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किसी भर्ती घोटाले में प्रदेश के सबसे बड़े भर्ती आयोग के तत्कालीन मुखिया शािमल तो किसी में तत्कालीन जिला जज तक का नाम

यह है मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला  , व्यापमं जैसे घोटाले हमारे यहां भी
जांच कभी तह तक नहीं पहुंची
मध्यप्रदेश के व्यापमं घोटाले की तरह राजस्थान में भी भर्तियों में कई घोटाले सामने चुके हैं। आरजेएस, आरएएस, मेडिकल और लिपिक जैसी भर्तियां यहां गड़बड़ियों को लेकर काफी चर्चित रही हैं। घोटालों के सूत्रधार के रूप में जिला न्यायाधीश, आरपीएससी अध्यक्ष जैसे कई बड़े नाम भी सामने चुके हैं।

कुछ भर्तियों में पैसे लेकर पेपर लीक करने, पैसे लेकर भर्ती करने के मामले में कई गिरफ्तारियां भी हो चुकी हैं। लेकिन कुछ भर्तियां ऐसी भी हैं जिनमें जिम्मेदारों के खिलाफ आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। सरकारी स्तर पर भी किसी भी मामले की तह तक जाकर असली सच आज तक सामने नहीं लाया गया है। सरकार किसी भी दल की हो मामले का दोषारोपण एक-दूसरे पर करती हैं। हालांकि, हाईकोर्ट के दखल के बाद इतना जरूर हुआ है कि कुछ भर्तियों को रद्द कर नए सिरे से भर्ती कराई गई। इनमें से कई भर्तियां तो कांग्रेसराज में हुई और कुछ भाजपा राज में।







एलडीसी सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में भी पेपर लीक के लगे थे आरोप

आरएएसका पेपर लीक होने के बाद अभ्यर्थियों ने आरपीएससी की एलडीसी भर्ती 2013 और सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक होने की आशंका जताते हुए इन परीक्षाओं को भी फिर से कराने की मांग की थी। सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में तो सरकार ने चयनितों को नियुक्ति दे दी है। लेकिन एलडीसी भर्ती परीक्षा देने वाले 7.5 लाख अभ्यर्थी आज भी परिणाम का इंतजार कर रहे हैं। आयोग ने 11 जनवरी 2014 को 7854 पदों के लिए यह भर्ती परीक्षा आयोजित की थी।



व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) भर्ती घोटाला मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा भर्ती घोटाला माना जा रहा है। मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल का काम मेडिकल टेस्ट जैसे पीएमटी प्रवेश परीक्षा, इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा शैक्षिक स्तर पर बेरोजगार युवकों के लिए भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं का आयोजन कराना है। अभी तक इस घोटाले में राज्य के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा सहित लगभग 2000 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। आंच मुख्यमंत्री निवास और राजभवन तक पहुंची है। मामले में आरोपी 34 लोग दम तोड़ चुके हैं।







व्यापमं के जरिए फर्जीवाडा कर सरकारी नौकरी में 1000 फर्जी भर्तियां और मेडिकल कॉलेज में 514 फर्जी भर्तियां कर ली गई। खुद सीएम शिवराज सिंह विधानसभा में स्वीकार कर चुके हैं कि 1000 फर्जी भर्तियां की गईं। व्यापमं घोटाले का खुलासा 2013 में तब हुआ, जब पुलिस ने एमबीबीएस की भर्ती परीक्षा में बैठे कुछ फर्जी छात्रों को गिरफ्तार किया। इसके बाद पूछताछ में जो सामने आया हैरान कर देने वाला था। इस भर्ती घोटाले में तो मंत्री, अफसर, व्यापमं का पूरा ऑफिस की लिप्त था। पकड़े गए लोगों ने बताया था कि परिवहन विभाग में कंडक्टर पद के लिए 5 से 7 लाख, फूड इंस्पेक्टर के लिए 25 से 30 लाख और सब इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए 15 से 22 लाख रुपये लेकर फर्जी तरीके से नौकरियां बांटी जा रही थीं।

आरएएस-प्री : पेपर लीक करने वाले बने टॉपर

आरपीएससीने 26 अक्टूबर 2013 को आरएएस प्री-2013 का आयोजन किया। 978 पदों के लिए 2.95 लाख ने परीक्षा दी। िरजल्ट 11 जून 2014 को आया। टॉप 50 में से 32 छात्र करौली के रहे और सभी एसटी वर्ग के। पेपर लीक की आशंका पर जांच हुई। पर्चा 3-3 लाख रु. में बिकना सामने आया। मेरिट में आए 4 अभ्यर्थियों सहित कई लोगों को एसओजी ने गिरफ्तार किया। आयोग ने 11 जुलाई को परीक्षा रद्द कर दी।







