके बाद इन अभ्यर्थियों के अंकों के आधार पर मेरिट बनेगी। मेरिट के दायरे में आने वाले अभ्यर्थियों से जिला स्तर के ऑप्शन मांगे जाएंगे। फिर उन्हें वहां पर नियुक्ति दी जाएगी। नवंबर के अंत तक जिला स्तर पर खाली पदों की सूची जारी कर दी जाएगी।
60 फीसदी अंक लाने जरूरी | रीट में पास होने के लिए 60 फीसदी अंक लाने होंगे। कम अंक वाले अभ्यर्थियों को सलेक्शन से बाहर कर दिया जाएगा।
60 फीसदी अंक लाने जरूरी | रीट में पास होने के लिए 60 फीसदी अंक लाने होंगे। कम अंक वाले अभ्यर्थियों को सलेक्शन से बाहर कर दिया जाएगा।
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