बीएड डिग्रीधारियों ने उठाई मांग, रीट के सिलेबस में शामिल हो राजस्थान का सामान्य ज्ञान, रीट की तीसरी कैटेगरी का भी विरोध
जयपुर. अध्यापक भर्ती और पात्रता परीक्षा-2015 (रीट) में राजस्थान का सामान्य ज्ञान शामिल नहीं होने का विरोध शुरू हो गया है। बीएड धारियों का कहना है कि वर्तमान सिलेबस से इस भर्ती में राज्य के अभ्यर्थियों को नुकसान होगा। उन्होंने सिलेबस को बदलने की मांग की है। रीट की प्रस्तावित गाइडलाइंस में सरकार ने आरटेट के समान ही रीट का सिलेबस तय किया है। इसमें राजस्थान का जीके नहीं है।
राजस्थान बेरोजगार शिक्षक संघ के अध्यक्ष दीपेंद्र शर्मा का कहना है कि पुराने पैटर्न में आरटेट के बाद अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती के लिए अलग से परीक्षा देता था। शिक्षक भर्ती में 40 से 50 प्रतिशत सवाल राजस्थान के जीके से संबंधित आते थे। इस कारण भर्ती में राज्य के अभ्यर्थी दूसरे राज्यों से आगे रहते थे।
अब रीट में ऐसा नहीं होने से उनकी बाहर के राज्यों से भी प्रतिस्पर्धा रहेगी और भर्ती में उन्हें नुकसान होगा। बीएसटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा कि प्रदेश में रीट में एक ही पेपर से परीक्षा होने से गड़बड़ियां रुकेगी। इससे अभ्यर्थियों को फायदा होगा। भर्ती समय पर पूरी हो सकेगी।
यह हो सकता है उपाय
एडवोकेट संदीप कलवानिया का कहना है कि सरकार आरटेट के सिलेबस को बदल नहीं सकती। लेकिन अब सरकार को यह करना चाहिए कि जो केवल पात्रता के लिए परीक्षा दे रहा है वह आरटेट के सिलेबस के आधार पर तैयार पेपर से परीक्षा दे। लेकिन जो पात्रता के साथ भर्ती परीक्षा भी दे रहा है उनके प्रश्न पत्र में 50 सवाल राजस्थान के जीके के अलग से शामिल हो। ऐसा होने पर राज्य के अभ्यर्थियों को नुकसान नहीं होगा।
रीट की तीसरी कैटेगरी का विरोध : परीक्षा की तैयारी कर रहे सुनील दोराया ने रीट की तीसरी कैटेगरी का विरोध किया है। उनका कहना है कि आरटेट 2011और 2012 में कई जिलों में गड़बड़ियां हुई थीं। इससे वहां के अभ्यर्थियों के आरटेट में अच्छे अंक हैं। अगर रीट की तीसरी कैटेगरी में शामिल होते हैं तो उन्हें फायदा होगा। बिना परीक्षा दिए वे आरटेट के अंकों से सीधे ही सलैक्ट हो जाएंगे। इसलिए इस कैटेगरी को खत्म किया जाए।
कोचिंग संस्थानों ने कमाए करोड़ों रुपए : रीट की कोचिंग के नाम पर कोचिंग संस्थान करोड़ों रुपए कमा रहे हैं, जबकि अभी प्रक्रिया ही शुरू नहीं हुई है। दीपेंद्र शर्मा का कहना है कि अधिकारी कभी अप्रैल में तो कभी मई में रीट की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा करते हैं। ऐसी घोषणाओं से इन कोचिंग संस्थानों के वारे न्यारे हो जाते हैं
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जयपुर. अध्यापक भर्ती और पात्रता परीक्षा-2015 (रीट) में राजस्थान का सामान्य ज्ञान शामिल नहीं होने का विरोध शुरू हो गया है। बीएड धारियों का कहना है कि वर्तमान सिलेबस से इस भर्ती में राज्य के अभ्यर्थियों को नुकसान होगा। उन्होंने सिलेबस को बदलने की मांग की है। रीट की प्रस्तावित गाइडलाइंस में सरकार ने आरटेट के समान ही रीट का सिलेबस तय किया है। इसमें राजस्थान का जीके नहीं है।
राजस्थान बेरोजगार शिक्षक संघ के अध्यक्ष दीपेंद्र शर्मा का कहना है कि पुराने पैटर्न में आरटेट के बाद अभ्यर्थी शिक्षक भर्ती के लिए अलग से परीक्षा देता था। शिक्षक भर्ती में 40 से 50 प्रतिशत सवाल राजस्थान के जीके से संबंधित आते थे। इस कारण भर्ती में राज्य के अभ्यर्थी दूसरे राज्यों से आगे रहते थे।
अब रीट में ऐसा नहीं होने से उनकी बाहर के राज्यों से भी प्रतिस्पर्धा रहेगी और भर्ती में उन्हें नुकसान होगा। बीएसटीसी शिक्षक संघ के अध्यक्ष उपेन यादव ने कहा कि प्रदेश में रीट में एक ही पेपर से परीक्षा होने से गड़बड़ियां रुकेगी। इससे अभ्यर्थियों को फायदा होगा। भर्ती समय पर पूरी हो सकेगी।
यह हो सकता है उपाय
एडवोकेट संदीप कलवानिया का कहना है कि सरकार आरटेट के सिलेबस को बदल नहीं सकती। लेकिन अब सरकार को यह करना चाहिए कि जो केवल पात्रता के लिए परीक्षा दे रहा है वह आरटेट के सिलेबस के आधार पर तैयार पेपर से परीक्षा दे। लेकिन जो पात्रता के साथ भर्ती परीक्षा भी दे रहा है उनके प्रश्न पत्र में 50 सवाल राजस्थान के जीके के अलग से शामिल हो। ऐसा होने पर राज्य के अभ्यर्थियों को नुकसान नहीं होगा।
रीट की तीसरी कैटेगरी का विरोध : परीक्षा की तैयारी कर रहे सुनील दोराया ने रीट की तीसरी कैटेगरी का विरोध किया है। उनका कहना है कि आरटेट 2011और 2012 में कई जिलों में गड़बड़ियां हुई थीं। इससे वहां के अभ्यर्थियों के आरटेट में अच्छे अंक हैं। अगर रीट की तीसरी कैटेगरी में शामिल होते हैं तो उन्हें फायदा होगा। बिना परीक्षा दिए वे आरटेट के अंकों से सीधे ही सलैक्ट हो जाएंगे। इसलिए इस कैटेगरी को खत्म किया जाए।
कोचिंग संस्थानों ने कमाए करोड़ों रुपए : रीट की कोचिंग के नाम पर कोचिंग संस्थान करोड़ों रुपए कमा रहे हैं, जबकि अभी प्रक्रिया ही शुरू नहीं हुई है। दीपेंद्र शर्मा का कहना है कि अधिकारी कभी अप्रैल में तो कभी मई में रीट की प्रक्रिया शुरू करने की घोषणा करते हैं। ऐसी घोषणाओं से इन कोचिंग संस्थानों के वारे न्यारे हो जाते हैं
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