परीक्षाआज तक नहीं हुई। मामला अभी कोर्ट में चल रहा है।

मध्यप्रदेश की तरह राज्य में भी पैसे लेकर हुई भर्तियां, पेपर भी बिके

आरपीएमटी : 86 प्रश्नों में गड़बड़ी, पर कार्रवाई नहीं

राजस्थानस्वास्थ्य विज्ञान विवि की ओर से 28, 29 और 30 मई 2014 को ऑनलाइन राजस्थान प्री मेडिकल टेस्ट हुआ। इसमें 45 हजार अभ्यर्थी शामिल हुए। परिणाम 5 जून को घोषित हुआ। लेकिन 86 प्रश्नों में गड़बड़ी मिली। हाईकोर्ट ने 26 जून 2014 को परीक्षा दुबारा कराने के आदेश दिए। परीक्षा में गलत सवालों के लिए जिम्मेदारों पर सरकार ने आज तक कोई कार्रवाई नहीं की।





अभ्यर्थियोंको मजबूरी में दुबारा आरपीएमटी की परीक्षा से गुजरना पड़ा।

आरजेएस : बेटी के लिए आयोग अध्यक्ष लाए पेपर

एसओजीने आरपीएससी के तत्कालीन अध्यक्ष हबीब खान गौराण के खिलाफ आरजेएस 2013 का मुख्य प्रश्नपत्र चुराने का मामला दर्ज किया। उनकी बेटी यह परीक्षा दे रही थी। एसओजी के मुताबिक गौराण ने परीक्षा से पहले अहमदाबाद के सूर्या ऑफसेट ऐंड सिक्योरिटी प्रिंटर्स से प्रूफ रीडिंग के बहाने पेपर लिया था। गौराण ने 25 सितंबर 2014 को इस्तीफा दे दिया था। सरकार ने मामले में अभी खास कार्रवाई नहीं की है।

जेएनयू : 25 हजार फर्जी डिग्री बांटी, सरकार बेखबर

एसओजीने फर्जी डिग्री मामले में जोधपुर के जोधपुर नेशनल विश्वविद्यालय की जांच की। विवि की 38 हजार डिग्रियों में से 25003 फर्जी निकलीं। फर्जी डिग्रियों से किस विद्यार्थी ने कहां नौकरी ज्वाइन की और इन डिग्रियों के आधार पर किस उच्च कक्षा में प्रवेश लिया। इसकी अभी कोई जांच नहीं की गई है। सरकार ने केवल आगामी आदेश तक विवि में नए प्रवेश पर रोक लगाने का काम किया है।





शिक्षामंत्रीकालीचरण सराफ ने जरूरत पड़ने पर विवि के विघटन की प्रक्रिया प्रारंभ करने और प्रशासक नियुक्त करने की घोषणा की थी। लेकिन अभी तक इस दिशा में कुछ नहीं हुआ।

एपीपी भर्ती : प्रश्नों में गड़बड़ी, परीक्षा रद्‌द

आरपीएससीने 26 मई 2011 को एपीपी के 159 पदों के लिए आवेदन मांगे थे। कुल 15776 आवेदन आए। 9191 ने 21 दिसंबर 2011 को परीक्षा दी। प्रश्नों में गड़बड़ी हुई। हाईकोर्ट ने आरपीएससी को परीक्षा की पारदर्शिता बनाए रखने में विफल बताते हुए फटकार लगाई और नए सिरे से चयन प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए। अदालती आदेश के बावजूद संशोधित परिणाम जारी नहीं किया गया।

लिपिक भर्ती : तत्कालीन जिला जज ही सूत्रधार

अजमेरजिला न्यायालय में 47 लिपिक और 8 स्टेनो की भर्ती मामले में एसीबी ने 23 अप्रैल 2013 को भंडाफोड़ किया कि मोटी रकम लेकर भर्ती की जा रही है। अजमेर के तत्कालीन जिला जज अजय शारदा के शामिल होने के प्रमाण मिले। एसीबी ने कोर्ट के दो बाबुओं, एक दलाल और एक वकील को गिरफ्तार किया। शारदा को हाईकोर्ट ने अजमेर से हटा दिया था। बाद में उन्हें निलंबित गिरफ्तार कर लिया गया।





हालांकि,अभी वे जमानत पर हैं। राजस्थान हाईकोर्ट को यह भर्ती परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी।

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