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जेएनवीयू शिक्षक भर्ती को चुनौती देने वाली 25 याचिकाएं खारिज : राजस्थान शिक्षकों का ब्लॉग

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सुनील अंबवानी न्यायाधीश अजीत सिंह की खंडपीठ ने जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को चुनौती देने वाली 25 याचिकाओं को खारिज कर दिया। साथ ही दो अन्य याचिकाओं को स्वीकार कर सफल अभ्यर्थियों से जवाब तलब किया है। इन दोनों याचिकाओं की अगली सुनवाई 5 अक्टूबर को मुकर्रर की गई है। याचिकाकर्ता मनीषा जैन अन्य की ओर से कोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2012 में जेएनवीयू में विभिन्न विषयों के पदों पर शिक्षक भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी की गई थी। इसमें उन्होंने भी आवेदन किया था। उनके पास पीएचडी की योग्यता थी, लेकिन विवि ने अभ्यर्थियों की शॉर्ट लिस्टिंग कर दी, जिससे वे बाहर हो गए। विवि द्वारा शॉर्ट लिस्टिंग किया जाना अनुचित है।
अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्रसिंह सिंघवी, अधिवक्ता विकास बालिया जेएनवीयू की ओर से अधिवक्ता सचिन आचार्य ने बहस करते हुए कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुरूप याचिकाकर्ताओं को भर्ती को चुनौती देने का अधिकार नहीं है, क्योंकि सफल अभ्यर्थियों को हटा कर इन्हें पदस्थापित नहीं किया जा सकता है।
याचिकाकर्ता दीपक भारद्वाज की ओर से बताया गया कि विश्वविद्यालय ने अध्यादेश जारी कर यूजीसी द्वारा भर्ती प्रक्रिया के लिए निर्धारित मापदंड में संशोधन कर दिया। नए अध्यादेश के अनुसार वर्ष 2009 से पूर्व पीएचडी करने वाले अभ्यर्थियों के लिए नेट-स्लेट उत्तीर्ण करने की बाध्यता खत्म कर दी, जो कि गलत है।

जेएनवीयू शिक्षक...
वहीं याचिकाकर्ता सीमा चौधरी जिज्ञासा पुरोहित ने बॉटनी विभाग में सहायक प्रोफेसर के लिए आवेदन किया था, लेकिन इनके पास डिग्री बायो टेक्नोलॉजी में है। इसके अलावा याचिकाकर्ताओं की ओर से सफल अभ्यर्थियों को पक्षकार भी नहीं बनाया गया, जबकि कोर्ट ने 14 नवंबर 2014 को इन्हीं याचिकाओं की सुनवाई करते हुए सफल अभ्यर्थियों को पक्षकार बनाने के लिए कहा था।

शपथ पत्र नहीं

शिक्षक भर्ती संघर्ष समिति की ओर से जनहित याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया कि कई अभ्यर्थियों के निर्धारित तिथि तक योग्य नहीं होने के बावजूद उनका चयन कर लिया गया, जो कि गलत है। इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता सिंघवी ने कहा कि समिति के अध्यक्ष ओमप्रकाश भाटी की याचिका पूर्व में खारिज हो चुकी है। इसके बाद अन्य याचिकाकर्ताओं की ओर से किसी तरह का शपथ पत्र नहीं दिया गया है। समिति ने भी किसी भी सफल अभ्यर्थी को पक्षकार नहीं बनाया है।

पक्षकार नहीं बनाया: मुख्य न्यायाधीश अंबवानी न्यायाधीश सिंह की खंडपीठ ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि गत नवंबर में याचिका की सुनवाई करते हुए सफल अभ्यर्थियों को पक्षकार बनाने के लिए कहा था, लेकिन उन्हें पक्षकार नहीं बनाया गया। उन्हें सुने बिना एकतरफा कार्रवाई नहीं की जा सकती। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए सभी 25 याचिकाओं को खारिज कर दिया।

दो सफल अभ्यर्थियों को नोटिस: याचिकाकर्ता लीना सिंह की ओर से अधिवक्ता मनोज भंडारी ने याचिका दायर कर कोर्ट को बताया कि भूगोल विषय के सफल अभ्यर्थी जयसिंह राठौड़ के पास नेट-स्लेट उत्तीर्ण की योग्यता नहीं है। वहीं याचिकाकर्ता जितेंद्र सिंह की ओर से अधिवक्ता रवि भंसाली ने याचिका दायर कर मैनेजमेंट विषय के सफल अभ्यर्थी की नियुक्ति को चुनौती दी। इन दोनों याचिकाओं को विचारार्थ स्वीकार कर सफल अभ्यर्थियों को नोटिस जारी कर 5 अक्टूबर को जवाब तलब किया गया है।
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