अजमेर । माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की परीक्षाओं में अगले साल से विद्यार्थियों को अंकों की बजाय ग्रेड देने की व्यवस्था लागू हो सकती है। परिणाम प्रतिशत में प्रतिस्पर्धा और मेरिट में आने के लिए फर्जीवाड़े की आशंका को देखते हुए बोर्ड प्रशासन केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की तर्ज पर ग्रेडिंग प्रणाली लाने पर विचार कर रहा है।
बोर्ड की ओर से आयोजित सैकंडरी स्कूल परीक्षा-2015 की मेरिट में एक ही विद्यालय के 17 विद्यार्थियों का नाम आने, निजी स्कूल संचालक की ओर से सीनियर सैकंडरी की उत्तर पुस्तिकाएं जांचने वाले परीक्षकों को प्रलोभन देकर और धमका कर अपने विद्यार्थियों को मनचाहे अंक दिलाने का मामला सामना आने तथा सत्रांक व्यवस्था पर संदेह पैदा होने के बाद बोर्ड प्रशासन मौजूदा व्यवस्था पर बदलाव करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
स्कूलों से मिलने वाली सत्रांक व्यवस्था को फिलहाल बंद करना संभव नहीं है। दरअसल सीबीएसई में भी सत्रांक व्यवस्था लागू है। अगर सत्रांक व्यवस्था पर रोक लगी तो राजस्थान बोर्ड के लाखों विद्यार्थी सीबीएसई के विद्यार्थियों के मुकाबले पिछड़ जाएंगे। इस वजह से उच्च शिक्षा के लिए बेहतर शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के समय परिणाम प्रतिशत के लिहाज से राजस्थान बोर्ड के परीक्षार्थियों का चयन नहीं हो पाएगा। बोर्ड प्रशासन अगले सत्र से सत्रांक का पूरा विवरण मंगवाने का फैसला कर चुका है।
समिति में रखा प्रस्ताव
बोर्ड प्रशासन ने पिछले दिनों बोर्ड की परीक्षा समिति के समक्ष परीक्षाओं में अंक उजागर करने की जगह सीबीएसई की तर्ज पर ग्रेडिंग व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव रखा था। अब परीक्षा समिति इस पर विचार कर अपना निर्णय देगी जिसे बोर्ड की प्रबंध मंडल की बैठक में रखकर पारित कराया जाएगा।
परीक्षा समिति के समक्ष ग्रेड व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव रखा है। अब समिति गुणावगुण पर विस्तृत विचार-विमर्श करेगी। सकारात्मक रिपोर्ट मिलने पर बोर्ड बैठक में इसे पारित कराया जाएगा। सत्रांक व्यवस्था पर रोक लगाना संभव नहींं है अलबत्ता दुरुपायेग रोकने के लिए विद्यालयों से पूरा ब्योरा मंगवाया जाएगा।
प्रो. बी. एल. चौधरी, अध्यक्ष माशिबो राजस्थान
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